नीरज सिसौदिया, जालंधर
होली का त्योहार आते ही लोगों को रंगों का ख्याल आने लगता है। यह त्योहार रंगों के लिए ही जाना जाता है। लोग एक दूसरे को रंगों से सराबोर करने के लिए बेकरार रहते हैं। ज्योतिष रत्नाकर नरेश नाथ ने बताया कि यदि हम एक दूसरे को रंगों से सराबोर करने के लिए अपनी राशि के अनुरूप रंग का चयन करें तो साल भर जीवन में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। विभिन्न समस्याओं के समाधान के साथ लक्ष्यों की प्राप्ति व जीवन में शांति व सकुन पा सकते हैं।
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वैज्ञानिकों ने भी स्वीकारा- जीवन व मन पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं रंग
उन्होंने बताया कि सूर्य की किरणों में सात रंग हैं। वेदों में इन्हें सात रंग कहा जाता है। इन्हें तीन भागों में बांटा गया है। जिसमें गहरा, मध्यम व हल्का। इस हिसाब से 21 रंग होते हैं। देवी- देवताओं को भी प्रिय हैं रंग। इसी प्रकार हर राशि व ग्रह के भी प्रिय रंग हैं। मसलन शनि भगवान को काला रंग पसंद है। लक्ष्मी माता काे लाल रंग पसंद है। वैज्ञानिक रिसर्च में भी यह बात सामने आई है कि मानव जीवन व मन पर रंग अपना प्रभाव छोड़ते हैं। इसलिए होली पर अगर लोग अपनी राशि के हिसाब से रंगों का उपयोग करते है तो जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। धर्म के साथ ज्योतिष में
भी रंगों का प्रभाव पड़ता है।
लाल वस्तुओं का दान करने से दूर होंगे सूर्य ग्रह के दुष्प्रभाव ज्योतिषाचार्य नरेश नाथ ने बताया की जन जातकों की राशि में सूर्य ग्रह कष्टकारी हैं। वे रविवार या अन्य दिन व्रत करने के साथ शाम को मीठा भोजन करें और सूर्य भगवान संबंधी लाल रंग, लाल मिठाई व लाल वस्तुओं का सूर्य मंदिर में दान करने से सूर्य भगवान के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है।
वहीं इस दौरान सभी जातकों को दान- पुण्य करना चाहिए। जिसमें साधु संतों के साथ ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन कराकर व वस्त्र दान करने के साथ गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए। जिससे विशेष लाभ मिलता हैै।
वास्तु में भी है रंगों का महत्व
वर्तमान में भवनों का निर्माण वास्तु के हिसाब से कराया जाता है। वास्तु
शास्त्र में भी रंगों का महत्व है। भवनों में दिशा व स्थान के हिसाब से
कमरों में रंग कराया जाता है। ताकि भवन में रहने पर व्यक्ति के जीवन में
जीवन भर शांति रहे। सुख समृद्धि बढ़े।
राशि के अनुकूल रंग
मेष : गुलाबी या पीला।
वृष : बैगनी या नारंगी, सफेद कपड़े पहने।
मिथुन : हरा।
कर्क : नीला, हरा, सफेद कपड़े पहने।
सिंह : लाल, पीला व नारंगी।
कन्या : हरा, भूरा व नारंगी।
तुला : बैगनी,नीला,मेहरून व सफेद।
वृश्चिक : लाल, मेहरून व पीला।
धनु : पीला या नारंगी।
मकर : नीला या काला।
कुंभ : नीला या भूरा।
मीन : पीला, हरा और गुलाबी।
होलिका दहन पूजा-विधि
1. सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें।
2. अब अपने आस-पास पानी की बूंदे छिड़कें।
3. गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं।
4. थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक
लोटा पानी रखें।
5. नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे
और फूल अर्पित करें।
6. अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं।
7. अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए
अक्षत (चावल) उठाएं
भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें।
8. इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं।
9. भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांचों अनाज चढ़ाएं।
10. अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं।
11. कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें।
12. गोबर के बिड़कले को होली में डालें।
13. आखिर में गुलाल डालकर लोटे से जल चढ़ाएं।
होलिका दहन का मुहूर्त
शुभ मुहूर्त शुरू – रात 08:58 से
शुभ मुहूर्त खत्म – 11:34 तक