नीरज सिसौदिया, जालंधर
तलवाड़ा नगर कौंसिल का चुनावी घमासान दिलचस्प मोड़ पर आ खड़ा हुआ है. तेरह वार्डों में लगभग पचास से भी अधिक प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें से अधिकांश आजाद प्रत्याशी ऐसे हैं जो कांग्रेस या भाजपा के कार्यकर्ता थे लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण अपनी अपनी पार्टियों से बगावत कर बतौर आजाद उम्मीदवार मैदान में डटे हैं.
तलवाड़ा के सियासी जानकार संदीप लखनपाल कहते हैं कि दोनों दलों में बगावत चरम पर है. सीटें कम हैं और दावेदार अधिक थे. ऐसे में सभी को टिकट देना मुमकिन नहीं था. यही वजह रही कि इस बार बगावत करके चुनावी मैदान में उतरने वालाें का आंकड़ा भी पचास के पार हो गया है. ऐसे में पार्टी को इन बागी उम्मीदवारों को संभालना दोनों दलों के लिये गले की फांस बन गया है. भाजपा और कांग्रेस अपने बागियों को नहीं संभाल पा रही हैं. इस नए सियासी समीकरण ने तलवाड़ा नगर कौंसिल चुनाव को दिलचस्प मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है. ऐसे में जीत किसकी होगी यह कहना बेहद मुश्किल है लेकिन यह तय है कि कांग्रेस और भाजपा को इसका नुकसान निश्चित तौर पर झेलना पड़ेगा.
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