नीरज सिसौदिया, जालंधर
नगर निगम की ओर से भले ही ऑनलाइन नक्शे पास करने की योजना को अमलीजामा पहना दिया गया हो लेकिन जालंधर नगर निगम के वर्तमान हालात में यह योजना महज मजाक बनकर रह गई है. यहां ऑनलाइन नक्शे पास करने की योजना तो लागू कर दी है लेकिन नक्शा पास करने वाले एटीपी तक को विभाग की ओर से कोई कंप्यूटर नहीं दिया गया है.
दरअसल, पूर्व स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने लगभग दो साल पहले ऑनलाइन नक्शा पास कराने की प्रक्रिया पर काम कराना शुरू कर दिया था. इसके लिये टेक महिंद्रा से सॉफ्टवेयर भी तैयार कराया गया. लगभग छह माह पहले जालंधर नगर निगम में यह योजना लागू कर दी गई लेकिन बिल्डिंग ब्रांच के किसी भी अधिकारी को कंप्यूटर मुहैया नहीं कराया गया जिसके चले यह योजना सफेद हाथी साबित हो रही है.
बताते चलें कि रिहायशी नक्शे एटीपी के स्तर पर और पांच सौ स्क्वायर गज तक के कॉमर्शियल नक्शे कमिश्नर स्तर पर पास किये जाते हैं. इससे अधिक के नक्शे चंडीगढ़ स्तर पर पास किये जाते हैं. इन्हें न तो कंप्यूटर दिया गया है और न ही इंटरनेट का कनेक्शन सरकार की ओर से दिया गया है. ऊपर से कमिश्नर साहब कहते हैं कि अपने मोबाइल में एप डाउनलोड करके नक्शे पास कर लिया करो. हैरानी की बात है कि निगम अधिकारियों को मोबाइल भी विभाग की ओर से मुहैया नहीं कराया गया है.
बहरहाल, बिना कंप्यूटर और लैपटॉप के जालंधर बिल्डिंग ब्रांच को ऑनलाइन करने वाले निगम कमिश्नर दीपर्व लाकड़ा और मेयर जगदीश राजा कब नींद से जागेंगे यह कोई नहीं जानता लेकिन उनकी इस अदूरदर्शिता का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. ऑनलाइन नक्शा पास करने की प्रक्रिया कछुआ चाल से चल रही है. अति उत्साह में शुरू की गई यह योजना अब बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारियों के लिए सिरदर्द बन गई है.
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