पंजाब

ज्योति के बाद मेयर राजा भी मेहरबान हुए अवैध रूप से चल रहे जोशी हॉस्पिटल पर, निगम अधिकारी रिश्वत के बोझ तले दबे

Share now

नीरज सिसौदिया, जालंधर
सरकारें बदलती हैं मगर हालात नहीं बदलते. बदलाव सिर्फ कुर्सी पर बैठने वाले चेहरों में नजर आता है, कार्यशैली में नहीं. इसका जीता जागता जालंधर नगर निगम में देखने को मिल रहा है.

यहां लगभग दो साल पहले अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार थी और मेयर थे सुनील ज्योति. उस वक्त कपूरथला चौक स्थित जोशी अस्पताल बिल्डिंग बायलॉज की धज्जियां उड़ाने के मामले में सुर्खियां बटोर रहा था. प्रेशर बढ़ा तो मेयर के निर्देश पर बिल्डिंग ब्रांच ने जोशी हॉस्पिटल के खिलाफ नोटिस काटने की औपचारिकता पूरी कर दी. इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. जोशी अस्पताल के मालिक ने देखते ही देखते दो मंजिलें अवैध रूप से तैयार कर उनमें मरीज रखने का काम भी शुरू कर दिया. इसी बीच नगर निगम में सत्ता परिवर्तन हुआ और पूर्व मेयर ज्योति को सदन में चीख चीख कर भ्रष्टाचारी का तमगा देने वाले जगदीश राज राजा ज्योति की जगह मेयर की कुर्सी पर बैठे. कुर्सी पर बैठते ही राजा का रवैया ऐसा बदला कि निगम से सारा भ्रष्टाचार एक झटके में खत्म हो गया. अब राजा साहब खुद को सबसे ईमानदार मेयर बताते नहीं थक रहे थे. शहर के हालात अब भी वहीं खड़े थे. जोशी अस्पताल की अवैध बिल्डिंग के खिलाफ राजा ने कोई कार्रवाई नहीं की. जोशी अस्पताल में एक मंजिल का रिहायशी नक्शा पास कराया गया और दूसरी अवैध मंजिल का कोई नक्शा नहीं कराया. सूत्र बताते हैं कि इसकी डील नगर निगम के छोटा भीम ने कराई. राजा बाबू के खाते में ईमानदारी की मोटी रकम भी इसी छोटा भीम के जरिये जमा कराई गई. जोशी हॉस्पिटल संचालक भी राजा के राज में बेखौफ हो गए और उन्होंने कानून को ठेंगा दिखाते हुए हाउसलाइन भी पूरी कवर ली. जाहिर सी बात है कि जब राजा ही सरकारी खजाने को चूना लगाने में जुटा हो तो फिर प्रजा इसमें कैसे पीछे रह सकती है. छोटा भीम वैसे तो डिप्टी मेयर का करीबी बताया जाता है लेकिन सेटिंग का काम वह मेयर के लिए भी बड़ी ही शिद्दत से करता है. इतना ही नहीं जो फाइलें निगम कमिश्नर को मेयर सीधे नहीं देना चाहते वो फाइलें वाया छोटा भीम पास करा ली जाती हैं. अब जोशी हॉस्पिटल का मामला बड़ा था इसलिए सेटिंग भी मोटी होनी थी. अब सवाल यह उठता है कि अगर जगदीश राजा की नजरों में सुनील ज्योति भ्रष्ट थे तो राजा ने जोशी हॉस्पिटल पर कार्रवाई क्यों नहीं करवाई. जब यह हॉस्पिटल नियमानुसार पास ही नहीं हो सकता तो फिर इस पर बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर मेयर तक मेहरबान क्यों हैं? अगर अब भी मेयर इस अवैध रूप से चल रहे अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते तो राजा अपने भ्रष्टाचारी होने का प्रमाण खुद ही जनता को दे देंगे. बहरहाल, जोशी हॉस्पिटल बेधड़क अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है और उसके खिलाफ कार्रवाई करने वाला कोई नहीं.
अगली किस्त में हम शहर के एक और हास्पिटल का खुलासा करेंगे जिस पर मेयर राजा पूरी तरह से मेहरबान हैं और वह भी अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है. इस संबंध में जब मेयर और जोशी अस्पताल के संचालक से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया. एटीपी ने फोन नहीं उठाया.

अगर वह चाहें तो मोबाइल नंबर 7528022520 पर संपर्क कर अपना पक्ष रख सकते हैं. हम उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.
साथ ही यह भी बताएंगे कि जोशी हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई न करने के बदले किस निगम अधिकारी ने कितने में और किसके साथ डील कराई. जानने के लिए पढ़ते रहें www.indiatime24.com

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *