झारखण्ड

ये है बेरमो का ‘दशरथ मांझी’, चार साल खुद मेहनत कर बना डाला चेकडैम, मां और पत्नी भी कहती थीं पागल

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बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार ‘अंजाना’
जो सिरफिरे होते हैं वही इतिहास लिखते है। समझदार लोग तो उनके बारे में सिर्फ पढ़ते हैं। सचमुच ये कथन बोकारो थर्मल के स्थित नूरी नगर के मकसूद अंसारी ने अकेले ही 40 मीटर चेकडैम बना कर यह साबित कर दिया कि जहां चाह वहां राह। इनके इस हौसले और कारनामे के लिए स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बोकारो में राज्य सरकार के मंत्री अमर कुमार बाउरी एवं उपायुक्त कृपानंद झा ने मकसूद अंसारी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। नूरी नगर के रहने वाले मकसूद अंसारी ने अपनी लगन और चार सालों की कड़ी मेहनत से वो कर दिखाया है जो सरकारी महकमा पूरे तामझाम के साथ लाखों रुपये खर्च कर भी शायद ही कर पाता। माउंटेन मैन दशरथ मांझी को आदर्श मानते हुए मकसूद ने पहाड़ से आने वाले पानी को जमा कर उपयोग में लाने के लिए खुद गैंदा-कुदाल चलाकर चेकडैम बना लिया। 20 फीट ऊंचे और 100 मीटर चैड़े डैम में सालों भर छह फीट पानी रहता है। इससे 400 की आबादी वाले पूरे गांव को पानी किल्लत से छुटकारा मिल गया है। नूरी नगर में गर्मी के दिनों में पानी की घोर किल्लत होती थी। डीवीसी सीएसआर के तहत गांव में दिये गये नल से पानी भरने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी रहती थी। पानी के अभाव में कई दिनों तक लोग नहा नहीं पाते थे।

वर्ष 2015 में मकसूद बकरियों को पानी पिलाने नूरी नगर से आगे डीवीसी के निर्माणाधीन ऐश पौंड के बायीं ओर जंगल में गया था। जंगल में एक छोटा सा नाला बह रहा था जिसमें पहाड़ से पानी उतर रहा था। मकसूद के मन में उस स्रोत से आ रहे पानी को चेकडैम बनाकर जमा करने का आइडिया आया। धुन के पक्के मकसूद ने यह काम खुद करने की जिद पकड़ ली। खुद के से एक कुदाल, एक गमला और एक गैंता खरीदा और पानी के स्रोत के आसपास की मिट्टी को काटने में जुट गया। असंभव से दिखने वाले काम को बिना किसी की सहायता के करते देख उसकी मां मसूरन खातून, पत्नी जुबैदा खातून समेत नूरीनगर के ग्रामीणों ने उसे पागल करार दे दिया था। लोगों के तानों से बेपरवाह मकसूद मिट्टी काटता रहा और उस मिट्टी व जंगल से जमा किए गए पत्थरों से बांध बनाता गया। धीरे-धीरे जब मकसूद का प्रयास रंग लाने लगा तो उसकी पत्नी जुबैदा भी घर के काम से फुरसत मिलने पर हाथ बंटाने लगी।

मकसूद ने डीवीसी के निर्माणाधीन ऐश पौंड में दिहाड़ी पर काम भी करता है। काम से समय निकालकर वह अपने प्रयास को रंग देने में लगा रहा। मकसूद की लगन व मेहनत चार वर्षों में रंग लायी और लगभग बीस फीट ऊंचा और सौ मीटर लंबा चेकडैम बनकर तैयार हो गया। मकसूद के बनाये चेक डैम में वर्तमान में 6 फीट स्वच्छ पानी जमा रहता है। उसने चेक डैम से पानी निकासी का एक छोटा सा नाला भी बना रखा है जिससे पानी पूरी तरह स्वच्छ रहता है। मकसूद के बनाये गये चेक डैम में वर्तमान में नूरी नगर व हरिजन मुहल्ला के लगभग 400 सौ की आबादी स्नान व कपड़े धोने का काम करती है। मवेशियों के पीने समेत पानी की अन्य दैनिक जरूरतें भी इसी चैकडैम सी पूरी हो जाती हैं। मकसूद ने पर्यावरण संरक्षण का भी काम किया है। मकसूद ने जब चेकडैम बनाना शुरू किया तो आसपास के जंगलों में लोगों को पेड़ काटने भी नहीं दिया। आज चेक डैम के किनारे व आसपास बड़ी संख्या में सखुआ एवं सागवान के पेड़ हैं। मकसूद ने लोगों से अपील भी की है कि जलाशय की ओर खुले में शौच कर गंदगी न फैलायें। चार बेटियों का पिता मकसूद रोजगार के लिए अपने बनाये चेकडैम में मछली व बत्तख पालन करना चाहता है। इसमें उसे सरकार से मदद की आस है। पंचायत की मुखिया अंजू आलम का कहना है कि उन्होंने बेरमो बीडीओ को मकसूद के बनाये गए चेकडैम की जानकारी देकर मदद के लिए कहा है लेकिन इस दिशा में कोई प्रयास नहीं दिख रहा है।

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