अमित पाठक/विकास द्विवेदी, बहराइच
मुख्यालय गोंडा से लगभग 30 किलोमीटर कस्बा खरगूपुर के निकट स्थित पृथ्वीनाथ शिवमंदिर जो विश्व प्रसिद्ध सबसे बड़े शिवलिंग के रूप में जग विख्यात है ।
द्वापर युग में अज्ञातवास के दरम्यान महाबली
भीम द्वारा स्थापित शिवलिंग के बाद पुनः बने देवीपाटन मंडल के पौराणिक पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर पर गुरुवार दोपहर एक बजे अचानक तड़तड़ाहट के साथ आकाशीय बिजली गिर पड़ी। इस घटना में मंदिर का एक हिस्सा आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। पृथ्वीनाथ महादेव की कृपा रही कि आकाशीय बिजली गिरने से मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं का बाल भी बांका नहीं हुआ। सूचना मिलते ही प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जायजा लिया , मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। मंदिर प्रशासक जिलाधिकारी डा नितिन बंसल ने शीघ्र मरम्मत के निर्देश दिए हैं।
संवाददाता ने महंत जगदंबा प्रसाद तिवारी से उपर्युक्त संदर्भ में बात की तो उन्होंने बताया कि गुरूवार दोपहर एक बजे बारिश के दौरान तेज बिजली कड़कते हुए मंदिर के एक भाग पर जा गिरी उस समय पुजारी और श्रद्धालु मंदिर के भीतर थे अचानक बिजली गिरने से मंदिर का पूर्वी- उत्तरी कोना क्षतिग्रस्त हो गया हालांकि इससे मंदिर में कोई विशेष हानि नहीं हुई, आकाशीय बिजली इतनी तेज थी कि मंदिर में बैठे लोग सहम गये। उनके मुताबिक मंदिर के आसपास धुंए जैसा छा गया , इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ध्वस्त हो गए, महंतजी का कहना है कि मंदिर के सभी पुजारी कजरी तीज की तैयारी को लेकर बात कर रहे थे तभी यह घटना हुई। उन्होंने कहा कि जिसके नाथ भोलेनाथ हो उसे कोई अप्रिय घटना नहीं हो सकती। बाबा भोलेनाथ ने इस आकाशीय बिजली को अपने में समाहित कर लिया। कभी विष पीकर नीलकंठ बने तो कभी भगीरथ के अनुरोध पर गंगा माता को जटा में उतार लिया ऐसे ही जीवंत उदाहरण के साथ पृथ्वीनाथ महादेव ने सबकुछ अपने आप मे समाहित कर भक्त जनों का मनोबल और आस्था को बढ़ा दिया, महंतजी ने कजरी तीज से पहले क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत की मांग की है।
आपको बता दे कि एक वर्ष पहले भी गिर चुकी है. आकाशीय बिजली वो भी एक बजे ही, फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार दिन में गिरी और इससे पूर्व रात्रि में, महंत जी ने बताया कि तब भी तमामों श्रद्धालु चैन से रात्रि विश्राम कर रहे थे और ऐसे ही पश्चिमी हिस्से पर गिरी थी ।
स्थानीय लोगों का कहना है कि साक्षात पृथ्वीनाथ महादेव का यहाँ निवास है, ऐसे ऐतिहासिक शिवलिंग के रख रखाव हेतु शासन को इस विश्वप्रसिद्ध मंदिर को संज्ञान में रखकर अतुल्य भारत की पहचान बनाने की सख्त आवश्यकता है जो पुरातत्व विभाग की धरोहर है ।