झारखण्ड

विस्थापितों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी, बुधवार को करेंगे अधिकारियों का घेराव

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बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार अंजाना 
बोकारो थर्मल स्थित पावर प्लांट में रोजगार की मांग को लेकर विस्थापित एवं स्थानीय समन्वय समिति तत्वाधान में विस्थापितों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल आंदोलन के दूसरे दिन मंगलवार को स्थानीय प्रबंधन के खिलाफ विस्थापित नेता जमकर आग उगले। आजसू पार्टी व गिरीडीह सांसद चंद्रप्रकाश चैधरी के द्वारा इस आंदोलन को समर्थन दिया है। जिससे आंदोलनकारियों को एक नयी ताकत मिल गयी है। अपनी हक-अधिकार की लडाई में इस बार विस्थापित व रैयत प्रबंधन के साथ आर-पार की मुड में दिख रहें है। प्रबंधन व बेरमो एसडीओ के आश्वासन के बाद भी कई महीनों से रोजगार की खातिर दर-दर भड़क रहें विस्थापित व रैयतों को सांसद चंद्रप्रकाश चैधरी गंभीर दिख रहें है। डीवीसी के प्रभारी चैयरमैन व बोकारो डीसी को पूरे मामले से अवगत कराए हैै। आंदोलन स्थल पर पहुंचे आजसू के केंद्रीय महासिव डाॅ. लंबोदर महतो, सांसद प्रतिनिधि दीपक कुमार महतो व प्रखंडध्यक्ष मंजूर आलम ने कहा कि विस्थापित व रैयतों का अधिकार है कि डीवीसी प्रबंधन इनलोगों को रोजगार दें।

जमीन देकर रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खाना विस्थापित व रैयतों के लिए अभिशाप है। रोजगार के लिए विस्थापित व रैयत भूख हड़ताल पर बैंठे है और डीवीसी के किसी भी अधिकारियों ने सुधि लेना मुनासिब नही समझें। चैयरमैन के साथ वार्ता होने के बाद ही इस आंदोलन को फूल स्टाॅप लगाया जाऐगा। बावजूद प्रबंधन नही विस्थापितों की आंदोलन के आगे नही झुकी, तो आगे की रणनीति तैयार है। विस्थापित समिति के केंद्रीय अध्यक्ष दिनेश्वर मंडल ने कहा कि वर्ष 1991 से डीवीसी प्रबंधन के साथ गिरीडीह के तत्कालीन सांसद स्व. बिनोद बिहारी महतो के समक्ष त्रिपक्षीय वार्ता पर सूचीबद्व 85 विस्थापितों को रोजगार देने पर सहमति बनी थी। लेकिन 28 वर्ष बीत जाने के बाद भी सूचीबद्ध 85 विस्थापित व रैयतों को रोजगार नसीब नहीं हो रहा है। प्लांट के वार्षिक रख-रखाव के कामों में अधिकारी व ठेकेदार अपने-अपने रिश्तेदारों को मद्रास, बंगाल, बिहार आदि दूसरे राज्यों से बुलाकर काम करवा रही है और रहने के लिए डीवीसी का आवास दिया गया है। विस्थापितों के लिए आवास तो दूर रोजगार के लिए भूख हड़ताल आंदोलन करने पर विवश है। 16 अक्टूबर को अधिकारियों का घेराव व 17 अक्टूबर को डीवीसी प्लांट के मुख्य द्वार के समक्ष विस्थापित आत्मदाह करेंगे। जिसकी पूरी जिम्मेवारी डीवीसी के स्थानीय प्रबंधन की होगी। भूख हड़ताल आंदोलन में ताहिर हुसैन, रवि कुमार तुरी, जगदीश यादव, शैलेश पटवा, अमृत गोप, विशेषवर राम, अब्दुल गफूर, असगर अली, डीलू महतो व मिन्हाज आलम सहित दस विस्थापित शामिल है। सभी का तबीयत बिगड़ रही है, मगर प्रबंधन ने किसी डाॅक्टर से जांच कराने नही भेजा है। इससे प्रबंधन की मनोदशा यही दर्शाती है कि आंदोलनकारी मर जाए और उनके परिवार सड़क पर भीख मांगे। इस भूख हड़ताल आंदोलन के समर्थन में मजदूर नेता गणेश राम, विरेंद्र साव, सरयू ठाकुर, मनोज महतो, सुरेद्र महतो, चंद्रिका महतो, जितेंद्र यादव, सुल्तान अंसारी, तिलक महतो, जागेश्वर महतो, मुबारक अंसारी सहित राजाबाजार, नयी बस्ती, नुरीनगर, गोबिंदपुर व पटवा बस्ती के विस्थापित सहित सैकड़ों बेरोजगार शामिल है। इधर, प्रबंधन का कहना है कि प्लांट में विस्थापितों को हमेशा कामों पर प्राथमिकता दी जाती है। काम के अभाव में कुछ महीनों से बाहर बैठे है।

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