झारखण्ड

जारंगडीह: ढोरी माता का वार्षिक महोत्सव, शोभा यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु हुए शामिल

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बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार अंजाना 
बोकारो जिला के बेरमो प्रखंड अंतर्गत जारंगडीह स्थित ढोरी माता तीर्थालय के दो दिवसीय वार्षिक महोत्सव बडी धूमधाम से शनिवार से शुरू हुआ। पहले दिन ढोरी माता तीर्थालय से ढोरी माता की शोभा यात्रा निकाली गई।

शोभा यात्रा का नेतृत्व हजारीबाग के घर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष आनंद जोजो डीडी कर रहे थे। इसके अलावा सेवा दल के साथी भी मौजूद थे। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर शोभा यात्रा में शामिल हुए। शोभा यात्रा ढोरी माता तीर्थालय से निकल कर जारंगडीह परियोजना के उत्खनन विभाग के मुख्य द्वार तक गई। फिर वहां से पुनः यात्रा तीर्थालय पंहुची। जहां लोगों ने ढोरी माता का दर्शन कर मन्नत मांगी। यहां श्रद्धालुओं ने तीर्थालय में आकर पूजा-अर्चना की।

यहां पर पल्ली पुरोहित ने मिस्सा पूजा व प्रार्थना करवाई। जिसमंे हजारांे महिला-पुरुषों ने भाग लिए। ढोरी माता तीर्थालय वार्षिक महोत्सव में प्रत्येक वर्ष अक्टूबर माह के अंतिम शनिवार व रविवार को मनाया जाता है। वार्षिक महोत्सव में राज्य ही नहीं देश-विदेश के श्रद्धालू आकर पूजा-अर्चना करते हैं। यहां दो दिनों तक मेला लगता है। मेले में तरह-तरह के स्टॉल लगाए जाते हैं। लोग मेले का जमकर लुत्फ उठाते हैं। वार्षिक महोत्सव में बोकारो थर्मल इंस्पेक्टर उमेश कुमार ठाकुर की ओर से सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए है। शोभा यात्रा में हजरीबाग धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष आंनद जोजो, के अलावे माईकल लकडा, फादर प्रदीप टोप्पो, नोर्बट लकडा के साथ पुरोहितगण, सिस्टर, प्रबंध समिति के लोग शामिल थे। मेले व महोत्सव को शांतिपूर्ण सफल को लेकर बेरमो एएसपी अंजनी अंजन जारंगडीह स्थित ढोरी माता वार्षिक महोत्सव की जायजा लिए। शोभा यात्रा के बाद श्रद्धालुओं की तांता मोमबती अगरबती जलाने के लिए लगी रही।
महोत्सव में दो दिनों तक मेला लगता है

शोभा यात्रा में हजरीबाग धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष बिशप आंनद जोजो के अलावा माईकल लकड़ा, फादर प्रदीप टोप्पो, नोर्बट लकड़ा के साथ पुरोहित गण, सिस्टर, प्रबंध समिति के लोग शामिल थे। शोभा यात्रा के बाद श्रद्धालुओ का तांता मोमबती एवं अगरबती जलाकर मनोकामना मांगने के लिए देखा गया। ऐसी मान्यता है कि ढ़ोरी माता का दर्शन कर श्रद्धालुओं के द्वारा सच्चे मन से मांगी गयी मुराद अवश्य ही पूरी होती है। यही कारण है कि दो दिवसीय वार्षिक महोत्सव में ईसाई धर्मावलंबियों के अलावा सभी धर्म के लोग दर्शन कर मुरादें मांगने आया करते हैं।
ढोरी माता की लकड़ी की प्रतिमा मिली थी
मान्यता है कि वर्षों पूर्व ढ़ोरी के कोयला खदान में एक खनिक के द्वारा कोयला काटने के दौरान ढ़ोरी माता की लकड़ी की प्रतिमा मिली थी। प्रतिमा के हाथ में एक शिशु के होने से इसे ढ़ोरी माता का नाम दिया गया। हिंदू धर्म में किसी भी देवी के हाथ में शिशु का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है इसलिए ईसाई धर्मावलंबियों ने इसे माता मरियम की संज्ञा दिया जिसकी गोद में प्रभु यीशु है।

उसी समय से प्रतिमा को ढ़ोरी माता तीर्थालय में स्थापित कर पूजा अर्चना की जाने लगी। प्रत्येक वर्ष अक्टूवर माह के अंतिम शनिवार एवं रविवार को वार्षिक समारोह मनाया जाता है। रविवार को प्रार्थना, मिस्सा पूजा एवं समारोही प्रवचन के बाद महोत्सव का समापन किया जाएगा।

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