झारखण्ड

संथाल आदिवासियों की धार्मिक धरोहर के रूप में विख्यात है लुगूबुरू घंटाबाडी

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रामचंद्र कुमार अंजाना, बोकारो थर्मल 

ललपनिया से लौटकर रामचंद्र कुमार अंजान
लुगूबुरू घंटाबाड़ी धर्मगढ़ में संतालियों का 19 वां दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय महाधर्म महोत्सव उदघाटन बतौर मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने द्वीप प्रज्वलित कर किया।

महोत्सव को संबोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि लुगूबुरू घंटाबाड़ी धर्मगढ़ इतिहासिक धार्मिक स्थल है। यहां धर्म व संस्कृति की अनुपम संगम है। इसे बचाए रखने के लिए सभी को आगे आना होगा। कहा कि हम सभी प्रकृति के पुजारी है प्रकृति को बचाना होगा। जनसंख्या बढ़ती जा रही है धरती का आकार सिमटता जा रहा है। समय के अनुरूप मानव को चलना होगा। हम सभी प्रकृति से प्यार करते हैं। भगवान पर अटूट विश्वास व श्रद्वा है। हम सभी अन्य धर्म के लोगों की तरह रोज-रोज मंदिर व मस्जिद नहीं जाते है। भगवान को एक कमरा में कैद कर नहीं रख सकते है। भगवान कण-कण में है। आदिकाल से ही आदिवासी प्रकृति की पूजा व इसकी रक्षा करते रहे हैं। इसे बचायें रखने में सहयोग करें। गलोबल वार्मिग का खतरा बढ़ता जा रहा है। पुरे विश्व में 11 करोड़ आदिवासी है। इन्ही लोगों के जिम्मे ही प्रकृति की रक्षा नहीं होगी। सभी लोगों को धर्म बनता है इस पर अपनी भागीदारी निभाने होगी। कहा कि हम सभी अपने आप को गौरवान्वित महसूस ना करे गांव के लोगों को शिक्षित करें उन्हे भी समाज में बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करंे। मिट्टी, देश, भाषा व संस्कृति को संजोए रखने के लिए आगे आना होगा। समाज में फैली कुरूतियों को पाटने के लिए शिक्षित करने की जरूरत है। कहा कि शिक्षा ही विकास की पूंजी है। आदिवासी भाई-बहनों को समाज को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षित होकर दूसरे को भी शिक्षित करें। आज लोग चांद व मंगल ग्रह में जा रहे हैं हमलोगों को भी इससे प्रेरणा लेनी होगी। यह धरती वीरों की है। यहां चांद-भैरव, सिद्धू-कान्हू, तिलका मांझी, भगवान बिरसा मुंडा एसे वीरों ने जन्म लिया।
कहा कि झारखंड में लुगूबुरू ही नहीं, बल्कि मंराग बुरू व छिन्नमस्तिका आदि स्थल है। मैं बचपन में लुगूबुरू की कथा दादा-दादी से सुना करती थी। पहले संसाधन नहीं रहने के चलते लोग यहां नहीं आ पाते थे, पर अब जब लोगों को संसाधन उपलब्ध होने लगा तो धर्मस्थल में दूर देश भी श्रद्वालु आने लगे।
आस्था का केंद्र लुगु बुरु जरूर आएं
आस्था का केंद्र लुगुबुरु में सभी श्रद्धालु को हर बार आकर पूजा अर्चना करने की सलाह दी है। माननीया राज्यपाल ने कहा कि लुगुबुरु में अवश्य आएं। विकास अंधविश्वास, सामाजिक कुरीतियों को रोकना होगा। नियमों का पालन हमे ही करना होगा। स्वयं के ताकत से प्रयास करना होगा। बढ़चढ़कर हिस्सा लें। छूटे हुए को शिक्षा से जोड़ना होगा।


और भी जानें लुगुबुरु आस्था के बारें में
लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगाढ़ सदियों से संथाल आदिवासियों की आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित है। यह संथाल आदिवासियों के गौरवशाली अतीत सांस्कृतिक-धार्मिक आस्था से जुड़ा है। देश एवं विदेशों में रह रहे संथाली प्रत्येक वर्ष अपने आराध्य देवता के रूप में लुगू बाबा की पूजा- अर्चना करते हैं। पहाड़ की तलहटी पर ऐतिहासिक लुगू बुरु घंटा बाड़ी धोरोम गाढ़ दोरबार चट्टानी अवस्थित है। इस चट्टान पर सदियों पूर्व संथालों के पूर्वजों ने लुगू बाबा की अध्यक्षता में 12 वर्षों तक लगातार विचार-विमर्श कर संथाल समाज के सामाजिक प्रथा एवं रीति रिवाज की रचना की थी एवं संविधान बनाया था। यहां आज भी सोहराय कुणामी (कार्तिक पूर्णिमा) के अवसर पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन होता है। इस महासम्मेलन को झारखंड राज्य का राजकीय महोत्सव होने का गौरव प्राप्त है।

महासम्मेलन में सामाजिक उत्थान, भाषा साहित्य, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं शिक्षा के विकास हेतु चर्चा की जाती है। इस महासम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए देश-विदेश से लाखों की तादाद में संथाल श्रद्धालु आते हैं और लुगू बाबा का दर्शन कर मन्नत मांगते हैं। पहाड़ की ऊंची चोटी पर ऐतिहासिक गुफा श्धीरी दोलानश् अवस्थित है। इसी गुफा के अंदर लुगू बाबा विराजमान हैं। यहां तक पहुंचने के लिए दोरबार चट्टानी से 7 किलोमीटर का दुर्गम रास्ता तय करना पड़ता है। यहां प्रत्येक अमावस्या और पूर्णिमा सहित सालों भर श्रद्धालुओं का आगमन होता रहता है। यहां संथालियों का अंतरराष्ट्रीय सरना धर्म सम्मेलन औपचारिक रूप से 2001 में शुरू किया था।

महामहिम संताली भाषा में लुगूबुरू पर गीत के माध्यम से अर्चना की। महामहिम ने दरवार चट्टानी में पूजा अर्चना कर माथा टेक क्षेत्र व राज्य के सुख-समृद्धि की कामना की । समिति के सदस्यों के द्वारा पूष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। उत्तरी छोटानागपुर के आयुक्त अरबिन्द कुमार ने स्मृति चिन्ह देकर उन्हें स्वागत किया। महोत्सव समिति के अध्यक्ष बाबुली सोरेन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। सचिव लोबिन मुर्मू ने चार सूत्री स्मार पत्र सौंपा। इस अवसर पर उप विकास आयुक्त रवि रंजन मिश्रा, एसी बिजय कुमार गुप्ता, एसपी पी मुरूगम, एसडीएम प्रेम रंजन, टीवीएनएल के एमडी अरविंद कुमार, एएसपी अभियान उमेश कुमार, एसडीओपी अंजनी अंजन, बीडीओ मोनी कुमारी, सीओ ओमप्रकाश मंडल, टीटीपीएस के जीएम सह मुख्य अभियंता घनश्याम कुमार, जयराम हंसदा आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

आदिवासियों की आस्था का केंद्र है लुगूबुरु-दिशोम गुरू
पूर्व मुख्यमंत्री सह झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने कहा कि लुगूबुरु आदिवासियों की आस्था का केंद्र है। लाखों श्रद्धालु यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा में आते हैं और लुगूबाबा की पूजा-अर्चना करते हैं। दोरबारी चट्टान स्थित मंदिर में अपने आराध्य देव की लुगूबाबा की पूजा अर्चना की और क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना की। विधायक बबिता देवी ने भी लुगू बाबा के समक्ष माथा टेका तथा क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनी रहे। इसकी कामना की। विधायक जगरनाथ महतो व गोमिया के पूर्व विधायक योगेन्द्र प्रसाद ने भी माथा टेका। कहा लोगों का विश्वास लुगू बाबा के प्रति बढी है। लोगों का हर मनोकामना पूर्ण हो, क्षेत्र में सुख शांति बनी रहें यही कामना करते हैं। दिशोम गुरू के साथ गोमिया के पूर्व विधायक योगेन्द्र प्रसाद, झामुमो जिलाध्यक्ष हीरालाल मांझी, प्रखंडध्यक्ष लुदू मांझी, पूर्व विधायक के अनुज भरत महतो, तुलसी महतो, प्रभात कुमार, अनिल हांसदा, दिनेश मुर्मू, रामकुमार सोरेन सहित कई लोग थे।

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