नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
एक दिन पहले उद्योगपति राहुल बजाज ने एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष देश में डर का माहौल होने का मुद्दा उठाया था| इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष राहुल बजाज के समर्थन में आकर खड़ा हो गया और सरकार की भी खूब फजीहत हुई | इसके अगले ही दिन भाजपा के सांसद अजय टेनी मिश्रा ने संसद में बजाज को लेकर एक हैरान करने वाला खुलासा कर दिया| अजय मिश्रा के इस खुलासे के बाद एक नई बहस छिड़ गई है कि क्या वाकई में देश में डर का माहौल है या फिर राहुल बजाज किसी और कारण से डरे हुए हैं? इसके लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि राहुल बजाज कौन हैं और उनका कारोबार क्या है?
दरअसल, राहुल बजाज बजाज समूह के चेयरमैन और 40 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं| उनकी कई चीनी मिलें भी हैं जिनका खुलासा भाजपा सांसद अजय मिश्र ने सदन में किया है| उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से सांसद अजय मिश्रा ने कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र में कुल 10 बड़ी चीनी मिलें हैं जिनमें से तीन चीनी की मिलें राहुल बजाज परिवार की है| उन्होंने कहा कि बजाज परिवार की चीनी मिलों पर पिछले 2 सालों के दौरान किसानों से गन्ना खरीद का लगभग 10,000 करोड़ रुपए का बकाया बाकी है| जिसका भुगतान बजाज परिवार की ओर से नहीं किया गया है| उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर चीनी मिलों के खिलाफ सख्ती बरती हुई है| इस सख्ती की चपेट में बजाज समूह की चीनी मिलें भी आ रही हैं|
सांसद ने कहा कि गन्ना किसानों का भुगतान न करने वाली चीनी मिलों के खिलाफ यूपी सरकार की ओर से कड़ी कार्रवाई की जा रही है. कार्रवाई की आंच बजाज परिवार तक पहुंचनी भी तय है. जिसका डर राहुल बजाज को सता रहा है. इसीलिए उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष देश में डर का माहौल होने की बात कही| अजय ने कहा कि राहुल बजाज भाजपा सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं|
उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी की 3 चीनी मिलों के मालिक होने के नाते राहुल बजाज का भयभीत होना स्वाभाविक है| यह अच्छी बात है और उन्हें भयभीत होना भी चाहिए क्योंकि गन्ना किसानों का बकाया डकारने की इजाजत भाजपा सरकार किसी को नहीं देगी| राहुल बजाज के खिलाफ भाजपा सांसद के इस बयान पर विपक्ष अजय मिश्रा का विरोध करता नजर आया लेकिन मीनाक्षी लेखी ने अजय मिश्र को बोलने की पूरी इजाजत दी|
वहीं, सदन में विपक्ष के कुछ नेताओं ने कहा कि अब उस चीनी कंपनी का नाम बदल चुका है| जिस पर अजय मिश्र ने जवाब दिया कि नाम बदलने से गलत काम सही नहीं हो जाता| गौरतलब है कि देश की प्रमुख चीनी उत्पादक कंपनियों में बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड का नाम भी शामिल है| वर्ष 1931 से लेकर 1988 तक इस कंपनी का नाम हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड था लेकिन 1988 में इसका नाम बदलकर बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड कर दिया गया| इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन राहुल बजाज के भाई शिशिर बजाज के पुत्र कुशाग्र बजाज हैं| उत्तर प्रदेश में बजाज की कुल 14 चीनी मिलें हैं|
अब सवाल यह उठता है कि क्या वाकई 10,000 करोड़ रुपए दबाने के कारण राहुल बजाज का डर सामने आया है या फिर इन आंकड़ों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है| विजय माल्या और नीरव मोदी के बाद कहीं अगली बारी राहुल बजाज की तो नहीं? राहुल बजाज का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब झारखंड में पहले चरण के चुनाव हो चुके हैं लेकिन अन्य चरण अभी बाकी हैं. साथ ही दिल्ली में भी चुनावी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. ऐसे में संभव है कि राहुल बजाज का बयान राजनीति से प्रेरित हो. क्योंकि राहुल बजाज राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं और वह पहले राहुल गांधी की तारीफ भी कर चुके हैं. ऐसे में राहुल बजाज खुद भी सवालों के घेरे में आ गए हैं. लेकिन बेरोजगारी, विकास और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर फेल साबित हो रही मोदी सरकार की धूमिल होती छवि के लिए राहुल बजाज का यह बयान आग में घी का काम कर रहा है.
अगर भाजपा सांसद द्वारा सदन में पेश किए गए आंकड़े सही हैं तो उत्तर प्रदेश सरकार को बजाज की सभी चीनी मिलों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए| अगर भाजपा सरकार ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करती है तो निश्चित तौर पर उसकी छवि पर विपरीत असर पड़ेगा| यह पहला मौका नहीं है जब किसी ने देश में डर का माहौल होने की बात सार्वजनिक रूप से कही है| पहले भी कई पत्रकारों को सच लिखने की कीमत चुकानी पड़ी है| फिर चाहे वह मिर्जापुर के पत्रकार हों, सीतापुर के पत्रकार हों, नोएडा के पत्रकार हों या फिर गाजियाबाद के| पहले के मामले इसलिए दब गए क्योंकि पत्रकार आर्थिक तौर पर उतने संपन्न या मजबूत नहीं थे लेकिन राहुल बजाज देश के बड़े उद्योगपति हैं इसलिए उनके द्वारा कही गई बात को गंभीरता से न सिर्फ लिया गया बल्कि पूरा विपक्ष उनके साथ एकजुट होकर खड़ा नजर आया| राहुल के बयान को कुछ उद्योगपतियों का भी साथ मिला है.
भले ही राहुल बजाज का डर किसी और कारण से हो लेकिन सरकार के खिलाफ बोलने या लिखने को लेकर निश्चित तौर पर एक डर का माहौल बना हुआ है| फिर चाहे वह कश्मीर का मसला हो या फिर कोई और| खास तौर से मुस्लिम समुदाय में एक तरह का खौफ घर कर चुका है. ऐसा नहीं है कि सरकार के खिलाफ इस डर की वजह से कुछ भी लिखना या बोलना बंद हो चुका है| लेकिन फिलहाल जो भी लिखना या बोलना सरकार के खिलाफ हो रहा है वह बहुत ही छोटे स्तर पर किया जा रहा है|
अगर राहुल बजाज जैसे उद्योगपति को भी यह डर सता रहा है तो निश्चित तौर पर कहीं ना कहीं सकारात्मक बदलाव का एक सफर भी शुरू हो चुका है| लेकिन डर के साये में यह सफर मंजिल का फासला किसी भी सूरत में तय नहीं कर पाएगा. गन्ना किसानों की बात हो या फिर आम आदमी के अधिकारों की बात हो दोनों ही सूरत में जनता के हितों से खिलवाड़ करने वालों का भयभीत होना जरूरी है तभी आम आदमी को इंसाफ मिल पाएगा| राहुल बजाज के डरने एक बात तो स्पष्ट कर दी है कि अब किसानों का पैसा दबाकर ज्यादा देर तक रखा नहीं जा सकेगा| लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस पर मंथन करने की आवश्यकता जरूर है कि देश में जिस तरह का डर का माहौल बनाया जा रहा है वह आगे न बनाया जा सके| जहां डर का माहौल है उसे भी ठीक करने का प्रयास सरकार की ओर से किया जाना चाहिए| सरकार को जरूरत है कि वह अपनी आलोचनाओं से सबक ले और सही दिशा में आगे बढ़े न कि आलोचनाओं को दबाने का प्रयास करें| तभी स्वस्थ लोकतंत्र में सही मायनों में जनता का वो राज स्थापित किया जा सकेगा जिसका सपना चुनावी भाषणों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने दिखाया था.