वैलेंटाइन डे को लोग अब भारत में भी धूमधाम से मनाने लगे हैं लेकिन प्यार से ज्यादा यह त्योहार और लोगों का प्यार सिर्फ व्यापार बनकर रह गया है. इस प्यार का गूढ़ रहस्य समझाते हुए विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य नरेश नाथ ने जनमानस के नाम एक नाथ का संदेश प्रेषित किया है. अपनी फेसबुक वॉल पर शेयर किये गये संदेश में नरेश नाथ लिखते हैं-
‘जय गुरु गोरखनाथ’
“यह दिन पश्चिमी सभ्यता के हिसाब से प्यार का दिन माना जाता है. वैसे तो हर दिन ही प्यार के काबिल है फिर भी इस दिन पर गुरु नाथ की आज्ञा से मैं यह कहना चाहता हूं कि जैसे आप एक शरीर रूपी आत्मा से प्यार करते हैं और फिर उससे इच्छा रखते हैं कि वह भी आपको प्यार करे लेकिन इस नश्वर संसार में यह प्यार जो शरीर से शरीर को होता है, यह सात फेरे लेने पर भी एक-दूसरे का जन्म जन्म तक साथ नहीं दे सकता, परंतु उस ईश्वर के साथ प्यार करें. उसका साथ तो ऐसा है “बिन फेरे हम तेरे” वह ईश्वर हमसे सिर्फ विश्वास और प्यार मांगता है और बदले में जन्म जन्मांतर का साथ देने का वचन देता है.
भौतिक संसार में आज मध्यम वर्ग का हर प्राणी दैनिक जरूरतों को पूरा करते-करते ही प्यार नाम की चीज से बहुत दूर चला गया है. आजकल 40 से 50 के बीच में आयु वालों की मृत्यु दर बढ़ गई है क्योंकि खर्चे अधिक हैं. बच्चों की जरूरतें ज्यादा हैं, स्त्रियां खर्च करते समय सोचती नहीं हैं. कमाने वाला एक पैसे की जरूरतों को पूरा करते-करते हार्ट अटैक को प्राप्त हो रहा है. कारण है कि जिस दिल में प्यार और भक्ति होनी चाहिए थी वहां पर सिर्फ पैसा- पैसा- पैसा यही रह गया और दिल खाली हो गया. इसलिए जब दिल खाली होता है तो वहां मिट्टी रह जाती है और वह मिट्टी में मिल जाता है.
मेरी हर जनसाधारण से विनती है कि इस वैलेंटाइन डे पर आप शपथ लें की साधारण जरूरतों के साथ हम जिंदगी को खुशी से मनाएंगे. इससे ही समाज में शांति आएगी और अस्थिरता दूर होगी. लालच इंसान का शत्रु है. लालच से हर तरह का विकार पैदा होता है. जरूरतों को कम करें जिंदगी स्वर्ग हो जाएगी.
हर दिन वैलेंटाइन डे की तरह आप मनाएंगे पति और पत्नी विश्वास की जिंदगी जियो न कि व्यापार की.
युवा वर्ग से भी मेरी यही विनती है कि प्यार को व्यापार मत बनाएं. जिंदगी नरक बन जाती है.
आज हर व्यक्ति जरूरत को प्यार बना कर बैठ गया है जिससे जिंदगी नरक बना गई है.
अपने प्यार को प्यार बनाएं, जरूरतों को कम करें, हर दिन वैलेंटाइन डे बनाएं.
जय गुरु गोरखनाथ.”