पंजाब

कांग्रेस जिला अध्यक्ष के बेटे को हत्या के प्रयास के झूठे मामले में फंसा दिया विधायक ने, 4 महीने बाद भी जांच पूरी नहीं कर सकी पुलिस

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नीरज सिसौदिया, जालंधर

जालंधर में कांग्रेस विधायक की निजी रंजिश पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बनती जा रही है| सियासी उठापटक तक तो ठीक था लेकिन अब बात अपनी ही पार्टी के नेताओं के परिजनों पर फर्जी मुकदमा दर्ज करवाने तक आ पहुंची है. कांग्रेस के राज में अगर कांग्रेस के जिला अध्यक्ष के बच्चों पर ही फर्जी मुकदमे दर्ज होने लगेंगे तो बेचारे कार्यकर्ताओं का क्या होगा.

एक तरफ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस से ही जालंधर वेेस्ट के विधायक सुशील कुमार रिंकू| रिंकू और कांग्रेस जिला अध्यक्ष बलदेव सिंह देव की सियासी रंजिश वैसे तो जगजाहिर है लेकिन अब पानी सिर से ऊपर निकलता नजर आ रहा है| बलदेव सिंह देव ने विधायक सुशील रिंकू पर आरोप लगाया है कि रिंकू ने उनके बेटे को हत्या के प्रयास के झूठे मुकदमे में फंसाकर पर्चा दर्ज करवा दिया है| हैरानी की बात तो यह है कि 4 महीने में एडीसीपी तक बदल गए लेकिन पुलिस इस मामले की जांच नहीं पूरी कर सकी है| मामला बस्ती मिट्ठू में हुए एक झगड़े का बताया जा रहा है|

दरअसल विधायक सुशील कुमार रिंकू और बलदेव सिंह देव की सियासी रंजिश का सूत्रपात तभी हो गया था जब रिंकू विधायक नहीं बने थे और वह बलदेव सिंह देव की तरह ही एक सामान्य पार्षद थे| बलदेव सिंह देव पूर्व मंत्री अवतार हैनरी के करीबी होने के कारण हमेशा से ही रिंकू की आंखों में खटकते रहे हैं| दिग्गज कांग्रेस नेता राणा गुरजीत सिंह के साथ रिंकू की नजदीकियों ने उन्हें पार्षद से विधायक तो बनवा दिया लेकिन रिंकू बलदेव सिंह देव से अपनी सियासी रंजिश को नहीं भूले| कांग्रेस की लहर में रिंकू विधायक बने और जब बारी नगर निगम चुनाव की आई तो उन्होंने बलदेव सिंह देव का टिकट ही कटवा डाला| यह वही बलदेव सिंह देव हैं जिन्होंने टिकट करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए रिंकू से 10 सवाल पूछे थे लेकिन रिंकू एक का भी जवाब नहीं दे सके| बलदेव सिंह देव का टिकट कटवाने के बाद रिंकू अपनी जीत की खुमारी में डूबे हुए थे तभी उन्हें बलदेव सिंह देव ने एक करारा झटका दे डाला| जालंधर नॉर्थ के विधायक बावा हेनरी, सेंट्रल विधानसभा सीट से विधायक राजेंद्र बेरी और जालंधर कैंट से विधायक परगट सिंह के समर्थन में बलदेव सिंह देव को कांग्रेस का जिला अध्यक्ष बना दिया गया और रिंकू खेमा चारों खाने चित हो गया| यह बात रिंकू को हजम नहीं हुई क्योंकि रिंकू अपने करीबी को इस कुर्सी पर बिठाना चाहते थे.लेकिन कहावत है कि खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे. रिंकू की हालत भी उसी बिल्ली की तरह हो चुकी थी जिसके पास खंभे से सिर टकराने के अलावा कोई रास्ता नहीं था. नतीजा यह हुआ कि बलदेव सिंह देव से रिंकू की नाराजगी और भी बढ़ती गई| जिला अध्यक्ष बनने के बाद बलदेव सिंह देव ने सोचा कि शायद रिंकू अब उनसे सियासी रंजिश भुला दें लेकिन रिंकू को देव का बढ़ता हुआ कद रास नहीं आ रहा था| दरअसल, जालंधर जिला कांग्रेस के तहत 4 विधानसभा सीटें आती हैं| जिला कांग्रेस के तहत विधायक तो चार आते हैं लेकिन जिला अध्यक्ष सिर्फ एक ही होता है| ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि राजनीतिक तौर पर बलदेव सिंह का सियासी कद रिंकू से 4 गुना ज्यादा बढ़ गया था| अब जिस बलदेव सिंह देव को रिंकू ने पार्षद तक नहीं बनने दिया था वह रिंकू से 4 गुना ऊपर के पद पर बैठ गए| यह बात रिंकू को कैसे रास आ सकती थी| देव ने हुकुम का इक्का फेंका तो रिंकू समर्थकों में भी हलचल बढ़ने लगी| यह बात हर कोई जानता है कि रिंकू की राणा गुरजीत सिंह से नज़दीकियां होने के कारण वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के भी करीबी माने जाते हैं| जालंधर की पुलिस रिंकू के इशारे पर पहले भी नाचती रही है| इसका उदाहरण रिंकू ने एक आईपीएस अफसर का तबादला करवा कर दे भी दिया था| यही वजह है कि सियासत में बलदेव सिंह देव से मुंह की खाने के बाद अब रिंकू उनके बच्चों पर हमले करने पर उतर आए हैं| इसकी पुष्टि स्वयं बलदेव सिंह देव और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व पार्षद प्रदीप राय ने की है| बताया जाता है कि विगत 19 फरवरी को बस्ती मिट्ठू में गुरुद्वारे के पास कुछ लोगों के बीच झगड़ा हो गया था| मामला बढ़ता इससे पहले ही दोनों पक्ष शांत हो गए थे| आरोप है कि रिंकू ने एक पक्ष के सरबजीत नामक युवक को अपने झांसे में ले लिया और फिर एक फर्जी कहानी की शुरुआत हुई| मुकदमा दर्ज करवाने वाले का कहना है कि उसके साथ मारपीट तो 10-12 लोगों ने की थी लेकिन वह सिर्फ देव के बेटे को ही पहचानता है और किसी को नहीं पहचानता. हैरानी की बात है कि जो पुलिस 4 महीने तक मामले की जांच पूरी नहीं कर सकी है उसने आधे घंटे में ही मुकदमा दर्ज कर दिया| बताया जाता है कि उक्त थाने के प्रभारी रिंकू की सिफारिश पर ही तैनात किए गए हैं जिस वजह से पुलिस कमिश्नर के निर्देशों के बावजूद मामले की जांच पूरी नहीं हो सकी| हैरानी की बात है कि सत्ताधारी पार्टी के जिला अध्यक्ष के घर पर ही पुलिस रेड मारने पहुंच गई| कांग्रेस के भविष्य के लिए यह शुभ संकेत नहीं है| बताया जाता है कि बलदेव सिंह देव के सुपुत्र मनप्रीत सिंह उर्फ मंगा के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवाने वाले सरबजीत ने पहले एमएलआर कटवाने के लिए सिविल अस्पताल का रुख किया था लेकिन वहां से उन्हें लौटा दिया गया और फर्जी एमएलआर बनाने से इंकार कर दिया गया तो वह जोहल अस्पताल में जाकर भर्ती हो गए और वहां से फर्जी एमएलआर का ताना-बाना बुना| इसके बाद मनप्रीत सिंह उर्फ मंगा के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 307 295 148 149 23 और 24 के तहत एफआईआर भी दर्ज कर ली| इसके बाद बलदेव सिंह देव और प्रदीप राय ने पुलिस कमिश्नर से मुलाकात करके मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की| इस पर पुलिस कमिश्नर ने तत्कालीन एडीसीपी-2 परमिंदर सिंह को मामले की जांच कर निष्पक्ष रिपोर्ट बनाने को कहा| इसके बाद लॉकडाउन लग गया और पुलिसिया जांच फाइलों में ही उलझ गई| सूत्र बताते हैं कि रिंकू के करीबी होने के कारण परमिंदर सिंह ने जांच की फाइल ही दबा दी.  इसी बीच एडीसीपी-2 परमिंदर सिंह का तबादला हो गया और उनकी जगह पर अश्विनी कुमार को एडीसीपी-2 बनाया गया| बलदेव सिंह देव और प्रदीप राय ने लगभग 15 दिन पहले अश्विनी कुमार से मिलकर मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी कराने को कहा| इस पर अश्विनी कुमार ने उन्हें निष्पक्ष जांच जल्द ही पूरी करने का आश्वासन दिया| लेकिन हैरानी की बात है कि 15 दिन बीतने के बावजूद अश्विनी कुमार अभी तक मामले की जांच पूरी नहीं करवा सके हैं| फिलहाल कमिश्नर के आदेश फाइलों की ही शोभा बढ़ा रहे हैं. जब आला अधिकारी ही इस तरह की लापरवाही करेंगे तो फिर आम जनता को इंसाफ कैसे मिलेगा यह चिंतनीय विषय है| सूत्र बताते हैं कि मामले की जांच को लटकाने की सबसे बड़ी वजह कांग्रेस विधायक सुशील कुमार रिंकू हैं| बताया जाता है कि बलदेव सिंह देव के बेटे को फंसा कर रिंकू चाहते हैं कि बलदेव सिंह देव उनकी शरण में आएं और बेटे की खातिर रिंकू के आगे हमेशा के लिए झुक जाएंं लेकिन बलदेव सिंह देव ने स्पष्ट कर दिया है कि रिंकू चाहे जितना जोर लगा ले वह कभी भी रिंकू के आगे घुटने नहीं टेकेंगे| कांग्रेस जिला अध्यक्ष के बेटे के खिलाफ चल रहे इस मामले ने जालंधर पुलिस की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं| अगर पुलिस भी एक विधायक के हुक्म की गुलाम बनकर रह जाएगी तो इंसाफ कौन दिलाएगा?

बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि दो दिग्गज कांग्रेसी नेताओं की लड़ाई में पार्टी की छवि कितनी धूमिल होती है? क्या बलदेव सिंह देव के बेटे को इंसाफ मिल सकेगा?

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