नीरज सिसौदिया, जालंधर
जालंधर वेस्ट विधानसभा हलका इन दिनों अपराध और अवैध कारोबार का गढ़ बन चुका है. अपराधी जितने सुरक्षित इस विधानसभा हलके में हैं उतने शायद जालंधर के किसी और हलके में नहीं हैं. शराब का कारोबार तो यहां पहले से ही फल फूल रहा था अब दड़े सट्टे के कारोबार ने भी यहां के गरीबों की खून पसीने की कमाई लूटनी शुरू कर दी है. हैरानी की बात है कि अवैध कारोबार को जड़ से उखाड़ फेंकने का दावा करने वाले डीएसपी बलजिंदर सिंह की नाक के नीचे इस पूरे काले खेल को अंजाम दिया जा रहा है और पुलिस सो रही है. इन अवैध दुकानों को चलाने का लाइसेंस भी जालंधर वेस्ट के एक कद्दावर नेता के करीबी दे रहे हैं. अवैध दुकानों को लाइसेंस देने वाले कद्दावर कांग्रेस नेता के ये गुर्गे हर दुकान से तीस हजार रुपए प्रति माह की वसूली करके नेता की झोली में डाल रहे हैं. बस्ती बावा खेल से लेकर बस्ती पीरदाद तक इस काले खेल को अंजाम दिया जा रहा है और पुलिस भी बहती गंगा में हाथ धोती नजर आ रही है. जो अधिकारी इस नेता के इशारे पर नहीं नाचता उसे तबादले का नाच नचा दिया जाता है.
दरअसल, पंजाब सरकार की ओर से लॉटरी पूरी तरह बैन कर दी गई थी. लॉटरी बैन होने के बाद अवैध लॉटरी और दड़े सट्टे का काला कारोबार तेजी से फलने फूलने लगा. बात अगर जालंधर वेस्ट विधानसभा हलके की करें तो यहां दड़े सट्टे और अवैध लॉटरी की कुल 52 दुकानें संचालित की जा रही हैं. ये दुकानें बस्ती बावा खेल, बस्ती दानिशमंदां, बस्ती पीरदाद, बस्ती नौ आदि इलाकों में संचालित की जा रही हैं. इन सभी दुकानों को जालंधर वेस्ट के सबसे कद्दावर कांग्रेस नेता का संरक्षण प्राप्त है. सूत्र बताते हैं कि इस राजनेता के दो गुर्गे इन दुकानों से राजनीतिक संरक्षण देने के एवज में तीस हजार रुपए हर दुकान से प्रतिमाह वसूलते हैं और नेता की झोली में डालते हैं. नेता अपने गुर्गों को इसमें से हिस्सा देता है. सूत्र बताते हैं कि इनमें से एक गुर्गे को पिंकी चाचा कहा जाता है और दूसरे का नाम एलबी है. सूत्र यह भी बताते हैं कि इन दोनों ने बस्ती बावा खेल पुली स्थित शराब के ठेके के पास अपना ऑफिस भी बना रखा है. वहीं दड़े सट्टे का अवैध कारोबार भी खुलेआम चलता है लेकिन पुलिस इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती. सूत्र बताते हैं कि पुलिस का हिस्सा दुकान संचालक को अलग से निकालना पड़ता है. दड़े सट्टे की दुकान चलाने वालों में मनोज, कैलाश, प्रीतम और पिंटू समेत कई लोग शामिल हैं. ये लोग वेस्ट विधानसभा हलके के ही अलग-अलग इलाकों में दुकानें चलाते हैं. इनमें प्रीतम बस्ती दानिशमंदा तो एलबी और पिंटू लाभ सिंह नगर से ताल्लुक़ रखते हैं. वहीं पिंकी चाचा बस्ती बावा खेल में इस काले खेल को अंजाम दे रहा है.
हैरानी की बात तो यह है कि विधायक सुशील कुमार रिंकू ने कभी भी इस काले कारोबार के खिलाफ कोई कार्रवाई करवाना तो दूर आवाज उठाना तक मुनासिब नहीं समझा. विधायक की यह खामोशी उनके दामन को भी दागदार कर रही है. रिंकू की खामोशी उन पर सवालिया निशान खड़े कर रही है. कहीं इस पूरे खेल के पीछे रिंकू का हाथ तो नहीं? कहीं पिंकी चाचा और एलबी रिंकू के लिए ही तो दड़े सट्टे के कारोबारियों से अवैध वसूली नहीं कर रहे. कहीं वसूली का पैसा रिंकू को तो नहीं पहुंचाया जाता? अगर नहीं तो फिर रिंकू इस काले कारोबार के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाते? क्यों बस्ती बावा खेल जैसे थाने में कोई भी एसएचओ तीन-चार महीने से ज्यादा नहीं टिकने दिया जाता? डीएसपी बलजिंदर सिंह इन दुकानों को बंद कराने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहे? क्या खाकी भी दागदार हो चुकी है या फिर वह नेताओं के हाथों की कठपुतली बन चुकी है?
ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब जालंधर वेस्ट की जनता जानना चाहती है. अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जालंधर वेस्ट विधानसभा हलके के हर घर से एक अपराधी निकलेगा और इसके जिम्मेदार बलजिंदर सिंह जैसे लापरवाह पुलिस अफसर और सुशील रिंकू जैसे गैर जिम्मेदार विधायक होंगे. इसलिए जरूरी है कि इनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए.
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