इंटरव्यू

विरासत में मिली थी सियासत, कभी बीच सड़क पर लड़कों को पीटती है तो कभी बेबस बेटियों के लिए मसीहा बन जाती है, बेहद दिलचस्प है निष्पक्ष और निर्भीक भाजपा महिला मोर्चा की महानगर मंत्री प्रतिभा जौहरी की कहानी, पढ़ें स्पेशल इंटरव्यू

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प्रतिभा जौहरी समाजसेवा के क्षेत्र की एक ऐसी शख्सियत हैं जो पब्लिसिटी की बजाय काम में विश्वास रखती हैं. बेबस मासूमों को शिक्षा के मंदिर तक पहुंचाने से लेकर मनचलों को सबक सिखाने तक ऐसा कोई भी काम नहीं है जो प्रतिभा ने न किया हो. प्रतिभा को सियासत विरासत में मिली थी लेकिन उनके पति का राजनीति से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है. ऐसे में प्रतिभा को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा? दो साल पहले लड़कों के साथ मारपीट का एक वीडियो वायरल होने के बाद प्रतिभा सुर्खियों में आई थीं, क्या है वीडियो के पीछे की कहानी? बरेली की सबसे बड़ी समस्या वह किसे मानती हैं? बतौर भाजपा महिला मोर्चा महानगर मंत्री महिला सशक्तिकरण की दिशा में वह क्या प्रयास कर रही हैं? कैसा रहा प्रतिभा का अब तक का सफर? जानते हैं प्रतिभा जौहरी की कहानी उन्हीं की जुबानी, नीरज सिसौदिया के साथ इस खास मुलाकात में…
सवाल : आपका बचपन कहां बीता? शुरुआती शिक्षा कहां से हुई? परिवार में कौन-कौन है?
जवाब : मैं मूलरूप से रामपुर जिले की रहनेे वाली हूं. वहां जैन मंदिर में हमारा घर है. मेरी शुरुआती शिक्षा सरस्वती शिशु मन्दिर से हुई. फिर कन्या इंटर कॉलेज से 12वीं पास करने के बाद हिन्दी में एमए किया. फिर डबल एमए किया. डीएलएड किया, एनटीटी की और डीसीए भी किया. इस तरह कई डिग्रियां हासिल करती गई.
सवाल : क्या कोई राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि रही है आपकी?
जवाब : जी, सियासत तो मुझे विरासत में मिली है. मैं बचपन से ही संघ परिवार का हिस्सा रही हूं. मेरे पिता श्री निरंकार शरण सक्सेना शुरू से ही संघ से जुड़े रहे. ताऊ जी प्रचारक रहे. मां पुष्पा सक्सेना दुर्गा वाहिनी की अध्यक्ष रहीं और भाई एबीवीपी से जुड़े थे. घर में भी पूरा माहौल संघ वाला ही था. भाई के दोस्त लोग आते थे एबीवीपी वाले तो रात-रात में उठकर उनके लिए खाना बनाना जैसे काम हमी करते थे. वहीं से मन में एक सेवा भाव और समाज के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा हुआ. नेतृत्व करने का हुनर कॉलेज टाइम से ही था. क्लास में हमेशा मॉनिटर रहे. पर तब सोचा नहीं था कि इस तरह राजनीति में आना होगा.
सवाल : आप राजनीति जगत के साथ ही शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में भी पिछले काफी समय से सक्रिय हैं?
जवाब : जी, राजनीति में तो मुझे 15 साल हुए हैं पर शिक्षा के क्षेत्र में मैंने अपनी जिंदगी के बीस साल लगाए हैं और आज भी जुड़ी हुई हूं.
सवाल : शिक्षा का सफर कैसे शुरू हुआ?
जवाब : जैसा कि मैंने बताया आपको कि पढ़ाई का मुझे हमेशा से ही काफी शौक रहा. यही वजह रही कि मैंने इतनी सारी डिग्रियां हासिल कीं. शादी के बाद भी मैं पढ़ती रही. फिर मैंने एक ब्यूटी पार्लर खोला लेकिन मेरा मन तो पढ़ाई में था, ब्यूटी पार्लर में कैसे लगता? फिर एक दिन मेरे मन में आया कि मुझे शिक्षा जगत से ही जुड़ना है. तो मैंने पर्स उठाया और निकल पड़ी नौकरी की तलाश में. पूरा दिन बरेली के स्कूलों में भटकने के बाद मेरी मेहनत रंग लाई और शाम को ही मुझे जेबीएस इंटर कॉलेज शास्त्री नगर में मात्र 12 सौ रुपये की नौकरी मिली. इसके बाद सूरजभान डिग्री कॉलेज में मैं को-ऑर्डिनेटर के पद पर रही. चार साल वहां काम करने के बाद मैं नारायण इंस्टीयूट से जुड़ी और अब हैरो सीनियर सेकेंडरी स्कूल डीडी पुरम में प्रशासनिक अफसर के पद पर कार्यरत हूं.

मकर संक्रांति के मौके पर ग्रामीणों को भोजन वितरित करतीं प्रतिभा जौहरी.

सवाल : राजनीति में आना कब हुआ? महानगर मंत्री तक का सफर कैसे तय किया?
जवाब : जैसा कि मैंने बताया कि मेरा बचपन संघ से जुड़े लोगों के बीच ही बीता है. बचपन से मैं भी उसी माहौल में ढल गई थी. 1993 में पापा की डेथ हो गई और 1996 में मेरी शादी हो गई. शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हुए कई तरह की तकलीफों से जूझते लोगों को देखा तो लगा कि इन बेबस लोगों के लिए कुछ करना चाहिए. राजनीति में आए बिना यह संभव नहीं था. यही वजह रही कि वर्ष 2004 में मैंने भाजपा में बतौर टीबरीनाथ मंडल अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया. करीब सात आठ साल तक मैं मंडल अध्यक्ष रही. इसके बाद मेरे कार्यों और सेवा भाव को देखते हुए संगठन ने मुझे महानगर मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी. फिलहाल मैं इसी जिम्मेदारी को निभा रही हूं.
सवाल : आपने शिक्षा जगत को अपनी जिंदगी के बीस कीमती साल दिए हैं और समाजसेवा से भी जुड़ी हैं. बरेली में कई ऐसे इलाके हैं जहां के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. ऐसे बच्चों को शिक्षित करने की दिशा में आपने कोई प्रयास नहीं किया?
जवाब : गरीब और बेबस बच्चों, खास तौर पर महिला शिक्षा की दिशा में हमने काफी प्रयास किए और अभी भी कर रहे हैं. सेट्रल जेल के पास रहपुरा, मठ और परतापुर जैसे कई इलाके हैं जहां के बच्चे पढ़ाई नहीं करते थे. पेरेंट्स को भी उनकी पढ़ाई लिखाई से कोई लेना-देना नहीं होता था. फिर मैंने इन बच्चों को स्कूल लाने का प्रयास किया. हमने घर-घर जाकर पेरेंट्स को मोटिवेट किया. जिनके पास पैसे नहीं थे उन्हें फीस में रिलेक्शेशन दिलवाया. कुछ लोग ऐसे भी थे जो बागवानी करके गुजारा करते थे और चाहते थे कि उनके घर की लड़कियां बाहर न जाएं. ऐसे लोगों को यह समझाना बेहद मुश्किल था कि बेटियों के लिए शिक्षा कितनी जरूरी है. बार-बार समझाने के बाद हमारा प्रयास सफल हुआ. उन्होंने हमारी बातों को समझा और अपनी बेटियों को स्कूल भेजना शुरू किया.

कोरोना काल में मास्क और सैनेटाइजर बांटतीं प्रतिभा जौहरी.

सवाल : आप भाजपा महिला मोर्चा की महानगर मंत्री हैं. महिला सशक्तिकरण के लिए क्या प्रयास कर रही हैं?
जवाब : मैं भाजपा के साथ ही अखिल भारतीय चित्रांश महासभा की प्रेसीडेंट भी हूं. मानव सेवा क्लब से भी जुड़ी हूं और हाल ही में मैंने रुद्र भारत फाउंडेशन के नाम से अपना एक एनजीओ भी शुरू किया है जिसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और सशक्त बनाना है. मेरे एनजीओ से 40 महिलाओं की टीम जुड़ी है जो महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में प्रयासरत है. ये सभी लघु उद्योग के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास कर रही हैं. गांव-गांव तक इस मुहिम को पहुंचा रही हैं. बतौर भाजपा महिला मोर्चा महानगर मंत्री मैंने मोर्चा की महानगर अध्यक्ष इंदू सेठी जी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्री तक महिलाओं को स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ाने का मुद्दा उठाया है. अनाथ आश्रम की बच्चियों को आगे बढ़ाने के लिए हम प्रयासरत रहते हैं. समय-समय पर उनके साथ खुशियांं साझा करते रहते हैं. जिला प्रोबेशन अधिकारी नीता अहिरवार का हमें इस काम में पूरा सहयोग मिल रहा है.
सवाल : लगभग दो साल पहले आपका एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें आप बीच सड़क कुछ लड़कों को पीटती नजर आ रही थीं. ये नौबत क्यों आई?
जवाब : कुछ लोग ये समझते हैं कि नारी तो अबला है उसके साथ जो चाहे कर सकते हैं. वे भूल जाते हैं कि नारी अब अत्याचार बर्दाश्त नहीं करने वाली बल्कि अत्याचार के खिलाफ लड़ना और अपनी सुरक्षा करना भी जानती है. आप जिस वीडियो की बात कर रहे हैं वो शील चौराहे के पास टेंपटेशन के बाहर का है. दरअसल, जब लड़कियां पढ़ने जाती थीं तो दूसरे धर्म के कुछ लड़के रोजाना उन्हें परेशान करते थे. मुझे जब इसका पता चला तो मैंने उन्हें रंगेहाथों पकड़ कर पहले बीच सड़क पर सबक सिखाया और फिर पुलिस के हवाले कर दिया. लोगों को यह समझना होगा कि नारी अब अबला नहीं रही. जरूरत पड़ने पर वो दुर्गा और काली भी बन सकती है.

बेहतर सेवा के लिए प्राप्त प्रशस्ति पत्र के साथ प्रतिभा जौहरी.

सवाल : आप सिर्फ नारी का एक ही रूप देख रही हैं. कई बार यही नारी होती है जो कॉलगर्ल बनकर लोगों के घर उजाड़ देती है. पैसे के लिये रेप के झूठे आरोप तक लगा देती है. क्या ऐसी नारियों के खिलाफ आप कोई एक्शन लेगी?
जवाब : मेरी लड़ाई कमजोर और दबी कुचली महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के लिए है कॉलगर्ल या गलत काम करने वाली महिलाओं को भी मैं उसी तरह सबक सिखाती हूं जैसे मैंने उन मनचलों या झपटमारों को सिखाया था. हाल की ही बात है, एक लड़की एक मोहल्ले में गलत काम करती थी. मुझे जब उसके बारे में पता चला तो मैंने खुद उसे सबक सिखाया. इस पर सभी ने मेरे कार्य की सराहना की.
सवाल : आप पिछले करीब 24 साल से बरेली में हैं. बीस साल से शिक्षा के क्षेत्र में हैं और करीब 15 साल से भी अधिक समय से समाजसेवा कर रही हैं. वर्तमान में बरेली शहर की सबसे बड़ी जरूरत आप किसे मानती हैंं?
जवाब : रोजगार, बरेली शहर की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है. देखिए, आज जितनी भी मारामारी है वो सब रोटी से जुड़ी है. बेरोजगारी की वजह से ही एक पढ़ा लिखा नौजवान अपराधी बन जाता है और बेरोजगारी की वजह से ही एक औरत अपना जिस्म तक बेचने को मजबूर हो जाती है. हर समस्या के मूल में बेरोजगारी ही है. कोरोना काल में कोई भी मां बाप अपने बच्चों को बाहर नौकरी करने नहीं भेजना चाहता लेकिन अपने बरेली में रोजगार के अवसर न होने की वजह से उन्हें बाहर जाना पड़ता है. हमें स्थानीय स्तर पर इंडस्ट्री डेवलप करनी होगी ताकि रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकें और महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन सकें.
सवाल : आपके पति एक सॉफ्ट ड्रिंक फैक्टरी में काम करते हैं. ससुर सरकारी कर्मचारी थे. आम तौर पर ऐसे परिवारों की महिलाओं के लिए राजनीति में कदम रखना आसान नहीं होता. आपको इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा?
जवाब : मुझे मुझे परिवार का पूरा सपोर्ट मिला खासतौर पर मेरे पति ने हमेशा मेरा साथ दिया. अगर मेरा परिवार मेरे साथ नहीं होता तो आज मैं जिस मुकाम पर हूं शायद कभी इस मुकाम पर नहीं होती. मेरे पति और मेरे परिवार ने हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.


सवाल : केंद्र में आप की सरकार है उत्तर प्रदेश में भी आपकी सरकार के 5 साल पूरे होने को है. आप महिला मोर्चा की महानगर मंत्री हैं. ऐसे में आप की सरकार की वह कौन सी उपलब्धियां हैं जिनके नाम पर आप अगले विधानसभा चुनाव के लिए महिलाओं से वोट मांगेंगी?

जवाब : हमारी सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में काफी प्रयास किए हैं. कन्या धन योजना सुमंगला योजना के साथ-साथ महिला सुरक्षा की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य किए हैं. हिंदू महिलाओं को छोड़ भी दें तो मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक जैसे अभी साहब से बाहर निकालने का श्रेय भी हम भाजपा सरकार को ही जाता है. पहले सरकारी नौकरी के फार्म आते थे तो गरीब घर की बेटियां पैसे के अभाव में यह फार्म ही नहीं भर पाती थी और सरकारी नौकरी से वंचित रह जाती थी लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बेटियों के लिए सभी शुल्क माफ कर दिए और अब बेटियां बिना कोई पैसा दिए किसी भी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकती हैं हमारी सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें आसान किस्तों पर कर्ज भी मुहैया करा रही है. इसी का नतीजा है कि ग्रामीण इलाकों तक में छोटे-छोटे महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बन चुके हैं और महिलाएं स्वरोजगार करके आत्मनिर्भर बन रही हैं. जब केंद्र में मोदी सरकार नहीं थी तो जो गर्भवती महिलाएं होती थी उन्हें मेटरनिटी लीव के नाम पर सिर्फ 3 महीने का मातृत्व अवकाश किया जाता था लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद महिलाओं की मेटरनिटी लीव बढ़ाकर छह माह कर दी है. इसके चलते अब गर्भवती महिलाओं को बच्चे की देखभाल करने का भी वक्त मिल जाता है. ऐसी ही कई योजनाएं महिलाओं के लिए सरकार की ओर से शुरू की गई है जिनका लाभ महिलाओं को मिल रहा है. यही सब मुद्दे होंगे जिनके बल पर हम शान से महिलाओं के वोट मांग सकते हैं.

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