नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
भारतीय जनता का मुख्य आधार उनकी पूंजी है जो सारी उम्र जोड़ जोड़ कर बैंकों में रखते हैं और 50 की अवस्था के बाद उसके ब्याज पर आश्रित होकर जीवन निर्वाह करते हैं. कुछ युवाओं की पूंजी भी बैंकों पर आश्रित है.
भारत की अर्थव्यवस्था को केवल आंकड़ों में दिखाया जा रहा है. बैंक लगातार एनपीए बढ़ा बढ़ा कर घाटा दिखा रहे हैं. ये बातें विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य नरेश नाथ ने इंडिया टाइम 24 से खास बातचीत में कहीं.
उन्होंने कहा कि आरकॉम ग्रुप पर एक तरफ 26 हजार करोड़ रुपये की बैंकों की देनदारी है. दूसरी तरफ उसी कंपनी का दूसरा रूप कंपनियां खरीदी जा रही हैं. बैंक घाटे में जा रहे हैं और शेयर बाजार ऊंचाइयों को छू रहा है. सन 2019-20 में सरकार बैंकों को कर्ज पर ब्याज दर कम करने के लिए और पब्लिक को पूरा 8 फीसदी ब्याज देने के लिए जो घाटा बनता है उसके लिए लगभग 170000 करोड़ रुपए बैंकों को लिक्विड मनी के रूप में दे चुकी है लेकिन वह सारा पैसा बैंकों ने बड़े घरानों का एनपीए कम करने में खपा दिया है और पब्लिक को 5.4 परसेंट इंटरेस्ट पर लगा दिया है. देश के मध्यम वर्ग की रीड की हड्डी जो भी एफडी के ब्याज पर चलती है उसे तोड़ दिया है.
सरकार ब्याज दर कम करके पब्लिक को मजबूर कर रही है कि वह बेईमान कंपनियों में म्यूचल फंड के नाम पर पैसा जमा करवाए. बड़े-बड़े लोग मूर्ख बनकर म्यूच्यूअल फंड में पैसा डाल रहे हैं जबकि म्यूचल फंड में कहीं भी लिखित नहीं है कि आपको 8 या 10 परसेंट ब्याज मिलेगा. वहां एक छोटे अक्षरों में लिखा गया है म्यूचल फंड बाजार जोखिम के अधीन है आपके पैसे की कोई गारंटी नहीं है.
सभी देश के न्यूज़ चैनल और ईमानदार पत्रकारों से निवेदन किया है कि यह खबर मुख्य रूप से चलाना शुरू करें. अन्यथा बैंक घाटे में जा रहे हैं. एनपीए बढ़ता जा रहा है. कंपनियां ठीक तरह से अपने घाटे के फिगर शो नहीं कर रही हैं. शेयर बाजार के आंकड़े गैस के गुब्बारे की तरह बिना किसी आधार के बढ़ाए जा रहे हैं. इसके पीछे क्या सरकारी माफिया है जो देश को डुबाने जा रहा है. इस ओर सीबीआई और ईडी का ध्यान क्यों नहीं जा रहा है.
नरेश नाथ ने की है कि देश कि अर्थव्यवस्था गलत हाथों में चली गई है. इसे बचाने का प्रयास करें. बहुत सी जनता का पैसा मिट्टी होने जा रहा है. ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह देश की कुछ कंपनियां सरकारी संरक्षण में भारत को डुबोने जा रही हैं.
देश की अर्थव्यवस्था 2021 में आंकड़ों में ऊपर दिखाई जा रही होगी क्योंकि शनि मकर राशि में है जो मक्कार व्यक्तियों को हेल्प करता है और गुरु बृहस्पति नीच है परंतु हालात यह होंगे कि मध्यमवर्ग और गरीब वर्ग रोटी खाने के लिए भी मोहताज हो जाएगा. बैंकों की कार्यशैली उनके द्वारा एफडीआर पर कम किए जा रहे रेट और सरकार द्वारा दी गई रकम इन दोनों को मिलाकर फिर भी घाटा शो करना और जनता को कोई लाभ न मिलना बड़े खेल के संकेत देता है. इस सारी कार्यशैली पर लोकपाल से इन्वेस्टिगेशन करवाने की मांग उठाई जाए क्योंकि धर्म की नजर में सरकारी तंत्र देश की अर्थव्यवस्था के लिए कुछ कंपनियों के माध्यम से बेईमानी की ओर जा रहा है जिससे देश डूब जाएगा. सरकार के संरक्षण रक्षण में पल रही कंपनियों को नंगा कर देश के सामने लाएं और इनका सारा धन छीन कर देश हित में लगाए.