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हेल्थ सेक्टर में जगी आस, नौकरीपेशा और आम आदमी निराश, पढ़ें आपको क्या मिलेगा

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नीरज सिसौदिया
कोरोना काल के बाद केंद्र सरकार के बजट से जनता को काफी उम्मीदें थीं। नौकरीपेशा से लेकर किसान और व्यापारी वर्ग बजट से राहत की आस लगाए बैठा था लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब बजट पेश किया तो सारी उम्मीदें दम तोड़ गईं। हेल्थ सेक्टर को जरूर इस बजट से राहत मिलेगी लेकिन अन्य सेक्टर खास तौर पर मध्यम वर्ग के लिए यह बजट निराशाजनक रहा है। सरकार ने इस बजट में कुछ प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने और कुछ पर कम करने की बात कही है। कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से चुनिंदा ऑटो पार्ट्स, मोबाइल उपकरण और सोलर इन्वर्टर महंगे होंगे। कॉटम पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से विदेशों से आने वाले ब्रांडेड कपड़े महंगे होंगे। सोना-चांदी में कस्टम ड्यूटी कम करने का फैसला जरूर ज्वैलरी कारोबारियों के लिए कुछ राहत लेकर आएगा। हालांकि, यह बदलाव एक अक्टूबर से लागू होगा। वहीं, तीन साल पुराने टैक्स के मामले न खोले जाने का फैसला कुछ राहत जरूर देगा। हालांकि, पहले यह सीमा छह साल रखी गई थी इसलिए कोई खास राहत मिलती नजर नहीं आ रही।
सबसे ज्यादा संशय की स्थिति पेट्रोल और डीजल पर कृषि सेस लगाने के फैसले को लेकर बन रही है। हालांकि, सरकार का कहना है कि इस कृषि सेस का कोई असर जनता पर सीधे तौर पर नहीं पड़ेगा लेकिन कंपनियां अपनी जेब से यह सेस सरकार को देंगी यह हास्यास्पद सा लगता है। अगर सरकार इस सेस की जगह कंपनियों को इतनी ही राहत मुहैया कराती है तब तो जनता पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा लेकिन अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो तेल कंपनियां यह कृषि सेस भी जनता की जेब से ही वसूल करेंगे। पेट्रोल-डीजल के दाम वैसे ही आसमान छू रहे हैं। ऐसे में अगर कंपनियों ने कृषि सेस भी जनता से वसूलने काा जुगाड़ लगा लिया तो महंगाई चरम पर होगी और आम आदमी की कमर पूरी तरह टूट जाएगी। हालांकि, हाल-फिलहाल पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई बढ़ोतरी करने का रिस्क सरकार नहीं लेगी।
इसके अलावा हेल्थ सेक्टर के लिए बजट में कई योजनाएं दी गई हैं। नए सेंटर खुलने से रोजगार के अवसर निश्चित तौर पर बढ़ेंगे लेकिन अधकचरी व्यवस्था और बदहाल होगी। देश में पहले से ही स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है। स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्था चरमराई हुई है। इनकी व्यवस्था में सुधार पर जोर देने की जगह नए केंद्रों और योजनाओं के रूप में बोझ डालने से इस सेक्टर में हालात में बहुत ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती।
देश के मध्यम वर्ग, खास तौर पर नौकरीपेशा के लिए यह बजट बेहद निराशाजनक रहा। कोरोना काल में कई लोगों की नौकरियां गईं। कई लोगों को आधी सैलरी पर काम करना पड़ा। इस वर्ग को रोजगार दिलाने के लिए कोई ठोस पहल बजट में नहीं दिखाई दी। हेल्थ सेक्टर को छोड़ दें तो अन्य किसी भी क्षेत्र में रोजगार के लिए कोई बड़ी पहल नहीं की गई है। टैक्स स्लैब भी नहीं बढ़ाया गया। टैक्स में छूट के नाम पर 75 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को छूट देकर एक झुनझुना थमाने का प्रयास किया गया है। अगर यह आयुसीमा 60 वर्ष करने के साथ ही सिर्फ पेंशन से कमाई पर छूट न देकर कुल आमदनी पर छूट दी जाती तो लोगों को कुछ फायदा होता क्योंकि ऐसे चुनिंदा लोग ही हैं जिनकी पेंशन टैक्सेबल है।
हालांकि, दो करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनियों को छोटी कंपनी मानने का फैसला लेकर छोटे कारोबारियों को जरूर राहत देने का प्रयास किया गया है। इससे इन कंपनियों को कई रियायतों का लाभ मिल सकेगा जो अब तक नहीं मिल पा रहा था। इसके अलावा मजदूरों को न्यूनतम वेतन देने की बात तो कही गई है लेकिन इससे ज्यादा इस मामले पर कुछ भी नहीं कहा गया है।
बजट में नई वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी आने की बात कही जा रही है। सरकार ने इसे ऑटो उद्योग के लिए अच्छी खबर बताया है। नई पॉलिसी पुराने वाहनों के खत्म करने के लिए है। सरकार का कहना है कि इससे प्रदूषण कम होगा और ऑटो इंडस्ट्री में उछाल आएगा। इसमें निजी वाहन के लिए 20 साल और कॉमर्शि‍यल वाहन के लिए 15 साल की सीमा तय की गई है। अब सवाल यह उठता है कि जब मध्यम वर्ग के पास पैसा ही नहीं होगा तो नए वाहन कैसे खरीदे जाएंगे क्योंकि पैसा तो तेल कंपनियां और उनकी नीतियों से उपजी महंगाई निचोड़ लेगी। वहीं, सरकार यह भूल गई कि कोई भी अमीर आदमी बीस साल तक एक ही निजी वाहन का प्रयोग नहीं करता। कॉमर्शियल वाहन जरूर 15 वर्ष पुराने प्रयोग में लाए जा रहे हैं। इन वाहनों को बंद करने पर भी बोझ आम जनता पर ही पड़ेगा। चूंकि नए कॉमर्शियल वाहन का खर्च भी कंपनी मालिक या व्यापारी आम जनता से ही वसूल करेगा।
बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा 39 फीसदी से बढ़ाकर 74% कर दी गई है। ऐसे में विदेशी कंपनियों के नियंत्रण वाली कंपनियों को अनुमति मिल गई है। इससे बीमा उत्पादों में पूंजी की कमी जरूर दूर हो सकती है लेकिन विदेशी कंपनियों का निवेश बढ़ने से फायदा भी विदेशों को ही होगा। फिलहाल इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ भी कहना सही नहीं होगा। कुल मिलाकर आम आदमी के लिए यह बजट बेहद निराशाजनक रहा है। कोरोना काल में तबाह हुए आम आदमी की उम्मीदों पर यह बजट बिल्कुल भी खरा नहीं उतर पाया है।

ये भी है बजट में
1. बजट में स्थानीय निकायों को विकास और निर्माण के लिए राज्यों को दो लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। यह आवंटन अगर खर्च हुआ तो देश में रोजगार सृजन में मदद म‍िलेगी। यह पैसा बांटने से पहले सरकार को एक नजर स्मार्ट सिटी जैसी परियोजनाओं की बदहाली और उनमें हुई बंदरबांट पर भी नजर डाल लेनी चाहिए थी। क्या यह पैसा भ्रष्टाचार के लिए दिया जा रहा है। इसे सुनिश्चित करना चाहिए था।

2. सरकारी उपक्रम विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये किया गया है। बीते साल से 35 लाख करोड़ कम. सरकार सीधे संपत्ति‍यां बेचने के हक में है। विनिवेश की लंबी प्रक्रिया से बचने का संकेत दिया गया है।

3. डूबे कर्जों पर मैनेजमेंट कंपनी बनेगी। बैंकों के फंसे हुए कर्जों के लि‍ए एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी बनेगी।

4. अगले साल कई सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश का लक्ष्य है। इसे भरपूर निजीकरण बजट कहा गया है। सरकारी संपत्ति‍यों के अलावा दो सरकारी बैंक, एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी बिकेगी। बीपीसीएल का वि‍निवेश होगा।

5. भारत में गोल्ड एक्सचेंज बनेगा, वेयरहाउस भी बनेंगे। यह भी बड़ा एलान है। सेबी इस बाजार का नियामक होगा। भारत में सोने के कारोबार इससे तेज बढ़ोतरी होगी और नए निवेश उत्पाद आएंगे।

इस साल पौने दो लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य
भारत में पहली बार इस तरह से सरकारी संपत्ति‍यों की बिक्री शुरू होगी। बजट पर संसाधनों का दबाव दिख रहा है। डीआईपीएएम ने बिकने वाली सरकारी संपत्ति‍यों की पहले से सूची बना रखी है। मंत्रालयों से सहमति भी ली जा चुकी है। यदि इस साल बिक्री हो सकी तो घाटा कम रखने में मिलेगी मदद।

भारतमाला प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जाएगा
अब तक की सबसे बड़ी घोषणा। एयरपोर्ट, सड़कें, बिजली ट्रांसमिशन लाइन, रेलवे के डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के हिस्से, वेयरहाउस बेचेगी सरकार। गेल, इंडियन ऑयल की पाइप लाइन और स्टेडियम भी बिकेंगे। विदेशी निवशकों को मिलेगा। इससे मिलेगा पैसा। सरकारी संपत्तियों को बेचकर पैसा कमाने की नौबत आ गई है तो सरकार आगे क्या करेगी।

डेवलेपमेंट फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट शुरू करेगी सरकार
एक और नई डेवलपमेंट फाइनेंस संस्था बनेगी। कर्ज के जरिये बुनियादी ढांचा को पैसा देगी। इसमें विदेशी निवेश भी आएगा।

पीएम आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना लॉन्च होगी
हेल्थ सेक्टर में जुड़ी एक और नई सरकारी स्कीम। 64100 करोड़ रुपये की आत्मनिर्भर हेल्थ योजना। आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन पहले से चल रही हैं।

तीन साल में बनेंगे सात टेक्सटाइल पार्क
पीएलआई स्कीम से अलग सात टेक्सटाइल पार्क बनेंगे। अलबत्ता अभी तक अन्य क्षेत्रों में ऐसी स्कीमों का असर सीमित है। जीएसटी से बुरी तरह परेशान है टेक्सटाइल उद्योग। निर्यात भी घटा है।

डिजिटल जनगणना और स्पेश मिशन का ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड इस बार PSLV-CS51 को लॉन्च करेगा। गगनयान मिशन का मानव रहित पहला लॉन्च इसी साल दिसंबर में होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत एक ट्रिब्यूनल बनाया जाएगा जो कंपनियों के विवादों का जल्द निपटारा करेगा। आगामी जनगणना पहली डिजिटल जनगणना होगी।

लेह में सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने का ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि देश में करीब 100 नए सैनिक स्कूल बनाए जाएंगे। लेह में केंद्रीय यूनिवर्सिटी बनाए जाने का ऐलान किया गया है।

एससी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति
वित्त मंत्री ने बताया कि अनुसूचित जाति के 4 करोड़ विद्यार्थियों के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का ऐलान किया गया। इसी क्षेत्र में संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर स्किल ट्रेनिंग पर काम किया जा रहा है जिससे लोगों को काम मिल सके। इसी में भारत और जापान मिलकर भी एक प्रोजेक्ट को चला रहे हैं।

कृषि-फिशिंग सेक्टर के लिए ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि स्वामित्व योजना को अब देशभर में लागू किया जाएगा। एग्रीकल्चर के क्रेडिट टारगेट को 16 लाख करोड़ रुपये तक किया जा रहा है। ऑपरेशन ग्रीन स्कीम का ऐलान किया गया है, जिसमें कई फसलों को शामिल किया जाएगा और किसानों को लाभ पहुंचाया जाएगा। वित्त मंत्री की ओर से कहा गया कि पांच फिशिंग हार्बर को आर्थिक गतिविधि के हब के रूप में तैयार किया जाएगा। तमिलनाडु में फिश लैंडिंग सेंटर का विकास किया जाएगा।

सभी शिफ्टों में काम कर सकेंगी महिलाएं
महिलाओं को सभी शिफ्टों में काम करने की इजाजत मिलेगी, नाइट शिफ्ट के लिए पर्याप्त सुरक्षा भी दी जाएगी।

स्टार्ट अप को राहत
निवेशकों के लिए चार्टर बनाने का ऐलान किया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्टार्ट अप कंपनियों के लिए ऐलान किया। इसके तहत करीब एक फीसदी कंपनियों को बिना किसी रोक-टोक के शुरुआत में काम करने की मंजूरी दी जाएगी।

बिजली क्षेत्र के लिए बड़ा एलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से बिजली क्षेत्र के लिए भी एलान किया गया। सरकार की ओर से 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक लागत की स्कीम लॉन्च की जा रही है जो देश में बिजली से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का काम करेगा। सरकार की ओर से हाइड्रोजन प्लांट बनाने का भी एलान किया गया है। बिजली क्षेत्र में पीपीपी मॉडल के तहत कई प्रोजेक्ट पूरे किए जाएंगे।

रेलवे और मेट्रो के लिए बड़ा ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि राष्ट्रीय रेल योजना 2030 तैयार हो गई है। कुल 1.10 लाख करोड़ रुपये का बजट रेलवे को दिया गया है। भारतीय रेलवे के अलावा मेट्रो, सिटी बस सेवा को बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। इसके लिए 18 हजार करोड़ रुपये की लागत लगाई जाएगी। अब मेट्रो लाइट को लाने पर जोर दिया जा रहा है। कोच्चि, बेंगलुरु, चेन्नई, नागपुर, नासिक में मेट्रो प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने का ऐलान किया गया।

बंगाल समेत कई चुनावी राज्यों के लिए ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि तमिलनाडु में नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट (1.03 लाख करोड़), इसी में इकॉनोमिक कॉरिडोर बनाए जाएंगे। केरल में भी 65 हजार करोड़ रुपये के नेशनल हाइवे बनाए जाएंगे, मुंबई-कन्याकुमारी इकॉनोमिक कॉरोडिर का एलान। पश्चिम बंगाल में भी कोलकाता-सिलीगुड़ी के लिए भी नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट का एलान। वित्त मंत्री ने असम में अगले तीन साल में हाइवे और इकॉनोमिक कॉरिडोर का ऐलान किया।

अथॉरिटी अपने स्तर से पास कर सकेंगे प्रोजेक्ट
बजट में ऐलान किया गया है कि रेलवे, एएनएचएआई, एयरपोर्ट अथॉरिटी के पास अब कई प्रोजेक्ट को अपने लेवल पर पास करने की ताकत होगी। वित्त मंत्री ने पूंजीगत व्यय के लिए 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट का एलान किया। यह एलान पिछले बजट से 30 फीसदी अधिक है। इससे अतिरिक्त राज्य और स्वतंत्र बॉडी को दो लाख करोड़ रुपये भी दिए जाएंगे।

आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का ऐलान: वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का ऐलान किया। सरकार की ओर से 64180 करोड़ रुपये इसके लिए दिए गए हैं और स्वास्थ्य के बजट को बढ़ाया गया है। इसी के साथ सरकार की ओर से डब्ल्यूएचओ के स्थानीय मिशन को भारत में लॉन्च किया जाएगा।

अमृत योजना आगे बढ़ेगी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाने का एलान किया जिसके तहत शहरों में अमृत योजना को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके लिए 2,87,000 करोड़ रुपये जारी किए गए। इसी के साथ वित्त मंत्री की ओर से मिशन पोषण 2.0 का एलान किया गया है।

कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़
निर्मला सीतारमण की ओर से कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का ऐलान किया गया. वित्त मंत्री ने बताया कि स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट को 137 फीसदी तक बढ़ाया गया है.

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