नीरज सिसौदिया, बरेली
निजी हितों के चलते नगर आयुक्त निगम के इलाकों को छोड़ कर अवैध कॉलोनियों के विकास में लगे हुए हैं. यह सारा खेल कॉलोनाइजरों को लाभ पहुंचाने के लिए खेला जा रहा है. बन्नूवाल कॉलोनी में ढाई करोड़ रुपये से सड़क निर्माण का कार्य रोकना अच्छा निर्णय है लेकिन अन्य कॉलोनियों में जो करोड़ों रुपये खपाए गए हैं उनका हिसाब कौन देगा. यह बातें पूर्व सभासद संजीव अग्रवाल ने इंडिया टाइम 24 से खास बातचीत में कहीं.
उन्होंने कहा कि नगर निगम अधिनियम की धारा 290/1/2 के अंतर्गत जो कॉलोनियां नगर निगम में निहित नहीं हैं उनमें कोई भी विकास कार्य नहीं कराया जा सकता है. जनता की मांग पर नगर आयुक्त नगर निगम अधिनियम की धारा 289 के तहत विकास करा सकता है लेकिन उस विकास कार्य में जो भी खर्च आएगा वह जनता से ही वसूला किया जाना है. पिछले कुछ समय में जो विकास कार्य अवैध कॉलोनियों में कराए गए हैं उनमें अरबों रुपये का धन नियमों की धज्जियां उड़ा कर खपाया गया है. इसे कोई देखने वाला नहीं है. कॉलोनाइजरों, अधिकारियों और ठेकेदारों का गठजोड़ इस काले कारनामे को अंजाम दे रहा है. इन सभी इलाकों में खर्च किए गए पैसे का हिसाब उन सभी लोगों से लिया जाना चाहिए जिनकी अनुमति से ये कार्य किए गए हैं.
संजीव अग्रवाल ने कहा कि एक तरफ तो निगम के दायरे में आने वाले इलाके बदहाली का दंश झेल रहे हैं और दूसरी तरफ नगर निगम के हुक्मरान अवैध कॉलोनियों में धन खपाकर कॉलोनाइजरों को लाभ पहुंचा रहे हैं. कुतुबखाना से किला रोड, कुतुबखाने से आलमगिरी गंज, बांस मंडी, नाला रोड, मढ़ीनाथ, सुभाष नगर, गुलाब नगर, कोहाड़ापीर सहित अन्य कई इलाके ऐसे हैं जो विकास की दौड़ में बहुत पीछे रह गए हैं लेकिन इन इलाकों का पिछड़ापन नगर आयुक्त अभिषेक आनंद को दिखाई नहीं देता. वह तो बस अवैध कॉलोनियों का विकास करने में जुटे हुए हैं. वह अवैध कालोनाइजरों पर इतने मेहरबान क्यों है इसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए.
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