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निर्दलीय लड़कर हासिल किए थे 25 हजार वोट, अब सपा से कर रहे दावेदारी, फिलहाल सभी दावेदारों पर हैं भारी, जानिए कौन कर रहा गुपचुप टिकट की तैयारी?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली कैंट विधानसभा सीट से अब तक कमजोर नजर आ रही समाजवादी पार्टी में अब मजबूत दावेदार ताल ठोकने लगे हैं. डा. अनीस बेग और पार्षद मो. फिरदौस उर्फ अंजुम भाई के बाद एक सबसे बड़ा चेहरा सामने आया है. यह चेहरा इंजीनियर अनीस अहमद का है. इं. अनीस अहमद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. वह दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि, दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. पहली बार वह कैंट विधानसभा सीट से वर्ष 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़े थे और दूसरी बार वर्ष 2017 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर शहर विधानसभा सीट से किस्मत आजमाई थी. इंजीनियर अनीस अहमद का दावा इसलिए भी सबसे मजबूत नजर आता है क्योंकि वह वर्ष 2012 में कैंट की ही सीट से टिकट कटने से नाराज होकर बहुजन समाज पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़े थे और उस वक्त उन्होंने 25 हजार वोट अपने दम पर हासिल किए थे. नतीजा यह हुआ कि बसपा प्रत्याशी चुनाव हार गया था. इंजीनियर अनीस अहमद ने निर्दलीय चुनाव लड़कर पार्टी को यह अहसास करा दिया था कि वह अकेले दम पर जीत भले ही हासिल न कर सकें पर किसी भी प्रत्याशी को हराने का दम जरूर रखते हैं. वर्ष 2018 में इंजीनियर अनीस अहमद ब्रह्मस्वरूप सागर के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उसके बाद जब कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ी तो हाल ही में कांग्रेस को करारा झटका देते हुए ब्रह्मस्वरूप सागर के साथ ही इंजीनियर अनीस अहमद भी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. समाजवादी पार्टी में दमदार चेहरे के अभाव का फायदा इंजीनियर अनीस अहमद को मिल सकता है. अनीस अहमद के पास दो-दो विधानसभा चुनाव लड़ने का अनुभव भी है और एक बड़ा वोट बैंक भी है. दस साल पहले कैंट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़कर 25 हजार वोट हासिल करने वाले इं. अनीस अहमद को अगर समाजवादी पार्टी का बैनर मिल जाता है तो जीत की उम्मीद बढ़ सकती है. इसकी एक वजह अनीस अहमद का पूर्व नौकरशाह होना भी है. अनीस अहमद ने जब वर्ष 2011 में नौकरी से वीआरएस लिया था तो वह उस वक्त जल निगम में रेजिडेंट इंजीनियर के पद पर तैनात थे. नौकरशाह होने के चलते अनीस अहमद का हर धर्म और जाति के लोगों से संपर्क भी रहा. कमी रही तो सिर्फ एक मजबूत पार्टी की. अगर अबकी बार समाजवादी पार्टी अनीस अहमद को टिकट देती है तो जीत की गारंटी तो नहीं होगी पर संभावनाएं जरूर बढ़ सकती हैं. हालांकि, मो. फिरदौस और डा. अनीस बेग भी मजबूत दावेदार हैं और उन्हें दरकिनार करना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा. बहरहाल, समाजवादी पार्टी में मजबूत दावेदारों की कतार अब लंबी होती नजर आ रही है. ऐसे में पार्टी को सोच समझकर प्रत्याशी का चयन करना होगा.

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