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अब एमएलसी के टिकट के लिए भाजपा पार्षद सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा ने ठोकी ताल, सह संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह से की मुलाकात, पढ़ें क्या है पूरा मामला?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
भाजपा पार्षद और बरेली विकास प्राधिकरण के सदस्य सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा ने अब बरेली-रामपुर स्थानीय निकाय एमएलसी सीट के लिए दावेदारी जता दी है. साथी पार्षदों और स्थानीय निकाय के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ मंथन करने के बाद मम्मा ने यह निर्णय लिया है. उन्होंने जिला पंचायत चुनाव में विजयी हुए पार्टी के नेताओं के अभिनंदन समारोह में पहुंचे प्रदेश सह संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह से मुलाकात कर इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा है.
इसमें मम्मा ने कहा है कि वह 1989 से लगातार (2012-2017 को छोड़कर) पार्षद निर्वाचित आ रहे हैं. कई प्रतिष्ठित सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हैं. जिला योजना समिति के सदस्य भी रह चुके हैं. उस वक्त वह पूरे प्रदेश में रिकॉर्ड 458 मतों से विजयी हुए थे. वर्तमान में पार्षद एवं बरेली विकास प्राधिकरण के सदस्य भी हैं. साथी पार्षदगणों के साथ उनके मधुर संबंध हैं और हर पार्टी के नेताओं में गहरी पैठ भी रखते हैं. वह पिछले 35 वर्षों से हर साल गरीब कन्याओं का विवाह कराने से लेकर निर्धन बच्चों की स्कूल की फीस जमा करने और उन्हें हर प्रकार की मदद दिलाने का कार्य करते आ रहे हैं. कोरोना काल में उन्होंने पूरे साल जान हथेली पर रखकर कोविड जांच कैंप लगवाया और उसके बाद वैक्सानेशन कैंप का भी आयोजन कराया. वह बरेली और रामपुर में आयोजित होने वाले पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे हैं. अब वह बरेली-रामपुर स्थानीय निकाय क्षेत्र से एमएलसी का चुनाव लड़ना चाहते हैं. उन्होंने अपना आवेदन प्रदेश सह संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह को सौंप दिया है.
बता दें कि एमएलसी चुनाव अक्टूबर-नवंबर माह तक होने हैं. भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में जीतने के बाद एमएलसी चुनाव में जीत का रास्ता भी साफ हो गया है. ऐसे में अगर पार्टी सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा जैसे नेता को मैदान में उतारती है तो जीत की राह और भी आसान हो सकती है क्योंकि मम्मा की दूसरे दलों के नेताओं में भी गहरी पैठ है. मम्मा वही शख्स हैं जो विपक्ष में रहते हुए भी पूर्व स्थानीय निकाय मंत्री आजम खां से अपने वार्ड के बड़े प्रोजेक्ट के लिए धनराशि स्वीकृत कराने में कामयाब हो गए थे.

सह संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह के साथ सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा

उसी दौरान वह रामपुर के सियासतदानों के करीब आए थे. मम्मा की सियासत व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित रही है और उन्होंने हमेशा पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर काम किया है जिस कारण लोग उन्हें बेहद पसंद करते हैं. चूंकि मम्मा उस वक्त से पार्षद निर्वाचित होते आ रहे हैं जब बरेली नगर महापालिका थी इसलिए हर नए पुराने सियासी चेहरे से पूर्णतया वाकिफ भी हैं. मम्मा खुद किसान भी हैं और अपने फार्म हाउस पर खेती भी करवाते हैं इसलिए किसानों के बीच भी खासे लोकप्रिय हैं और गांवों की राजनीति में अहम भूमिका भी निभाते आ रहे हैं. मम्मा अपने अलग अंदाज के बल पर अपनी एक अलग मजबूत राजनीतिक पहचान बना चुके हैं. ऐसे में उनकी दावेदारी काफी मजबूत नजर आ रही है.

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