ग्रहों की दशा हमारे जीवन के स्वरूप को तय करती है लेकिन ग्रहों की इस दशा को हमारे कर्म तय करते हैं. हमारे कर्मों के आधार पर ही ग्रह हमें अच्छे और बुरे फल देते हैं. किस कार्य को करने से ग्रह हमें कैसा फल देंगे आइये जानते हैं विस्तार से…
सूर्य
जब जातक किसी भी प्रकार का टैक्स चुराता है एवं किसी भी जीव की आत्मा को कष्ट देता है। तब सूर्य अशुभ फल देता है।
चंद्र
जब जातक सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देता है। जैसे- माता, नानी, दादी, सास एवं इनके समान वाली स्त्रियों को कष्ट देता है तब चंद्र अशुभ फल देता है। धोखे से किसी से कोई वस्तु लेने पर भी चंद्रमा अशुभ फल देता है।
मंगल
जब जातक अपने भाई से झगड़ा करे, भाई के साथ धोखा करे। अपनी पत्नी के भाई का अपमान करे, तो भी मंगल अशुभ फल देता है।
बुध
जब जातक अपनी बहन, बेटी अथवा बुआ को कष्ट देता है, साली एवं मौसी को कष्ट देता है। जब जातक किन्नर को कष्ट देता है, तो भी बुध अशुभ फल देता है।
गुरु
जब जातक पिता, दादा, नाना को कष्ट देता है अथवा इनके समान पद वाले व्यक्ति को कष्ट देता है। साधु-संतों को कष्ट देने से भी गुरु अशुभ फल देता है।
शुक्र
जब जातक जीवनसाथी को कष्ट देता है। घर में गंदे एवं फटे वस्त्र रखने एवं पहनने पर भी शुक्र अशुभ फल देता है।
शनि
जब जातक ताऊ, चाचा को कष्ट देता है, मजदूर की पूरी मजदूरी नहीं देता है। घर या दुकान के नौकरों को गाली देता है। शराब, मांस खाने पर भी शनि अशुभ फल देता है। कुछ लोग मकान या दुकान किराए पर लेते हैं. फिर बाद में खाली नहीं करते या खाली करने के लिए पैसे मांगते हैं तो शनि अशुभ फल देता है।
राहु
जब जातक बड़े भाई को कष्ट देता है या अपमान करता है। ननिहाल पक्ष का अपमान करने, सपेरे का दिल दुखाने या कभी किसी सर्प को मारने पर भी राहु कष्ट देता है।
केतु
जब जातक भतीजे, भांजे को कष्ट देता है या उनका हक छीनता है। कुत्ते को मारने या किसी के द्वारा मरवाने पर, मंदिर की ध्वजा तोड़ने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी की झूठी गवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं ।
अत: नवग्रहों का अनुकूल फल पाने के लिए मनुष्य को अपना जीवन व्यवस्थित जीना चाहिए, किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए। न ही किसी के साथ छल-कपट करना चाहिए।
– हेमंत शांडिल्य, ज्योतिष आचार्य, बरेली
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