इंटरव्यू

पूर्व विधायक वीरेंद्र सिंह के बेटे ने संभाली कमान, पप्पू भरतौल पर जमकर बरसे, बताया अपना विजन, पढ़ें स्पेशल इंटरव्यू

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पूर्व विधायक वीरेंद्र सिंह कभी बरेली में बहुजन समाज पार्टी की पहचान हुआ करते थे. हालात ने उन्हें मजबूर कर दिया और मुश्किल दौर में उनका अपना भाई भी छोड़कर सपा की साइकिल पर सवार हो गया. वीरेंद्र सिंह कभी नहीं चाहते थे कि उनके बेटे राजनीति का हिस्सा बनें पर पिता की बेबसी, पार्टी की जिम्मेदारियों और जनता की उम्मीदों ने उनके बड़े बेटे आशीष पटेल को राजनीति की राह चुनने पर मजबूर कर दिया. आशीष बिथरी चैनपुर सीट से अपने पिता की जगह बसपा के टिकट पर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. मायावती से उन्हें हरी झंडी मिल चुकी है. ऐसे में वह किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे? वर्तमान विधायक के कार्यकाल और बरेली के विकास को वह किस नजरिये से देखते हैं? बहुजन समाज पार्टी इन दिनों सिर्फ बरेली ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में मुश्किल दौर से गुजर रही है. कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. ऐसे में पार्टी की मजबूती के लिए आशीष की रणनीति क्या होगी? आशीष बरेली को डेवलपिंग सिटी मानते हैं लेकिन यहां उन्हें किस चीज की कमी खलती है? बेरोजगारी दूर करने को लेकर उनका विजन क्या है? ऐसे कई मुद्दों पर युवा बसपा नेता आशीष पटेल ने इंडिया टाइम 24 डॉट कॉम के संपादक नीरज सिसौदिया के साथ खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…

सवाल : आपका बचपन कहां बीता, पढ़ाई-लिखाई कहां से हुई?
जवाब : मैं बरेली में पैदा हुआ और यहीं पला बढ़ा. मेरी स्कूलिंग अल्मा मातरे डे बोर्डिंग स्कूल से हुई थी. ग्रेजुएशन एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा से किया. उसके बाद सर्व विद्या एकेडमी शुरू की जिसके माध्यम से आईआईटी, जेईई और नीट की तैयारी करने वाले बच्चों को कोचिंग दी जाती है. वर्ष 2015 में मैंने कोचिंग स्टार्ट की और तभी से अपना रियल एस्टेट का बिजनेस भी संभाल रहा हूं.
सवाल : राजनीति में आना कैसे हुआ, क्या पढ़ाई के साथ साथ राजनीति में भी सक्रिय रहे?
जवाब : मैं एक्सीडेंटली राजनीति में आया. मेरे पिता दो बार एमएलए रहे. एक बार बिथरी चैनपुर से और दूसरी बार कैंट से. फिर अचानक से उनकी तबीयत खराब हो गई. उन्हें एक इंक्यूरेबल डिसीज हो गई. उनकी गैर हाजिरी में मुझे परिवार के साथ ही राजनीति की एक्स्ट्रा रिस्पॉन्सिबिलिटी भी संभालनी पड़ी. पढ़ाई के दौरान मेरा कभी राजनीति से कोई वास्ता नहीं रहा.

अपनी एजुकेशन के बारे में बताते आशीष पटेल.

सवाल : क्या पिता के राजनीतिक कार्यकाल के दौरान भी आप उनके साथ राजनीति में सक्रिय रहे?
जवाब : नहीं, आई वॉज नेवर इनवॉल्व्ड इन पॉलीटिक्स. मेरे फादर कभी नहीं चाहते थे कि मैं या मेरा छोटा भाई आकाश कभी राजनीति में आएं. उन्होंने हमें हमेशा राजनीति से दूर रखा.
सवाल : आप वैल एजुकेटेड हैं. रियल एस्टेट और एजुकेशन का बिजनेस भी अच्छा चल रहा है. फिर राजनीति में आप क्या सोचकर आए?
जवाब : देखिए, मैं राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठ भूमि से हूं. पिछले लगभग 25 वर्षों से मेरे परिवार का राजनीति और खास तौर पर बिथरी चैनपुर की जनता से जुड़ाव रहा है. मेरे फादर वर्ष 1995 में पहली बार बिथरी से ही ब्लॉक प्रमुख बने थे. तब से लेकर वर्ष 2018 तक बिथरी की ब्लॉक प्रमुखी हमारे परिवार के पास ही रही. कभी पापा जीते तो कभी चाची रहीं. वर्ष 2007 में पापा विधायक बन गए थे. पापा का एक दबदबा था राजनीति में.
अब वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. चूंकि पापा काफी समय से बीमार हैं इसलिए वह जनता की आवाज नहीं उठा सकते. ऐसे में जो जनता कनेक्टेड थी पापा से वो पिछले लगभग एक डेढ़ साल से बिथरी की जनता मेरे पास आ रही थी. असल में जनता वर्तमान भाजपा विधायक राजेश मिश्र उर्फ पप्पू भरतौल की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं है. तो सब का मानना था कि मुझे राजनीति में आना चाहिए. उन्हें हमारे परिवार से काफी उम्मीदें हैं तो वही सब सोचकर मैंने डिसीजन लिया राजनीति में आने का.

अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताते आशीष पटेल

सवाल : क्या पार्टी प्रमुख मायावती से आपकी मुलाकात हुई?
जवाब : नहीं, बहन जी से मेरी कोई मुलाकात नहीं हुई है पर बहन जी का संदेश आया था, उनका संकेत मिला था कि पापा की जगह अब उनके बेटे को चुनाव लड़ाया जाए तो पार्टी ने मुझे अप्रोच किया और मैंने पार्टी को ओके कर दिया.
सवाल : बिथरी चैनपुर में लंबे समय बाद कोई पढ़ा लिखा युवा नेता विधानसभा के मैदान में उतरने जा रहा है. अब तक यह क्षेत्र विकास की बजाय दबंगई की राजनीति के लिए ज्यादा जाना जाता था. आपकी मौजूदगी पुरानी राजनीति से किस तरह अलग होगी. क्या विजन है आपका बिथरी चैनपुर को लेकर?
जवाब : मेरा विजन सिर्फ बिथरी चैनपुर के लिए ही नहीं है. मेरा विजन पूरे बरेली जिले के लिए है. मैं बरेली को एक इंडस्ट्रियल सिटी के रूप में देखना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि यहां इंडस्ट्री सेटअप हो, स्टैबलिश हो. यहां एक स्पेशल इकोनामिक जोन बने जिससे युवाओं को नौकरी मिल सकें. समस्या आती है यहां नौकरी की. सिर्फ बिथरी चैनपुर ही मेरा टारगेट नहीं है. मेरा टारगेट पूरा बरेली जिला और पूरे बरेली को डेवलप करना है. बिथरी चैनपुर तो एक माध्यम है विधायक बनने का ताकि मैं विधानसभा पहुंच सकूं और वहां जाकर मैं पूरे जिले की बात रख सकूं.
सवाल : आपने पूरे जिले की बात की.अब पंचायत चुनाव आ रहे हैं क्या प्रयास किए जा रहे हैं आप की ओर से पंचायत चुनाव में पार्टी की जीत के लिए?
जवाब : गत दिनों स्व. कांशीराम जी की जयंती थी. उनकी जयंती पर ही पंचायत चुनाव का बिगुल फूंक दिया गया था. इससे पहले मैंने अपने कार्यालय में भी पार्टी की एक मीटिंग बुलाई थी जिसमें सभी पदाधिकारी शामिल हुए थे. उस मीटिंग में मैंने सभी से अपील की थी कि सभी एकजुट होकर पार्टी प्रत्याशी को चुनाव लड़ाएं. 60 सीटें हैं बरेली में और पूरी मजबूती के साथ हमारी पार्टी चुनाव लड़ रही है. करीब 35 से 40 सीटें हमारी पार्टी निश्चित तौर पर जीत कर आएगी.
सवाल : आपका जीवन बरेली शहर में बीता. आपने इस शहर को बदलते हुए बेहद करीब से देखा है. शहर के विकास को आप किस नजरिये से देखते हैं?
जवाब : बरेली एक डेवलपिंग सिटी है काफी विकास हुआ है यहां पर लेकिन औद्योगिक विकास की दौड़ में हम बहुत पीछे रह गए हैं. एयरपोर्ट बन गया है, एजुकेशन हब भी बन चुका है लेकिन यहां का युवा आज भी बेरोजगार है. औद्योगिक विकास की दिशा में हम काफी पीछे रह गए हैं जिस वजह से नए रोजगार पैदा नहीं हो सके. यही मेरा लक्ष्य है कि मैं यहां इंडस्ट्री डेवलप करूं. इंडस्ट्रियलाइजेशन करूं. रोड बनीं, फ्लाईओवर बने, मॉल्स बने लेकिन इंडस्ट्रीज नहीं बन सकीं. बरेली की लोकेशन बहुत सूटेबल है इंडस्ट्री के लिए. ढाई सौ किलोमीटर की दूरी पर स्टेट कैपिटल और इतनी ही दूर नेशनल कैपिटल भी है. उत्तराखंड के लिए गेट वे है यह शहर. हमारी लैंड बहुत अच्छी है. यहां आसानी से औद्योगिक विकास किया जा सकता है.

अपने विजन के बारे में बताते आशीष पटेल.

सवाल : किस प्रकार की इंडस्ट्री डेवलप हो सकती है बरेली में?
जवाब : यहां विभिन्न प्रकार की इंडस्ट्रीज डेवलप हो सकती हैं. यहां एग्रो बेस्ड इंडस्ट्री डेवलप हो सकती है, टूरिज्म इंडस्ट्री बहुत अच्छी डेवलप हो सकती है, मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री डेवलप हो सकती है और होटल इंडस्ट्री भी डेवलप हो सकती है.
सवाल : आपने युवाओं को रोजगार दिलाने की बात कही क्या आपने बेरोजगारों के बारे में कोई जानकारी ली?
जवाब : मैंने आपको अपना विजन बताया है. अभी मैंने इस दिशा में काम करना शुरू नहीं किया है लेकिन जब मैं इस दिशा में काम करूंगा या पावर में आऊंगा तो सबसे पहले आंकड़े जुटाउंगा कि कितने बेरोजगार हैं और उन्हें किस तरह का रोजगार दिया जा सकता है. बिना आंकड़ों के इस दिशा में प्रयास करना मुमकिन ही नहीं है. लूंगा
सवाल : बहुजन समाज पार्टी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. कई नेता पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में जा रहे हैं. इन परिस्थितियों में क्या आपको लगता है कि पार्टी को स्थानीय स्तर पर छोटे दलों के साथ भी गठबंधन करना चाहिए?
जवाब : क्यों नहीं? लेकिन गठबंधन से पहले बसपा छोड़कर जो पुराने नेता गए हैं उनसे बात होनी चाहिए और किसी भी तरह की उनकी जो नाराजगी है उसे दूर कर पार्टी में वापसी का रास्ता तय करना चाहिए. कुछ समय पहले किन्हीं कारणों से कुछ पुराने नेता गए हैं पार्टी से तो उनकी नाराजगी दूर करते हुए पार्टी में उनकी वापसी करनी चाहिए. मैं अपने बिथरी विधानसभा क्षेत्र में उन सभी लोगों से मिल रहा हूं और उन सभी को पार्टी में वापस लाने का प्रयास कर रहा हूं.
सवाल : वे कौन से मुद्दे होंगे जिन पर आप चुनाव लड़ना चाहेंगे?
जवाब : मैं बिथरी चैनपुर विधानसभा इलाके की बात करूं तो यहां सबसे बड़ा मुद्दा विकास का है. पिछले चार वर्षों में यहां कोई भी काम नहीं हुआ है. कोई विकास कार्य नहीं हुआ. जब पापा एमएलए थे तो यहां बहुत विकास हुआ. मैं विकास के नाम पर वोट मांगूंगा. पापा ने बहुत विकास कराया लेकिन विकास कभी हंड्रेड परसेंट नहीं होता. यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो पिछले चार वर्षों से रुकी हुई है. जनता पिछले और आज के विकास कार्यों की तुलना कर रही है. जो विकास कार्य पापा के कार्यकाल में हुए उनकी तुलना में वर्तमान विधायक के कार्यकाल में कुछ भी विकास नहीं हुआ. सिर्फ अराजकता बढ़ गई है विधानसभा क्षेत्र में. पप्पू भरतौल पर एक केस भी हुआ था जिसने बरेली को पूरे देश में शर्मसार कर दिया था. बिथरी की जनता बहुत ही शांतिप्रिय है लेकिन विधायक ने उसे अशांत कर दिया है. अराजकता बढ़ गई है यहां पर.. अराजकता, विकास और रोजगार ही मेरे मुद्दे होंगे.
सवाल : वर्तमान सरकार के चार वर्षों को आप किस नजरिए से देखते हैं?
जवाब : इस सरकार से जनता संतुष्ट नहीं है. बहुत सारे फ्रंट्स हैं जहां यह सरकार विफल रही है. जनता की असंतुष्टि के बहुत से कारण हैं. किसी भी क्षेत्रीय विधायक से जनता संतुष्ट नहीं है. विधायक से जनता को उम्मीद रहती है कि उसके पर्सनल काम हों पर कोई भी विधायक जनता के काम नहीं करवा पा रहा है. विकास कार्य भी नहीं करवाए हैं इन्होंने तो जनता इससे पूरी तरह असंतुष्ट है.

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