उत्तर प्रदेश की सियासत में शहजिल इस्लाम का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. सियासत उन्हें अपने परिवार से विरासत में मिली है. राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक़ रखने वाले शहजिल इस्लाम के दादा 6 बार और पिता दो बार विधायक रहे. वह खुद तीन बार विधानसभा पहुंच चुके हैं और मंत्री पद को सुशोभित भी कर चुके हैं. शहजिल इस्लाम का अब तक का राजनीतिक सफर कैसा रहा? एमबीए की पढ़ाई करने के बावजूद उन्होंने राजनीति को क्यों चुना? वर्तमान में वह भोजीपुरा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट के प्रबल दावेदार हैं. अगर पार्टी उन्हें मौका देती है तो उनके मुद्दे क्या होंगे? विधायक बनने पर उनके विकास का विजन क्या होगा? वर्तमान भाजपा विधायक बहोरन लाल मौर्या के पिछले साढ़े चार साल के कार्यकाल को शहजिल इस्लाम किस नजरिये से देखते हैं? ऐसे ही कई पहलुओं पर पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया साथ खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : आप मूल रूप से कहां के रहने वाले हैं, पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही?
जवाब : मैं मूल रूप से बरेली का रहने वाला हूं और राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से हूं. मेरे दादा स्व. अशफाक अहमद बरेली कैंट विधानसभा सीट से 6 बार विधायक रहे. दो बार मेरे पिता इस्लाम साबिर साहब भी विधायक रहे. मैं भी तीन बार विधायक रहा और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहा.
सवाल : पढ़ाई-लिखाई कहां से हुई और कहां तक की?
जवाब : मेरी स्कूलिंग यहीं बरेली में हार्टमैन से हुई. उसके बाद 10वीं और 12वीं की पढ़ाई रानीखेत बिरला स्कूल से की. ग्रेजुएशन और पीजी बरेली कॉलेज से किया. मैं एमबीए पास हूं.

सवाल : एमबीए करने के बाद राजनीति को चुनने की क्या वजह रही?
जवाब : राजनीति मुझे विरासत में मिली है. अपनी उसी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से मैंने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा. जनता के दिलों में हमारा परिवार शुरू से ही राज करता चला आ रहा है. कुछ लोग राजनीति को व्यापार की तरह समझते हैं लेकिन हमने राजनीति हमेशा समाज सेवा के तौर पर की है. समाज सेवा ही हमारा पहला और आखिरी लक्ष्य रहा है.
सवाल : सक्रिय राजनीति में कब आना हुआ?
जवाब : वर्ष 2002 में हमारे पिता इस्लाम साबिर साहब समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन ऐन वक्त पर विरोधियों की साजिश के तहत उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था. उस वक्त डमी उम्मीदवार के रूप में मैंने निर्दलीय के तौर पर नामांकन दाखिल किया था. उसी के आधार पर मैं चुनाव लड़ा और 10000 वोटों से मैंने पहला चुनाव जीत लिया.
सवाल : अब तक का राजनीतिक सफर कैसा रहा?
जवाब : वर्ष 2002 में निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद वर्ष 2007 में मैं भोजीपुरा आ गया और यहां से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भी मुझे जीत हासिल हुई और वर्ष 2012 तक मैं प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहा. फिर वर्ष 2012 में मैं दोबारा चुनाव लड़ना चाहता था लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने मेरा टिकट काट दिया. मैंने हार नहीं मानी. मैं भोजीपुरा विधानसभा सीट से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. फिर 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और 77000 वोट हासिल किए लेकिन मैं वह चुनाव नहीं जीत सका.
सवाल : आपके राजनीतिक सफर को लगभग दो दशक का समय हो चुका है. इन दो दशकों में अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि आप किसे मानते हैं?
जवाब : हमने क्षेत्र में विकास कराया है. 10 साल मैं भोजीपुरा में विधायक रहा और 5 साल कैंट विधानसभा क्षेत्र में रहा. मंत्री भी रहा. तो हमने शहर में भी और देहात में भी बिजली घर बनवाए. शहर में हमने जगतपुर में एक बिजली घर बनवाया जहां आज भी हमारे नाम का पत्थर लगा हुआ है. देहात की बात करें तो गांव बालीपुर में हमने बिजली घर बनाया और तमाम गांवों को सड़कों से जोड़ने का काम किया. पहले नकटिया भी हमारे कैंट विधानसभा क्षेत्र में ही था. उस समय हमने वहां भी एक बड़ा पावर हाउस बनवाकर बिजली की समस्या का स्थाई समाधान करवाने का प्रयास किया. फिर हम भोजीपुरा में आ गएतो यहां भी हमने जन समस्याओं को दूर कराने का प्रयास किया. यहां की नगर पंचायत धौराटांडा पूरे देश में मशहूर है. यहां का चावल देश- विदेश में जाता है. यहां राइस मिलर्स हैं. देश-विदेश से बायर्स भी आते हैं लेकिन वहां चलने के लिए भी सड़कें तो नहीं थीं. गली-गली वहां सीसी रोड करवाई. सबसे बड़ी उपलब्धि थी कि धौरा टांडा में जितनी राइस मिलें थीं वहां बिजली की कोई आपूर्ति नहीं थी. उसके आसपास के गांवों में भी बिजली की आपूर्ति नहीं होने की वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. मैंने सबसे बड़ा पावर हाउस धौराटांडा में बना कर एक मिसाल कायम कर दी. आज 24 में से 22 घंटे वहां और आसपास के इलाकों में बिजली आपूर्ति हो रही है.
सवाल : कौन-कौन से ऐसे गांव हैं जिनको आपने मेन रोड से जोड़ने का काम किया?
जवाब : अटामांडा, धौराटांडा पचदौरा डोरिया, करमपुर चौधरी, दोहना सहित दर्जनों गांवों को मुख्य मार्ग और सीसी रोड से जोड़ने का काम किया. एक और बहुत बड़ा काम जो हमने पिछली सरकार के कार्यकाल में किया किया वह नैनीताल रोड से शेरगढ़ को जोड़ने का काम है.

सवाल : अब आपने भोजीपुरा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट के लिए दावेदारी की है. आपकी नजर में इस सीट के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
जवाब : वर्तमान भाजपा विधायक बहोरन लाल मौर्या पिछले साढ़े चार साल में भोजीपुरा विधानसभा सीट पर एक ईंट तक नहीं लगवा सके हैं. इसका साक्षात प्रमाण गांव चौबटिया है जहां के लोगों ने बैनर लगा दिया है कि गांव में भारतीय जनता पार्टी के लोगों का प्रवेश निषेध है. भारतीय जनता पार्टी के विधायक यहां नहीं आएं. भारतीय जनता पार्टी के विधायक यहां कोई विकास नहीं करवा पाए. आज हमारे और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी के काम को देखते हुए जनता हमें वापस लाएगी.
सवाल : वर्तमान विधायक बहोरन लाल मौर्या के अब तक के कार्यकाल को आप किस नजरिए से देखते हैं?
जवाब : मेरी नजर में बहोरन लाल मौर्या का कार्यकाल एकदम शून्य रहा है, जीरो है. उन्होंने कोई विकास कार्य नहीं किया जिसके आधार पर वह जनता से वोट मांग सकें. उनके क्षेत्र के अंदर चीनी में है लेकिन किसानों का भुगतान नहीं हो पाया है.
सवाल : अगर अब आपको विधायक बनने का मौका मिलता है तो आपके विकास का विजन क्या होगा? क्या कोई ड्रीम प्रोजेक्ट है आपका?
जवाब : अगर मुझे विधायक बनने का मौका मिलता है तो भोजीपुरा में चौमुखी विकास कराया जाएगा. जिस तरह से मैंने धौराटांडा के अंदर पावर हाउस बनाने का काम किया है उसी तरह से एक बहुत बड़ा पावर हाउस शेरगढ़ के अंदर बनाने की योजना है. उत्तराखंड की तर्ज पर एक बड़ा कृषि विश्वविद्यालय बनाना मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य भी मेरे प्रमुख मुद्दे हैं. मंत्री और विधायक रहते हुए मैंने कई अस्पताल और स्कूल बनवाए लेकिन अभी बहुत से गांव ऐसे हैं जहां के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. उन गांवों के लोगों के लिए अस्पताल बनवाए जाएंगे. कई गांव ऐसे हैं जहां के ग्रामीण असुरक्षा के डर से बेटियों को 10-15 किमी दूर कॉलेज नहीं भेजना चाहते जिसके कारण बेटियां उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती हैं, ऐसे गांवों के लोगों के लिए डिग्री कॉलेज बनवाऊंगा. मैंने हाईस्कूल और इंटर कॉलेज अलीनगर गांव में बनवाया था. नैनीताल रोड पर गांव रमपुरा में मैंने कस्तूरबा बालिका विद्यालय खोलने का काम किया. ऐसे कई और गांव भी हमने चिन्हित किए हैं जहां हम लड़कियों की शिक्षा के लिए इंटर कॉलेज भी खोलेंगे. सरकार द्वारा डिग्री कॉलेज भी खुलवाए जाएंगे. शेरगढ़ के अंदर हमने महसूस किया कि लड़कियां आज पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं. जब हमारी सरकार आएगी तो उनके लिए शेरगढ़ में एक डिग्री कॉलेज खुलवाया जाएगा. वहां इंटर कॉलेज मैं पहले ही खुलवा चुका हूं. इसके अलावा जब मैं सत्ता में था तो मैंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काफी काम किया अलीनगर के ठीक सामने स्थित गांव करमपुर में मैंने अस्पताल खोला और शेरगढ़ में भी बहुत बड़ा सरकारी अस्पताल बनवाया. इस तरह से जब-जब जहां-जहां हमारी जनता मांग करती थी हमने वहां स्कूल और अस्पताल खोले थे.
सवाल : रोजगार की दिशा में आप क्या प्रयास करेंगे?
जवाब : भाजपा के कार्यकाल में बरेली से उद्योग पलायन कर गए हैं. छोटे-बड़े उद्योग बंद होते जा रहे हैं. आइटीआर बंद हुई, रबड़ फैक्ट्री बंद हुई, कैंफर फैक्ट्री हुआ करती थी वह भी बीजेपी के कार्यकाल में बंद हो गई. हमारी कोशिश रहेगी कि समाजवादी पार्टी की सरकार में हम लोग नए रोजगार दिलाने के काम करेंगे. नए प्रतिष्ठान लाने के काम करेंगे. स्कूल-कॉलेज खुलवाए जाएंगे, कृषि विश्वविद्यालय खुलेगा तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा.