खौफ का मंजर होना समझदार जरूरी है
इस बेवक्त की बवा में इक़ किरदार जरूरी है
थोड़ा ठहर जायो कि तूफान निकल जाये
निकलने को बाहर इन्तिज़ार जरूरी है
सदी में एक बार आती दुनिया में ऐसी बीमारी
ईलाज इसका होना सिलसिलेवार जरूरी है
जान लेवा बीमारी है पर हम यकीनन जीतेंगे
वक़्त की सुनना हर इक़ पुकार जरूरी है
दूर दूर रहना है वक़्त नाजुक का तकाज़ा
बनना इस वक़्त बहुत होशियार जरूरी है
दवाई का इस्तेमालऔर पाबंदी की जरूरत
अपना चमन करना वैसा गुलज़ार जरूरी है
सबकी हिस्सेदारी चाहिये मुसीबत की घड़ी में
सारे इंतिज़ाम होना असरदार जरूरी है
*हंस* वतन पुरजोर कोशिश से वैसा ही बनाना
इंसानियत का होना जरा जिम्मेदार जरूरी है
–एस के कपूर “श्री हंस”
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