इंटरव्यू

जिला पंचायत की कम से कम 45 सीटें जीतेगी सपा, विधानसभा भी जीतेंगे, गठबंधन से कोई नुकसान नहीं, पढ़ें पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार का स्पेशल इंटरव्यू…

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जिला पंचायत चुनाव के परिणाम आने वाले हैं. समाजवादी पार्टी को इस बार कितनी सीटें मिलेंगी? किसान आंदोलन का इस चुनाव पर कितना असर पड़ेगा? आगामी विधानसभा चुनाव में क्या सपा को दूसरे दलों के साथ गठबंधन करना चाहिए? चर्चा है कि समाजवादी पार्टी इस बार सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष वीरपाल सिंह यादव की पुत्रवधू को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए समर्थन दे सकती है. इस बारे में पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार का क्या कहना है? यूपी में वर्ष 2022 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन चुनावी साल कोरोना काल में तब्दील होता जा रहा है. ऐसे में भगवत सरन गंगवार के अनुसार सपा की क्या रणनीति होनी चाहिए? क्या पिछले चुनाव की तरह इस बार भी पार्टी को अन्य दलों से गठबंधन करना चाहिए? ऐसे कई बिंदुओं पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया से खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : जिला पंचायत चुनाव के परिणाम आने वाले हैं, क्या कहेंगे इस बारे में, आपकी विधानसभा क्षेत्र की स्थिति क्या रहेगी?
जवाब : वैसे तो काउंटिंग से पहले कोई बात कहनी नहीं चाहिए लेकिन आपका प्रश्न है तो मैं बस इतना ही कहूंगा कि मैंने और मेरे साथियों ने इस बार बहुत ही गंभीरता के साथ मेहनत की है और रिजल्ट हंड्रेड परसेंट रहने की उम्मीद है. हमारे विधानसभा क्षेत्र में आठ पूरी सीटें हैं और बहेड़ी एवं नवाबगंज का 1-1 पार्ट भी शामिल है जिसमें 26-27% वोटर हमारी विधानसभा क्षेत्र के हैं बाकी दूसरी विधानसभा क्षेत्र के.
सवाल : आपने पंचायत चुनाव के दौरान गांव-गांव जाकर जमीनी स्तर पर कार्य किया है. क्या आपको लगता है कि किसान आंदोलन का असर पड़ेगा इस चुनाव पर?
जवाब : किसान आंदोलन का भी असर है लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य उत्तर प्रदेश में कितना असर किसान आंदोलन का होना चाहिए था उतना नहीं हो पाया है. किसान भी परेशान है. अखिलेश जी द्वारा हमारी पिछली सरकार में किए गए कार्यों का और उनके व्यवहार का भी हमें काफी लाभ मिला है. जनता का रुझान समाजवादी पार्टी की तरफ है. वहीं, माननीय विधायक केसर सिंह जी के आचरण, उनके व्यवहार और कृत्यों से लोग नाराज हैं, इसका भी लाभ हमें मिला है. मेरा जो स्वभाव रहा है तो जब लोग तुलना करते हैं मुझमें और वर्तमान विधायक में तो मुझे ज्यादा नंबर देते हैं.
सवाल : पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा है. क्या पंचायत चुनाव के दौरान किए गए कार्यों का विधानसभा चुनाव में आपको लाभ मिलेगा?
जवाब : विधानसभा चुनाव में अभी समय बहुत है लेकिन सरकार की जो कार्य करने की गति, नीति और नीयत है उसे सरकार के लोग सुधार नहीं पा रहे हैं और न ही सुधार पाएंगे. सरकार की गति, नीति और नीयत से लोग नाराज हैं. फिलहाल पांचवां साल चल रहा है. पहले ही साल में इन्होंने एक तारीख दी थी कि सारे गड्ढे भर दिए जाएंगे लेकिन आज तक नहीं भर पाए. किसानों और नौजवानों के लिए कही गईं इनकी सारी बातें खोखली साबित हुईं. जब बजट प्रस्तुत करते हैं तो मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि हमने सबसे अधिकतम बजट प्रस्तुत किया है लेकिन उसमें से रिलीज कितना हुआ, यह देखने वाली बात है. इन्होंने सिर्फ जुमलेबाजी और खोखली बातें ही की हैं, धरातल पर कहीं कुछ नहीं है. इसलिए विधानसभा चुनाव में इसका असर निश्चित तौर पर रहेगा. देहात में आज भी 80 फीसदी पब्लिक रहती है जिनके लिए इन्होंने कुछ नहीं किया. मैं हमेशा कहता कि रहा हूं और लोग जानते भी हैं कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ व्यापारियों और शहर के लोगों की पार्टी है. यह बात इनकी 7 साल की लोकसभा की और 5 साल की विधानसभा की गतिविधियों को देखकर साबित हो गई है. गरीब किसान और नौजवान के लिए इन्होंने कुछ नहीं किया.

अपने निवास पर जानकारी देते पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार.

सवाल : वे कौन सी मांगें या जरूरतें थीं किसानों और नौजवान की जो पूरी नहीं हुईं?
जवाब : शुरू से ही बहुत सी बातें कही थीं,एक भी वादा पूरा नहीं किया. सही मायने में देखा जाए तो समाज के जो 7-8 बहुत बड़े काम हैं जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा, पीने का पानी, सड़क, बच्चे कैसे पढ़ें, इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे डेवलप हो, रोजगार कैसे मिले? सारे स्तर पर भारतीय जनता पार्टी की दोनों सरकारें फिर साबित हुई हैं.
सवाल : पंचायत चुनाव का रिजल्ट आने वाला है. जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर लॉबिंग शुरू हो चुकी है. एक चर्चा यह भी है कि समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरपाल सिंह यादव की पुत्रवधू को सपा समर्थन कर सकती है. क्या कहेंगे इस बारे में?
जवाब : देखिए, यह चुनाव जब शुरू होगा तो उस समय क्या परिस्थितियां बनती हैं, यह उस समय की बात है. इस समय कुछ नहीं कहा जा सकता. वैसे हम यह कह सकते हैं कि समाजवादी पार्टी जिला पंचायत की 60 में से कम से कम 45 सीटें जीतेगी. अगर 45 सीटें पार्टी जीतती है तो निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी का ही अध्यक्ष बनेगा. हां लोगों में कुछ भ्रांतियां जरूर हैं. जैसे- पूरे उत्तर प्रदेश में भूमि विकास बैंक (एलडीबी) का चुनाव हुआ था. बरेली में तो कैंडीडेचर ही नहीं आया था पर हमने चुनाव लड़ाया था. निश्चित रूप से हमारे दोनों एलडीबी के सदस्य जीत जाते लेकिन पुलिस और प्रशासन ने वह तांडव रचा कि लंबी लगी लाइन को लाठियों से भगा दिया. लाठीबाजी की, गाली बाजी की बेइज्जत किया, बूथ के अंदर से हमारे प्रत्याशियों को निकाल दिया गया और बलपूर्वक जबरन चुनाव जीत लिया. जो भाजपा के प्रत्याशी थे वह तो आए ही नहीं थे और उन्हें एक प्रशासनिक अधिकारी गाड़ी लेकर घर से बुलाने गया कि चलो और जीत का प्रमाण पत्र ले लो, तो इस तरह की भ्रांतियां हैं कि ये लोग इस चुनाव में भी ऐसा कर सकते हैं. पंचायत चुनाव तो आम आदमी का चुनाव था, इसलिए ये कुछ नहीं कर पाए लेकिन जितना कर सकते थे भाजपा के प्रत्याशियों को पुलिस और प्रशासन ने मदद पहुंचाने की कोशिश की. अगले चुनाव में भी ये कुछ न कुछ करेंगे लेकिन हमारा मानना यह है कि राजनीति में डर और भय का कोई काम नहीं है. जो भी परिस्थितियां बनती हैं उनका मुकाबला करो और मुकाबला करने को हम हर समय तैयार रहते हैं. इसलिए चुनाव लड़ाया भी जाएगा पार्टी की तरफ से, चुनाव जिताने का भरसक प्रयास भी किया जाएगा और चुनाव जीता भी जाएगा.
सवाल : कोरोना काल चल रहा है, विधानसभा चुनाव भी आने वाले हैं. ऐसे में आपके हिसाब से पार्टी की तैयारी किस तरह से होनी चाहिए?
जवाब : यह पूरे विश्व की समस्या है. हिंदुस्तान भी बहुत ही भयावह स्थितियों से गुजर रहा है. वैज्ञानिक कहते हैं कि हवा में वायरस फैल रहा है तो इससे बचाव बेहद जरूरी है. जब जीवन ही नहीं रहेगा तो राजनीति का क्या करेंगे. इसलिए कोरोना गाइडलाइन में रहकर ही चुनाव का प्रचार- प्रसार होगा. फिर अब तो सोशल मीडिया है, टीवी है और थोड़ा-थोड़ा भ्रमण भी निश्चित रूप से होगा. वैसे तो जनता बहुत जागरूक है. अब पंचायत चुनाव में ही देखा जाए तो मेरा तजुर्बा कहता है कि समाजवादी पार्टी को इसीलिए बढ़त मिलेगी क्योंकि समाजवादी पार्टी के लोग धरातल पर जाकर काम करते हैं और लोगों की मदद करने का काम करते हैं. पिछली साल भी कोरोना का प्रकोप चल रहा था. लॉकडाउन भी था. उस दौरान लोगों की जितनी सेवा समाजवादी पार्टी ने लोगों की थी, मुझे नहीं लगता कि किसी और ने की होगी. हमारे लोग हर स्तर पर सक्रिय हैं.

दूसरे दलों के साथ गठबंधन के बारे में बात करते पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार

सवाल : पिछली बार सपा ने अन्य दलों के साथ गठबंधन किया था. क्या आगामी विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी को अन्य दलों के साथ गठबंधन करना चाहिए?
जवाब : गठबंधन के रिजल्ट अच्छे भी होते हैं और खराब भी रहते हैं. इसके बारे में कोई बात पहले से नहीं कही जा सकती. जैसे-पिछले विधानसभा चुनाव में हमने कांग्रेस से गठबंधन किया था पर कांग्रेस का वोट ही नहीं था उत्तर प्रदेश में. जहां कांग्रेस को टिकट मिले वहां उन्हें तो हमारे वोट भी मिल गए पर हमें उसका लाभ नहीं मिला. इसके अलावा लोकसभा चुनाव में भी यही हुआ. समाजवादी पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन किया. सपा ने कुल 5 सीटें जीतीं और बसपा 10 सीटें जीत गई. तो यह पहले से कह पाना कठिन है कि किस तरीके से गठबंधन होगा. यह एक ऐसा विषय है जो उसी समय परिस्थितियों के हिसाब से तय होना चाहिए. वैसे गठबंधन से कोई नुकसान नहीं है. गठबंधन में दो पार्टियां एक होकर काम करती हैं. पार्टियों के कार्यकर्ताओं में एका होता है तो लड़ने में राहत महसूस होती है. पहले जब लड़ाइयां होती थीं तो जितने भी लोगों का समर्थन मिलता था उससे लाभ भी होता था.

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