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भतीजे की काली करतूत पर बोले व्यापारी नेता-मेरा गुनाह सिर्फ इतना है कि पारस गुप्ता मेरा भतीजा है…

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नीरज सिसौदिया, बरेली
ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी के आरोपी पारस गुप्ता के साथ उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रांतीय महामंत्री राजेंद्र गुप्ता पर भी अंगुलियां उठने लगी हैं. कहा जा रहा है कि पारस गुप्ता जिन सिलेंडरों की कालाबाजारी कर रहा था वह राजेंद्र गुप्ता के ही ऑक्सीजन प्लांट से लाए गए थे और इस पूरे खेल को राजेंद्र गुप्ता भी अपने भतीजे के साथ मिलकर अंजाम दे रहे थे. इस संबंध में जब राजेंद्र गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मेरा गुनाह सिर्फ इतना है कि पारस गुप्ता मेरा भतीजा है. इसके अलावा मेरा इस मामले से कोई लेना देना नहीं है. राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि वह लगातार मुफ्त ऑक्सीजन सिलेंडर बांट कर जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. अब तक सौ से भी अधिक सिलेंडर वह मुफ्त में दे चुके हैं. अगर उन्हें पैसे ही कमाने होते तो अब तक लाखों रुपये कमा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने कहा कि पिछले साल भी उन्होंने लॉकडाउन में जरूरतमंदों की सेवा की थी जिसकी पूरी दुनिया गवाह है और इस बार भी वह लगातार जरूरतमंदों की सेवा करते आ रहे हैं. ऐसे में मुझ पर कालाबाजारी करने जैसा आरोप लगाना समझ से परे है.
भतीजे की करतूत के संबंध में पूछने पर राजेंद्र गुप्ता ने कहा, ‘परिवार में अगर एक व्यक्ति गुनाह करता है तो क्या पूरा परिवार अपराधी हो जाता है? मेरे 16 भतीजे हैं. कौन सा भतीजा क्या कर रहा है उसके लिए मैं कैसे जिम्मेदार हो गया? जिसने अपराध किया है उसे सजा मिलेगी.’
बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर पारस गुप्ता को ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई कौन करता था? कालाबाजारी के इस खेल में और कौन-कौन शामिल हैं? कहीं कोई बड़ा गिरोह तो इसका जिम्मेदार नहीं है? ऐसे कई सवाल हैं जो इस रहस्य से पर्दा उठाएंगे कि राजेंद्र गुप्ता वाकई भतीजे की करतूत में शामिल थे अथवा उनकी छवि खराब करने के लिए ये सारा खेल रचा जा रहा है.
वहीं रुहेलखंड उद्योग व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष राजकुमार मेहरोत्रा ने दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडरों और अन्य जरूरी सामानों की कालाबाजारी के लिए विभागीय अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि विभाग के पास अधिकारियों और कर्मचारियों की फौज है फिर भी कालाबाजारी पर अंकुश क्यों नहीं लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले एक माह के दौरान अस्पतालों में किस मरीज को कितने सिलेंडर लगाए गए, उसने सिलेंडर कहां से और कितने रुपये में लिया, इसकी भी जांच कराई जानी चाहिए. सेल टैक्स विभाग को एक एक मरीज से पूछताछ करनी चाहिए. तभी अस्पताओं द्वारा की जा रही कालाबाजारी का खुलासा हो सकेगा. उन्होंने कहा कि अस्पतालों द्वारा की जा रही लूट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.

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