नीरज सिसौदिया, बरेली
वार्ड 23 की चुनिंदा डेयरियों पर कार्रवाई करके सुर्खियां बटोरने वाले नगर निगम के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगने लगे हैं. अवैध डेयरियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पिक एंड चूज की रणनीति अपनाई जा रही है. एक तरफ तो शनिवार को वार्ड -23 की तीन अवैध डेयरियों के खिलाफ कार्रवाई की गई, वहीं दूसरी तरफ उसी वार्ड में भाजपा पार्षद सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा के घर से कुछ दूरी पर ही नगर निगम की सड़क पर कब्जा कर बनाई गई अवैध डेयरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. हैरानी की बात है कि इस डेयरी के खिलाफ लोगों ने लिखित में शिकायत भी की थी मगर कार्रवाई करने को कोई तैयार नहीं हुआ. सूत्र बताते हैं कि उक्त डेयरी संचालक से रिश्वत की मोटी रकम वसूल कर निगम अधिकारियों ने इस ओर से मुंह मोड़ लिया है. वार्ड में कहीं भी कार्रवाई हो पर इस डेयरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती. इससे अन्य डेयरी संचालकों में रोष व्याप्त है.
वहीं, दूसरी ओर कर्मचारी नगर में भी अवैध डेयरियां खुलेआम संचालित की जा रही हैं. इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही. स्थानीय लोगों को इससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने तत्काल डेयरी संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.
इसके अलावा सुभाष नगर, मढ़ीनाथ, भूड़, नवादा शेखान आदि कई इलाकों में अवैध रूप से डेयरी संचालित की जा रही हैं लेकिन नगर निगम के अधिकारी कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं.
शहर के 80 वार्डों में लगभग दो सौ से भी अधिक छोटी बड़ी अवैध डेयरियां संचालित की जा रही हैं लेकिन भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे नगर निगम के अधिकारी अपनी जेबें गर्म करने में लगे हुए हैं. इससे नगर निगम और भाजपा सरकार की छवि तो धूमिल हो ही रही है, सरकार को भी राजस्व की चपत लग रही है. वार्ड 23 में अगर दो दिन में चार डेयरियों पर कार्रवाई करके निगम 19 हजार रुपये की वसूली कर सकता है तो सैकड़ों अवैध डेयरियों के खिलाफ कार्रवाई करके लाखों रुपये के राजस्व की भी वसूली की जा सकती है. मगर एसी कमरों में बैठकर नगर निगम चलाने वाले नगर आयुक्त जैसे अधिकारियों की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा है. बहरहाल, डेयरियों पर कार्रवाई के नाम पर भ्रष्टाचार का काला खेल तेजी से चल रहा है.