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अब बूथ स्तर तक पहुंची अतुल कपूर की तैयारी, बनाए गए बूथ सत्यापन अधिकारी, हर कार्यकर्ता तक पहुंच, युवाओं पर विशेष नजर

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नीरज सिसौदिया, बरेली
भारतीय जनता पार्टी ने भी अब विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी स्तर पर किलेबंदी तेज कर दी है. बरेली मंडल के अंतर्गत पड़ने वाली विभिन्न विधानसभा सीटों के प्रभारी घोषित कर दिए हैं. विधायक डा. अरुण कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही अतुल कपूर को भी बूथ सत्यापन अधिकारी की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके बाद जहां मंडल भर में भाजपा के चुनावी अभियान में तेजी आई है वहीं, पूर्व उपसभापति अतुल कपूर ने 124 बरेली शहर विधानसभा क्षेत्र में बूथ स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. इसके लिए उन्होंने युवाओं को विशेष जिम्मेदारी भी सौंप दी है.
दरअसल, पिछले दिनों भाजपा ने सुभाष पटेल, गुलशन आनंद, प्रशांत पटेल सहित कई नेताओं को विभिन्न विधानसभाओं के प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी है. इसी कड़ी में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष ब्रज बहादुर जी ने पिछले दिनों 124 शहर विधानसभा के बूथ सत्यापन अभियान की योजना बैठक की थी. इस बैठक में अतुल कपूर भी शामिल हुए. इस बैठक के बाद अतुल कपूर ने शहर विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में बूथ स्तर पर मौजूद अपने युवा साथियों को सक्रिय कर दिया. ये युवा भारतीय जनता पार्टी की नीतियों के साथ ही अतुल कपूर की भी घर-घर जाकर ब्रांडिंग शुरू कर चुके हैं. होर्डिंग और पोस्टरों के माध्यम से तो पहले ही अतुल कपूर हर गली मोहल्ले के नुक्कड़ तक पहुंच चुके थे मगर अब अतुल कपूर का अभियान घर-घर दस्तक दे रहा है. अतुल कपूर ने पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों का सिलसिला तो काफी पहले ही शुरू कर दिया था मगर वर्तमान में इस कार्य को युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है. अतुल कपूर समाज के हर तबके को साथ लेकर चलना चाहते हैं. यही वजह है कि पिछले दिनों आईएमए हॉल में वह रैक पिकर्स के साथ भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आए थे.

उन्होंने इन रैक पिकर्स को सेफ्टी किट वितरित करते हुए उनके हर सुख दुख में भागीदार बनने का भरोसा भी दिलाया. बता दें कि ये रैक पिकर्स दलित समाज से ताल्लुक़ रखते हैं और शहर विधानसभा क्षेत्र में जाटवपुरा सहित कई इलाके ऐसे हैं जहां दलित वोटों की अच्छी खासी तादाद है. इन रैक पिकर्स के माध्यम से अतुल कपूर दलित समाज का भी समर्थन हासिल कर खुद को हर वर्ग के नेता के रूप में रिप्रेजेंट करने में जुटे हैं. बताया जाता है कि उन्हें इसके सकारात्मक परिणाम भी मिलने लगे हैं.


इसके अलावा अतुल कपूर ने पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं के बीच भी सक्रियता बढ़ा दी है. इसका ताजा उदाहरण पिछले दिनों युवा मोर्चा की ओर से आयोजित युवा संकल्प यात्रा के दौरान देखने को मिला. इस यात्रा में हाथों में तिरंगा लेकर अतुल कपूर भी युवा साथियों का हौसला बढ़ाते नजर आए.
दरअसल, शहर विधानसभा सीट पर भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदारों में अतुल कपूर सबसे युवा और युवाओं में लोकप्रिय दावेदार हैं. यही वजह है कि वह जहां भी जाते हैं वहां युवाओं का एक बड़ा हुजूम उनके साथ खड़ा नजर आता है. यह सर्वविदित है कि बिना युवाओं के समर्थन के कोई भी चुनाव न तो लड़ा जा सकता है और न ही उसे जीता जा सकता है. यही वजह है कि अतुल कपूर ने अब पार्टी के बाहर के युवाओं को भी जोड़ने का कार्य तेज कर दिया है. शहर विधानसभा सीट पर यह आबादी निर्णायक भूमिका में है. जिसके साथ युवा होगा सत्ता भी उसी के हाथों में होगी.

बहरहाल, भाजपा के टिकट के अन्य दावेदारों की तुलना में अतुल कपूर खासे सक्रिय नजर आ रहे हैं. इसका लाभ उन्हें मिल सकता है. पिछले दिनों एक निजी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने टिकट वितरण के कुछ आधार बताए थे जिनमें मुख्य आधार पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रियता और संगठन के प्रति समर्पण थे. फिलहाल इन दोनों ही मोर्चों पर अतुल कपूर अन्य दावेदारों से बेहतर प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में शायद ही कोई ऐसा संगठन का कार्यक्रम रहा होगा जिसमें अतुल कपूर ने अपनी मौजूदगी दर्ज न कराई हो. यही वजह है पहली बार में ही चुनाव जीतकर निगम सदन पहुंचे अतुल कपूर के नाम से आज शहर विधानसभा का बच्चा-बच्चा वाकिफ है.

अब बूथ स्तर पर युवाओं की जो टोलियां अतुल कपूर ने बनाई हैं वे टोलियां उनकी लोकप्रियता को घर-घर तक पहुंचाने का कार्य जोर-जोर से कर रही. अतुल कपूर की ये तैयारियां उन्हें विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ने का मौका दिला पाएंगी अथवा नहीं, यह तो कहना मुश्किल है लेकिन अतुल कपूर की इन तैयारियों ने उन्हें सियासतदानों की उस भीड़ से जरूर दूर कर दिया है जो आज भी सियासी भेड़ चाल का हिस्सा हैं और अब तक अपना अलग कोई सियासी वजूद स्थापित नहीं कर सके हैं. अतुल कपूर ने पिछले करीब तीन साल में जिस तेजी और तन्मयता के साथ काम किया है उसने अतुल कपूर के सियासी कद को बढ़ाने का काम जरूर किया है. यही वजह है कि आज जब भी शहर विधानसभा की चर्चा होती है तो सबसे पहला जिक्र पूर्व उप सभापति अतुल कपूर का ही होता है. निश्चित तौर पर यह अतुल कपूर की बड़ी उपलब्धि है. शहर से लेकर देहात तक अतुल कपूर के चर्चे यह साबित करते हैं कि अगर पार्टी उन्हें मैदान में उतारती है तो निश्चित तौर पर वह विधानसभा के फासले जरूर तय कर लेंगे.

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