नीरज सिसौदिया, जालंधर
एन्टी करपशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की तरफ आल इंडिया प्राइड अवार्ड समारोह का आयोजन करनाल में किया गया । इस कायक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता शक्ति कपूर ने शिरकत की। फ़िल्म अभिनेता शक्ति कपूर ने युवा राष्ट्र निर्माण वाहिनी संस्था के अध्यक्ष एवं युव नेता सुशील तिवारी हिंदुस्तानी को सम्मानित किया । ये अवार्ड उन्हें लोगो को कोरोना काल मे जागरूक करवाने के साथ रेलवे नियमों की पालना करवाने के लिए दिया गया । इस मौके पर शक्ति कपूर ने प्रसिद्ध समाज सेवी सुशील तिवारी हिंदुस्तानी की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि हमारे समाज मे सुशील तिवारी जैसे समाज सेवक है जो दिन रात मेहनत कर रहे लोगो को जागरूक करने के लिए बड़े बड़े अभियान चला रहे है एक तरफ नोजवान पीढ़ी नशे की तरफ बढ़ रही रही तो वही दूसरी तरफ सुशील तिवारी जैसे लोगो युवा पीढ़ी की भविष्य की चिंता करते हुए उन्हें सही मार्ग दिखाने का काम कर रहे है । इस मौके पर युवा नेता सुशील तिवारी हिंदुस्तानी ने शक्ति कपूर का धन्यवाद करते हुए कि कहा हर व्यक्ति का समाज, परिवार, दोस्तों व अपने काम के प्रति कुछ न कुछ दायित्व होता है। इसे निभाने के लिए हमें गंभीर भी होना चाहिए। हमें अपने दायित्व को निभाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। इन सभी दायित्वों में देश के प्रति कुछ करना, हमारा प्रमुख दायित्व है। हमें किसी न किसी रूप में इसे पूरा भी करना चाहिए। जरूरतमंदों की मदद, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हमें हमेशा आगे आना चाहिए। युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाना, उसे अच्छे-बुरे की समझ करवाकर भी हम अच्छे समाज का निर्माण कर सकते हैं। आज की युवा आधुनिकता के रंग में अपने संस्कारों, नैतिकता और बड़ो का आदर करना भूल रही है। हमारा दायित्व है कि युवा पीढ़ी को सही मार्ग दिखाएं, ताकि आने वाला कल अच्छा हो। जहां पर बच्चा गलत करता है उसे टोकना चाहिए।
संसार में मानव परमात्मा की प्रमुख व खूबसूरत कलाकृति है तथा मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मानव होने के नाते हम कुछ ऐसी मानवीय संवेदनाओं, आवश्यकताओं, अपेक्षाओं व धारणाओं के सूत्र में बंधे हुए हैं, जिसका कोई कानूनी, शास्त्रीय, धार्मिक या जातीय प्रतिबंध न होते हुए भी हमारे निजी, सामाजिक, पारिवारिक और राष्ट्रीय जीवन से सीधा सरोकार है। इनका निर्वाह हमारे नैतिक दायित्व के अंर्तगत प्रमुख है। किसी लाभ, स्वार्थ या प्रतिफल की इच्छा के बिना दूसरों की मंगल कामना, लोक कल्याण, सबके हित में योगदान करना भी हमारे दायित्व में आता है.
जीवन को नए अर्थ मिलने लगे। यह एहसास हुआ कि गुरु का कार्य केवल पुस्तकों के ज्ञान की मंजिल तक सीमित नहीं है, अपितु उसका पथ प्रदर्शक बन व्यावहारिकता में उसे मंजिल तक पंहुचाना भी.