नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
ज्योतिष रत्नाकर और राजनीतिक विश्लेषक नरेश नाथ ने मध्यम वर्ग की उपेक्षा पर वित्त मंत्री को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने वित्त मंत्री से सवाल पूछते हुए कहा है कि माननीय फाइनेंस मिनिस्टर जी हर पैकेज का आधार मजदूर गरीब या फिर फैक्ट्री के मालिक और बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री को बनाया जा रहा है. एक वर्ग जिसे मध्यमवर्ग कहते हैं उसे देश की सरकार हमेशा भूल जाती है. यही वह वर्ग है जो हर तरह के कर्ज बैंक से लेता है, उसकी ईएमआई समय पर देता है. कभी डिफाल्टर नहीं होता है. यही वर्ग अपने बच्चों को बाहर भेजने के लिए एजुकेशन लोन लेता है. यही वर्ग अपने घर में हर सुख सुविधा के लिए एसी, स्कूटर, कार के लिए लोन लेता है. जिससे बड़ी-बड़ी कंपनियां करोड़ों रुपया कमाती हैंं फिर भी यह सभी बड़े-बड़े घराने बड़े-बड़े बैंक सरकार से घाटा शो करके आर्थिक पैकेज मांगते हैं आज मैं आपसे आर्थिक पैकेज देने के पहले मध्यम वर्ग के लिए राहत की फरियाद करता हूं. मध्यम वर्गीय नौकरी पेशा की तनख्वाह कम न की जाए.
मध्यम वर्ग अपने द्वारा संचित पैसे को बैंक में एफडी के रूप में रखकर उसका ब्याज कमाता है और उससे अपने महीने का राशन पानी और कई तरह की चीजें बाजार से खरीदता है. इसलिए एफडी का न्यूनतम ब्याज आठ परसेंट से काम नहीं होना चाहिए.
मध्यमवर्ग को पेंशन का डीए कम नहीं होना चाहिए या फ्रीज नहीं करना चाहिए.
मध्यम वर्ग उपभोग का सबसे बड़ा केंद्र है जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है. यदि देश ने अपना सामान बना लिया तो भारत में उसे खरीदने वाला मध्यम वर्ग यदि खरीदने की अवस्था में नहीं होगा तो कौन खरीदेगा? उच्च वर्ग खरीदेगा नहीं, निम्न वर्ग को सिर्फ आटा, दाल, चावल और शराब की जरूरत होती है.
मध्यम वर्ग भारत की रीढ़ की हड्डी है. इसे पोषित करेंगे तो यह उच्च वर्ग को भी सहायता करेगा और निम्न वर्ग का भी पोषण करेगा.
नरेश नाथ मध्यम वर्ग की आवाज बुलंद कर रहे हैं. उनके इस पहल की लोगों सराहना की है.