नीरज सिसौदिया, बरेली
जिंदगी जीने के लिए इंसान की सबसे बड़ी जरूरत दो वक्त की रोटी ही होती है. रोटी की अहमियत अमीर भले ही न समझ पाएं मगर वे गरीब अच्छी तरह से जानते हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है और कई बार तो हाड़तोड़ मेहनत के बावजूद वे भूखे पेट सोने को मजबूर हो जाते हैं. शहर में कोई भी इंसान भूखा सोने को मजबूर न हो इस दिशा में सरकारी सिस्टम तो प्रयासरत है ही, कुछ समाजसेवी और सियासतदान भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं. बरेली शहर का ऐसा ही एक नाम है डा. उमेश गौतम. बरेली के महापौर डा. उमेश गौतम लोगों के पेट के रास्ते उनके दिलों में जगह बना चुके हैं.
बता दें कि मेयर बनने से पूर्व डा. उमेश गौतम एक आम बिजनेसमैन थे लेकिन समाजसेवा के क्षेत्र में वह उस दौरान भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे. हालात ने उन्हें राजनीति की गंदगी में कदम रखने को मजबूर तो कर दिया लेकिन सियासत के कीचड़ में भी एक कमल की तरह डा. उमेश गौतम हमेशा खिलते नजर आए.
मेयर बनने के बाद दायरा बढ़ा और जिस उमेश गौतम की बदौलत अब तक चंद लोगों के घरों के चूल्हे जलते थे अब उन पर पूरे शहर की जिम्मेदारी आ चुकी थी. उनके सामने राजनीतिक विरोधियों की एक लंबी कतार थी. समाजसेवा से जुड़े उनके हर कदम को राजनीति से जोड़कर तरह-तरह की बातें और आलोचनाएं की जाने लगीं लेकिन इन आलोचनाओं ने मेयर के कदमों को डगमगाने नहीं दिया. यही वजह रही कि जब कोरोना काल आया तो मेयर ने घर-घर तक भोजन पहुंचवाया. जब सियासतदान अपने घरों में दुबके बैठे थे तो मेयर डा. उमेश गौतम राशन के पैकेट लेकर गली-गली में लोगों की दो वक्त की रोटी का इंतजाम करते नजर आए. दुआओं का ऐसा असर हुआ कि घरों में बैठे सियासतदान तो कोरोना की चपेट में आ गए मगर मेयर डा. उमेश गौतम को महामारी का साया छू तक नहीं सका. मेयर के समाजसेवा सिर्फ कोरोना काल तक ही सीमित नहीं रही. वह आज भी प्रधानमंत्री की राशन वितरण योजना के तहत हर गली-मोहल्ले में जाकर राशन वितरण की व्यवस्था का निरीक्षण भी कर रहे हैं और खुद राशन वितरित भी कर रहे हैं. मेयर डा. उमेश गौतम कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि देश का कोई भी नागरिक भूखा नहीं सोना चाहिए और मेरी कोशिश है कि मेरे शहर का कोई भी नागरिक भूखा न सोने पाए.
निश्चित तौर पर मेयर डा. उमेश गौतम अपने इस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में सफल होते नजर आ रहे हैं. पहले की सरकारों में जहां भूख से मौत की खबरें सुनने को मिल जाती थीं लेकिन जब से उमेश गौतम ने मेयर का पद संभाला है तब से बरेली नगर निगम के दायरे में रहने वाला कोई भी शख्स भूख के कारण दम तोड़ने को मजबूर नहीं हुआ. आज भी मेयर का दरबार सबके लिए खुला है. जिसने भी वहां गुहार लगाई उसे निराश नहीं होना पड़ा.
सराहनीय पहलू यह है कि मेयर उमेश गौतम ने भाजपा से होने के बावजूद कभी समाजसेवा को लेकर भेदभाव नहीं किया. जितना राशन कार्ड र आर्थिक मदद उन्होंने हिन्दुओं की करी उतनी ही मुस्लिमों की भी की. हाल ही में कैंट विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले बिहारीपुर इलाके में मेयर राशन वितरण करते नजर आए थे. सरकारी योजनाओं का लाभ जमीन से जुड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में मेयर उमेश गौतम अहम भूमिका निभा रहे हैं.
बहरहाल, उमेश गौतम गरीब और जरूरतमंद लोगों के दिलों में अपने लिए एक अलग मुकाम बना चुके हैं. समाजसेवा की दिशा में वह इतनी बड़ी वकीर खींच चुके हैं जिसे मिटाने में अन्य सियासतदानों को वर्षों लग जाएंगे.