नीरज सिसौदिया, बरेली
चुनावी वादों को लेकर भले ही नेताओं की किरकिरी होती रही है मगर बहेड़ी नगरपालिका की चेयरमैन ने अपना आखिरी चुनावी वादा भी पूरा कर दिया है. बहेड़ी की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए चेयरमैन पति और बहेड़ी विधानसभा सीट के समाजवादी पार्टी के टिकट के प्रबल दावेदार नसीम अहमद ने बहेड़ी की महिलाओं को नि:शुल्क सिलाई मशीनें वितरित कीं. यह शुभ कार्य नसीम अहमद ने समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अबु आसिम आजमी के कर कमलों से करवाया. पिछले दिनों लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या के विरोध में बहेड़ी में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शिरकत करने आए अबु आसिम आजमी ने जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई मशीनें वितरित कीं. पहले चरण में लगभग पांच सौ महिलाओं को सिलाई मशीनें दी गई हैं.
चेयरमैन पति नसीम अहमद ने बताया कि बहेड़ी की महिलाएं अपर टी-शर्ट आदि सिलकर अपने परिवार के भरण पोषण में अहम भूमिका निभाती हैं. इस उद्योग के जरिये ही उनकी रोजी रोटी चलती है लेकिन सिलाई मशीन के अभाव में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. इसलिए हमने इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए गरीब विधवा महिलाओं को सिलाई मशीनें देने का वादा किया था. इसी कड़ी में पहले चरण में सर्वे केे बाद महिलाओं को सिलाई मशीनें दी गई हैं. अभी सर्वे जारी है. जिन महिलाओं को मशीन नहीं मिल पाई है वे निराश न हों उन्हें अगले चरण में सर्वे के बाद मशीनें वितरित की जाएंगी. कोई भी जरूरतमंद महिला इससे वंचित नहीं रहेगी.
नसीम अहमद से जब पूछा गया कि चेयरमैन बनने के बाद विकास की दिशा में चेयरमैन की ओर से क्या प्रयास किए गए तो उन्होंने बताया कि पिछले लगभग साढ़े तीन साल के कार्यकाल में 15 करोड़ रुपये के विकास कार्य करवाए जा चुके हैं. जबकि कोरोना काल में राज्य सरकार की ओर से उन्हें कोई पैसा नहीं दिया गया. एक-दो महीने तो ऐसे रहे जब कर्मचारियों की सैलरी भी नगरपालिका की आय से देनी पड़ी. छह करोड़ रुपये के टेंडर हो चुके हैं जिससे बहेड़ी की कच्ची सड़कें पक्की कर दी जाएंगी. पांच नए ट्यूबवेल लगाए जा रहे हैं जिससे बहेड़ी की जनता को 24 घंटे पेयजलापूर्ति हो सकेगी.
उन्होंने बताया कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और बिजली बनाने का प्रोजेक्ट वह बहेड़ी की जनता को देना चाहते थे लेकिन राज्य सरकार ने चार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को पास नहीं किया. उन्होंने बताया कि निजी तौर पर भी उन्होंने बहेड़ी के बच्चों का भविष्य संवारने के लिए रजा हॉस्पिटल में एक पैरा मेडिकल कॉलेज खोला है जिससे बहेड़ी के जो बच्चे नर्सिंग, बीफार्मा, डीफार्मा और अन्य मेडिकल के डिप्लोमा कोर्स करने बरेली या हल्द्वानी जाते थे उन्हें अब बहेड़ी से बाहर नहीं जाना पड़ेगा.