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मेरी नजर में शून्य है कैंट विधायक राजेश अग्रवाल का कार्यकाल, न वह जनता को जानते हैं न जनता उन्हें जानती है, पढ़ें सपा नेता अनुराग सिंह नीटू का बेबाक इंटरव्यू

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अनुराग सिंह नीटू ने छात्र राजनीति से मुख्य धारा की राजनीति में हाल ही में पदार्पण किया है. अब तक के विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभाने वाले नीटू ने पहली बार किसी राजनीतिक दल का हिस्सा बने हैं. पूर्व सांसद और पूर्व विधायक सर्वराज सिंह के करीबियों में शुमार अनुराग सिंह नीटू कैंट विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. नीटू ने यह फैसला क्यों किया? वे कौन से मुद्दे हैं जिनके आधार पर वह चुनाव लड़ना चाहते हैं? वर्तमान विधायक राजेश अग्रवाल के कार्यकाल को नीटू किस नजरिये से देखते हैं? अगर पार्टी उन्हें मौका देती है तो नीटू के विकास का विजन क्या होगा? ऐसे ही कई पहलुओं पर इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया के साथ कैंट विधानसभा सीट से सपा के टिकट के दावेदार अनुराग सिंह नीटू ने खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : आप मूल रूप से कहां के रहने वाले हैं, पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही आपकी?
जवाब : मैं मूल रूप से बरेली जिले के फरीदपुर के पास स्थित गांव बुधौली के रहने वाले हैं लेकिन मेरे पिता बाद में बेनीपुर गांव आ गए थे. मेरा जन्म वहीं हुआ. मेरे दादा जी स्वतंत्रता सेनानी रहे. पूर्व सांसद सर्वराज सिंह भी मेरे परिवार के ही हैं.


सवाल : आपकी पढ़ाई लिखाई कहां हुई?
जवाब : मेरी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्रारंभिक स्कूल में हुई. फिर मैंने किच्छा और नैनीताल में पढ़ाई की. उसके बाद ग्रेजुएशन मैंने बरेली कॉलेज से किया. फिर एम ए और एलएलबी की.


सवाल : राजनीति में आना कब और कैसे हुआ?
जवाब : जब मैं बरेली कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था तो साथी छात्र कई तरह की समस्याएं लेकर मेरे पास आते थे. उनकी समस्याओं को मैं व्यक्तिगत तौर पर गंभीरता से लेता था और उनका समाधान कराता था. धीरे-धीरे पूरे कॉलेज के बच्चे मेरे पास आने लगे. उन्हें लगता था कि नीटू के पास जाएंगे तो समस्या का समाधान जरूर हो जाएगा. इस तरह मैं पूरे कॉलेज में छात्रों की लड़ाई लड़ने के लिए प्रसिद्ध हो गया. उसी दौरान वर्ष 2003-2004 में छात्र संघ चुनाव आए. साथियों ने मुझे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. उस दौरान मैं किसी पार्टी में नहीं था इसलिए मैंने निर्दलीय ही छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जीत भी गया. उस वक्त मैं पहली बार छात्र संघ अध्यक्ष बना था. पहली बार चुनाव जीतने के बाद मैं समाजवादी मंच से जुड़ा और कुंवर सर्वराज सिंह के लिए काम करता रहा. उनके कई चुनाव लड़ाए पर आधिकारिक रूप से किसी दल की सदस्यता ग्रहण नहीं की थी.


सवाल : पहली बार राजनीतिक पार्टी कब ज्वाइन की?
जवाब : मैं लगातार समाजसेवा में सक्रिय भूमिका निभाता रहा. माननीय अखिलेश यादव जी की नीतियों से मैं बहुत प्रभावित हुआ. फिर उनसे मुलाकात की. इसलिए मैंने हाल ही में समाजवादी पार्टी ज्वाइन की.
सवाल : अब आपने समाजवादी पार्टी के टिकट के लिए आवेदन किया है. आपमें ऐसा क्या खास है कि पार्टी आपको टिकट दे?
जवाब : भारतीय जनता पार्टी हमेशा हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे पर चुनाव लड़ती आ रही है. क्योंकि मैं छात्र संघ अध्यक्ष रहा हूं इसलिए धर्म और जाति की राजनीति से मैं एकदम अछूता रहा हूं. अगर पार्टी मुझे टिकट देती है तो भाजपा का हिन्दू-मुस्लिम फैक्टर पूरी तरह खत्म हो जाएगा. यहां सिर्फ इंसानियत का मुद्दा रह जाएगा और इंसानियत व विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ा जाएगा. हर जाति में हर वर्ग के लोग मुझसे जुड़े हैं. खास तौर पर युवाओं की एक बड़ी टीम हमारे साथ है. अगर पार्टी मुझे टिकट देती है तो भाजपा का कोई भी फैक्टर यहां काम नहीं करेगा केवल इंसानियत काम करेगी. जनता भी जान चुकी है कि आने वाले चुनावों में कोई हिन्दू या मुस्लिम नहीं होगा.


सवाल : आपकी नजर में कैंट विधानसभा क्षेत्र के पिछड़े क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
जवाब : सबसे पिछड़ा क्षेत्र हमारा पुराना शहर है. दुर्भाग्य रहा कि इस क्षेत्र में पिछले दस साल में एक ईंट का काम नहीं हुआ. किसी गली में कोई नाली नहीं, सड़कें और गलियां टूटी पड़ी हैं. जो विधायक बने उन्होंने काम नहीं किए.
सवाल : आपकी नजर में कैंट विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
जवाब : मुद्दे ही मुद्दे हैं. दल निकासी का मुद्दा है, सड़कों का मुद्दा है, विकास का मुद्दा है. रोजगार का मुद्दा है, स्वास्थ्य का मुद्दा है, शिक्षा का मुद्दा है, उद्योगों का मुद्दा है. बहुत सारे मुद्दे हैं. हम विधायक बने तो सबसे पहले औद्योगिक क्षेत्र की दिशा में कार्य करेंगे. शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि की दिशा में काम करेंगे.


सवाल : वर्तमान विधायक राजेश अग्रवाल के कार्यकाल को आप किस नजरिये से देखते हैं?
जवाब : मैं माननीय विधायक जी के दस साल के कार्यकाल को शून्य मानता हूं. कोई काम नहीं किया उन्होंने जनता के लिए.न वह जनता को जानते हैं और न ही जनता उन्हें जानती है.

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