विचार

भारतीय सेना के अपराजेय योद्धा थे विपिन रावत

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सुरेश बाबू मिश्र
आज साढ़े 12 बजे के लगभग भारतीय सेना का एक हैलीकॉप्टर तमिलनाडु में किन्नोर के पास दुर्घटना ग्रस्त हो गया ।इस हैलीकॉप्टर में भारतीय सेना के 14 अधिकारी सवार थे ।देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत और उनकी पत्नी भी इसमें सवार थे ।दुर्घटना इतनी भयानक थी की इसमे सवार किसी भी सैन्य अधिकारी को बचाया नहीं जा सका ।सेना के अप्राजेय योद्धा विपिन रावत भी आज अनन्त यात्रा पर रवाना हो गये । उनका महाशून्य में विलीन हो जाना देश कीं अपूरणीय क्षति है । एक जनवरी 2020 को देश में पहली बार सीडीएस की नियुक्ति हुई थी. इससे पहले रावत 27वें थल सेनाध्यक्ष (Chief of Army Staff) थे. 2016 में वो आर्मी चीफ बने थे.

विपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. वे 1978 से भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जरनल विपिन रावत, सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला, और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकसला के पूर्व छात्र हैं. उन्हें दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था, जहां उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर ‘से सम्मानित किया गया था. उनके पास आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का 10 वर्षों का अनुभव है.


जनरल बिपिन रावत को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र, और आतंकवाद रोधी अभियानों में कमान संभालने का अनुभव है. उन्होंने पूर्वी क्षेत्र में एक इन्फैंट्री बटालियन की कमान संभाली है. एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर और कश्मीर घाटी में एक इन्फैंट्री डिवीजन की भी कमान संभाली है. उन्हें वीरता और विशिष्ट सेवाओं के लिए यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम के साथ सम्मानित किया जा चुका है.
विपिन रावत ने जनरल दलबीर सिंह के रिटायर होने के बाद भारतीय सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी. 2020 में उन्हें सीडीएस बनाया गया था. रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है. उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत थे जो कई सालों तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे. जनरल बिपिन रावत इंडियन मिलिट्री एकेडमी और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में पढ़ चुके हैं. इन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से डिफेंस सर्विसेज में एमफिल की है.


वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार कर बनाया था आर्मी चीफ
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे रावत 16 दिसंबर 1978 में गोरखा राइफल्स की फिफ्थ बटालियन में शामिल हुए. यहीं उनके पिता की यूनिट भी थी. दिसंबर 2016 में भारत सरकार ने जनरल बिपिन रावत से वरिष्ठ दो अफसरों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीन बक्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज को दरकिनार कर भारतीय सेना प्रमुख बना दिया.
चीन से लिया था लोहा
जनरल बिपिन रावत गोरखा ब्रिगेड से निकलने वाले पांचवे अफसर हैं जो भारतीय सेना प्रमुख बनें. 1987 में चीन से छोटे युद्ध के समय जनरल बिपिन रावत की बटालियन चीनी सेना के सामने खड़ी थी.

रावत के पास अशांत इलाकों में लंबे समय तक काम करने का अनुभव है. भारतीय सेना में रहते उभरती चुनौतियों से निपटने, नॉर्थ में मिलटरी फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर लगातार जारी आतंकवाद व प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष के लिहाज से उन्हें सबसे सही विकल्प माना जाता था. सर्जिकल स्ट्राइक और एलएसी पर भारत के रुख में भी रावत का बड़ा योगदान था.
वह भारतीय सेना के जाँबाँज अधिकारी और भारत माता के सच्चे सपूत थे।भारतीय सेना को आधुनिक हथियारों से लैस करने में उन्होने बहुत महत्व पूर्ण भूमिका निभाई ।अपनी बहादुरी एवं साहस के लिए बे सदैव याद किये जाएंगे ।
– सुरेश बाबू मिश्र सेवानिवृत प्रधानाचार्य बरेली, उत्तर प्रदेश

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