यूपी

शहर विधानसभा सीट : काम को ही मिलेगा ईनाम, कलीमुद्दीन और राजेश अग्रवाल वर्षों से डटे हैं मैदान में, जानिये कौन कितना है दमदार?

Share now

नीरज सिसौदिया, बरेली
विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की लड़ाई अब अंतिम दौर पर आ पहुंची है। खास तौर पर समाजवादी पार्टी में हर दावेदार पूरा जोर लगा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार काम को ही ईनाम देने की तैयारी पार्टी स्तर से की जा रही है।
बरेली शहर विधानसभा सीट पर इस बार सबकी नजरें टिकी हुई हैं। यह सीट हिन्दू के खाते में जाएगी या सपा इस बार मुस्लिम पर दांव खेलेगी, यह कश्मकश लोगों में भी देखने को मिल रही है। इस सीट पर कई दावेदार मैदान में हैं और सबकी अपनी अपनी खासियत है। किसी का नाम बड़ा है तो किसी का काम बड़ा है। दो दावेदार ऐसे हैं जो सबकी नजरों में हैं। एक सबसे सीनियर है तो दूसरा सबसे जूनियर। हालांकि ये दोनों ही दावेदार अन्य से मुकाबले काम के मामले में बेहतर हैं। इनमें पहला हिन्दू है तो दूसरा मुस्लिम। जी हां, नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष राजेश अग्रवाल और ओमेगा क्लासेज के डायरेक्टर मोहम्मद कलीमुद्दीन ही वे चेहरे हैं जिनके राजनीतिक भविष्य को लेकर इन दिनों पूरी शहर विधानसभा सीट ही नहीं आसपास के इलाकों में भी चर्चा हो रही है।
दरअसल, दोनों का नाम उनके काम की वजह से ही लिया जा रहा है। मोहम्मद कलीमुद्दीन राजनीति में नए जरूर हैं लेकिन पिछले लगभग चार वर्षों से उन्होंने जो मेहनत की है उसके दम पर आज जमीनी स्तर पर वह न सिर्फ अपनी पकड़ मजबूत कर चुके हैं बल्कि खुद को मौकापरस्त सियासतदानों की भीड़ से एकदम अलग कर चुके हैं। आज कलीमुद्दीन का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं रहा। सूत्र बताते हैं कि जफरयाब जिलानी जैसे कुछ कद्दावर नेता कलीमुद्दीन के काम से प्रभावित हैं और उन्हें प्रत्याशी बनाने के पक्ष में हैं। हाल ही में कलीमुद्दीन ने लखनऊ में अखिलेश यादव से मुलाकात कर पूरी दमदारी से अपना पक्ष भी रखा था। इसके बाद अखिलेश यादव के साथ कलीमुद्दीन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो विरोधी दावेदारों के होश उड़ गए। इसकी वजह यह थी कि कुछ दावेदार तो अब तक अखिलेश यादव से मुलाकात ही नहीं कर पा रहे और जो मुलाकात कर भी सके तो फोटो खिंचवाना तो दूर उनके सामने अपनी पूरी बात तक नहीं रख सके। बहरहाल, जमीनी स्तर से लेकर हाईकमान तक कलीमुद्दीन ने सियासी गोटियां बिछा दी हैं। अब निगाहें इस अखिलेश यादव पर हैं।
इसी तरह राजेश अग्रवाल सबसे वरिष्ठ और जमीनी नेता होने के कारण सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। एक दौर था जब राजेश अग्रवाल साइकिल पर सवार होकर जनता के काम कराने जाते थे। जमीनी स्तर पर उन्होंने जो मेहनत की उसी का नतीजा रहा कि वह और उनकी पत्नी अब तक छह बार पार्षद का चुनाव जीत चुके हैं। एक समय ऐसा था जब दोनों पति-पत्नी अलग अलग वार्डों से चुनाव जीतकर एक साथ नगर निगम सदन पहुंचे थे। वर्ष 2017 में राजेश अग्रवाल का टिकट भी फाइनल हो चुका था लेकिन ऐन वक्त पर कांग्रेस और सपा का गठबंधन हो गया जिसमें यह सीट कांग्रेस के पाले में चली गई। इसलिए राजेश अग्रवाल चुनाव नहीं लड़ सके थे। इस बार राजेश अग्रवाल के समक्ष सिर्फ एक बड़ी चुनौती नजर आ रही है और वह महेश पांडेय हैं। जिला सहकारी संघ के पूर्व चेयरमैन महेश पांडेय स्वयं तो टिकट नहीं मांग रहे लेकिन पार्टी हाईकमान उनके नाम पर विचार कर रहा है।
अगर यह सीट मुस्लिम के पाले में जाती है तो डा. अनीस बेग और अब्दुल कय्यूम खां मुन्ना की दावेदारी को भी दरकिनार करना आसान नहीं होगा लेकिन काम के आधार पर टिकट का बंटवारा हुआ तो कलीमुद्दीन सबसे आगे खड़े नजर आएंगे।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *