झारखण्ड

बसंत के बयार से रंगीन होने लगी फिज़ा

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बोकारो थर्मल। रामचंद्र अंजाना
ऋतुओं का राजा बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही जहां अधिकांश पेडों में नये पत्ते व फूल आने लगे है। आम के मंजर और पलाश के लाल-केसरिया फूल बसंत की बयार फिजा को सबसे ज्यादा रंगीन व मनमोहक बना रहीं है। आम के मंजर व पलाश के फूल न केवल देखने में मनमोहक लगते है, बल्कि इसमें औषधीय गुण भी होते है।
आम के है कई औषधीय गुणः आम के पेड़ में लगे मंजर से किसानों को इस बार अच्छी फसल की उम्मीद है। आम के गुणों पर चर्चा करते हुए डॉ. दिलचंद ठाकुर की मानें तो आम के फल, बीज व छाल तक में औषधीय गुण है। आम आयुर्वेदिक व होड्रोपैथिक पद्धति से कई बीमारियों के दवा का काम करता है। इसके अलावे अम्ल-विकार, कंठ दोष, सफेद प्रदर में आम के फल, गुदा व गुठली से बनी दवा लाभदायक होती है। आम के मंजर को अरंडी के तेल में पकाकर कान में एक-एक बूंद डालने से कर्णशूल ठीक हो जाता है।
राजकीय फूल पलाश के कई गुणः झारखंड का राजकीय फूल पलाश कई मायने में लाभकारी सिद्ध होती है। जंगल की आग के नाम से विख्यात पलाश में औषधीय गुणों का अंबार है। आयुर्वेद में इससे टोनिक व कृमिनाशक बनाया जाता है। बेरमो वन क्षेत्र के सेवानिवृत्त रेंजर डीके श्रीवास्तव कहते है कि पलाश के पेल, छाल, फूल व पत्तियां आयुर्वेद पद्धति की दवा में उपयोगी है। पलाश का उपयोग रंग बनाने समेत टॉनिक और एथेलमिटिक (आंतों के कीडे मारने वाली दवा) के रूप में किया जाता है। आयुर्वेद ग्रंथ में आचार्य चरक और सुश्रुत ने भी पलाश के बीज और छाल के औषधीय गुणों के बारें में बताया है। पलाश में सूजन को कम करने वाला, कीटाणु नाशक, एटी डायबेटिक, मूत्रवर्द्धक, दर्दनाशक व ट्यूमर रोधी गुण होते है। इसके फूल टॉनिक व पोषक तत्वों से भरपूर होते है और इसकी जड़ रतौधी के इलाज में कारगर होती है। इसके अलावे कर्मकांड में पलाश की बड़ी मान्यता है।

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