पंजाब

जोशी अस्पताल का काला खेल : नकली एटीपी खा गया मलाई, असली एटीपी की हुई जगहंसाई, पढ़ें क्या है पूरा मामला?

Share now

नीरज सिसौदिया, जालंधर
नगर निगम जालंधर के पूर्व कमिश्नर कर्णेश शर्मा अपने चहेते अधिकारियों पर किस कदर मेहरबान रहे इसका उदाहरण पिछले दिनों सुर्खियां बटोरने वाले जोशी अस्पताल प्रकरण के रूप में देखा जा सकता है। जिसमें नकली एटीपी तो मलाई खाकर चलता बना और फजीहत बेचारे उस असली एटीपी की हो गई जिसके पास फिल्ड की कोई पावर ही नहीं थी।
दरअसल, पिछले दिनों जोशी अस्पताल की बेसमेंट की खुदाई के दौरान आसपास के मकान में दरार आने लगी तो मामला नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच पहुंच गया। मामले ने मीडिया में सुर्खियां बटोरीं तो आप विधायक रमन अरोड़ा भी मैदाने जंग में कूद गए। चंडीगढ़ तक रमन अरोड़ा फाइल लेकर पहुंचे और अंतत: जोशी अस्पताल के मालिकान पर एफआईआर तक दर्ज करा दी गई लेकिन इन सबके बीच नगर निगम के एरिया एटीपी विनोद कुमार की खूब फजीहत की गई। अखबारों में भी विनोद कुमार ने ही सुर्खियां बटोरीं जबकि असल जिम्मेदार सुपरिंटेंडेंट राजीव ऋषि थे। इस एरिया के नक्शे पास करने सहित कागजी कार्रवाई की जिम्मेदारी तो एटीपी विनोद कुमार को दी गई थी लेकिन फिल्ड की जिम्मेदारी कर्णेश शर्मा के चहेते सुपरिंटेंडेंट राजीव ऋषि को दी गई। सूत्र बताते हैं कि मामले में राजीव ऋषि द्वारा लाखों रुपये रिश्वत के रूप में लिए लेकिन बड़ी हैरानी की बात है कि इस पूरे मामले पर शोर मचाने वाले विधायक रमन अरोड़ा ने भी राजीव ऋषि का नाम कहीं नहीं लिया। मीडिया रिपोर्ट्स में भी राजीव ऋषि का नाम दबा दिया गया और बदनामी का पूरा बोझ एटीपी विनोद कुमार के ऊपर डाल दिया गया।सूत्र बताते हैं कि पूर्व निगम कमिश्नर ने राजीव ऋषि को फिल्ड की जिम्मेदारी दी ही इसीलिए थी कि वह अवैध बिल्डिंगों और अवैध कॉलोनियों से अवैध वसूली करके निगम कमिश्नर की और अपनी जेबें गर्म कर सके। सूत्र यह भी बताते हैं कि राजीव ऋषि को कर्णेश शर्मा की गुड बुक्स में शामिल कराने वाला एक और सुपरिंटेंडेंट ही है जो पहले निलंबित भी हो चुका है। निलंबन के बाद उक्त सुपरिंटेंडेंट ने कर्णेश शर्मा की बहुत सेवा की जिसका फल उसे  बहाली और प्रमोशन के रूप में मिला।

अब सवाल यह उठता है कि जब फिल्ड की पूरी जिम्मेदारी राजीव ऋषि की थी तो उनके खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया? जब राजीव ऋषि के पास इस एरिया का चार्ज आधिकारिक रूप से था तो फिर उन्हें जोशी अस्पताल की अवैध रूप से बनाई गईं ऊपरी मंजिलें नजर क्यों नहीं आईं? विधायक रमन अरोड़ा ने राजीव ऋषि के खिलाफ आवाज क्यों बुलंद नहीं की? भ्रष्टाचार का यह तो बस एक नमूना मात्र है। राजीव ऋषि के एरिया में अवैध बिल्डिंगों की भरमार है जिन पर नोटिस भेजकर इति श्री कर ली गई है। आगे की कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही, यह कोई पूछने वाला नहीं है। अब चूंकि नगर निगम के कमिश्नर बदल चुके हैं। कर्णेश शर्मा की जगह तेज तर्रार मानी जाने वाली युवा आईएएस अधिकारी दीपशिखा शर्मा नगर निगम कमिश्नर के पद की कमान संभाल चुकी हैं। उनका हनीमून पीरियड भी अब खत्म हो चुका है। ऐसे में अब उन्हें एक्शन मोड में आ जाना चाहिये। उन्हें इस बात की जांच करनी चाहिए कि आखिर ऐसी कौन सी आफत आन पड़ी थी कि एक नॉन टेक्निकल सुपरिंटेंडेंट को एटीपी का चार्ज दे दिया गया और उसके गैर जिम्मेदारी भरे रवैये को दरकिनार कर अधिकारी से लेकर विधायक तक उसे बचाते नजर आए और उसका नाम तक कहीं जाहिर नहीं होने दिया। बहरहाल, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार जालंधर नगर निगम के इस भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है यह देखना दिलचस्प होगा। बहरहाल, जोशी अस्पताल की अवैध इमारत यूं ही खड़ी सरकार को मुंह चिढ़ा रही है। सुपरिंटेंडेंट ऋषि चैन की नींद सो रहे हैं और एटीपी विनोद कुमार बदनामी का बोझ ढोने को मजबूर हैं। इस संबंध में जब राजीव ऋषि से बात करने के लिए उनके मोबाइल पर फोन किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *