नीरज सिसौदिया, जालंधर
नगर निगम के मानचित्र पर 60 फुट की दिखाई देने वाली जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन रोड धरातल पर सिर्फ तीस से पैंतीस फुट की ही रह गई है। इस सड़क पर रेलवे बाजार के दुकानदारों ने अवैध कब्जे किए हुए हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह से कभी नया बाजार के दुकानदारों ने कब्जे किए हुए थे। नया बाजार में तो हाईकोर्ट का डंडा चलने पर नगर निगम ने अतिक्रमण हटाकर सड़क के मूल स्वरूप को वापस लाने में कामयाबी हासिल कर ली लेकिन रेलवे रोड का अतिक्रमण बड़ा सवाल बना हुआ है।
दरअसल, रेलवे रोड पर एक तरफ मंडी बोर्ड की दुकानें हैं तो दूसरी तरफ निजी दुकानदारों की दुकानें बनाई गई हैं। मंडी बोर्ड की दुकानें तो हद में हैं लेकिन कुछ दुकानदारों ने कच्चा अतिक्रमण किया हुआ है लेकिन दूसरी तरफ के दुकानदारों ने सड़क पर ही पक्का अतिक्रमण किया है। नाली भी कवर कर ली गई है। कई अवैध निर्माण तो पिछले दो-तीन वर्षों में ही निगम अधिकारियों की मिलीभगत से हुए हैं। वहीं, लकी गारमेंट हाउस नाम के एक दुकानदार ने तो दूसरी मंजिल पूरी तरह अवैध रूप से बना दी है। सूत्र बताते हैं कि इस इलाके में जो भी बिल्डिंग इंस्पेक्टर आता है वह उक्त दुकानदार से अपना हिस्सा लेकर चला जाता है और कार्रवाई की फाइल दब जाती है। इस बार फिर बिल्डिंग इंस्पेक्टर बदल गए हैं पर कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, तहबाजारी का ‘तोता’ अपनी मिर्ची पहले ही खा गया है।
सूत्र बताते हैं कि बिल्डिंग ब्रांच के साथ ही इस इलाके से तहबाजारी विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी भी मोटी रकम वसूल करते हैं। सिर्फ अधिकारी ही नहीं कुछ सियासतदान भी भ्रष्टाचार के इस खेल को संरक्षण दे रहे हैं। यही वजह है कि यहां से जब भी पूर्व मंत्री अवतार हैनरी के करतार ट्रांसपोर्ट की कोई बस या कोई अन्य भारी वाहन निकलता है तो भीषण जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। लोग इसके लिए बसों को दोषी ठहराते हैं लेकिन सड़कों पर अवैध कब्जे करवाने वाले नगर निगम के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कोई नहीं करता।

सूबे में अब सत्ता परिवर्तन हो चुका है और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसना शुरू भी कर दिया है। आईएएस संजय पोपली सलाखों के पीछे जा चुके हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी? क्या भगवंत मान अपने ही विभाग के भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कस पाएंगे? क्या आम आदमी पार्टी के नव निर्वाचित विधायक या विधानसभा क्षेत्र इंचार्ज पार्टी हाईकमान तक इस भ्रष्टाचार की दास्तान को पहुंचा रहे हैं या खुद अपनी जेबें गर्म कर रहे हैं? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब जनता चाहती है।