नीरज सिसौदिया, जालंधर
अवैध कॉलोनियों को लेकर अभी आदमी पार्टी की सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू की तो नगर निगम के अधिकारियों और कॉलोनाइजरों ने मिलकर जाली रजिस्ट्री का खेल शुरू कर दिया। अवैध कॉलोनियों के प्लॉटों की एनओसी कराने के लिए अब वर्ष 2018 के बाद की गई रजिस्ट्री में सिर्फ वर्ष बदलकर वर्ष 2018 से पहले की जाली रजिस्ट्री तैयार की जा रही है। इसके बाद कॉलोनाइजर प्लॉट बेचकर फरार हो रहा है और सरकार के हाथ भी कुछ नहीं लग रहा। बता दें कि सरकार की ओर से वर्ष 2018 से पहले काटी गई अवैध कॉलोनियों में प्लॉटों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गई है। इसलिए अब जाली रजिस्ट्री के आधार पर एनओसी कराई जा रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी के जालंधर नॉर्थ विधानसभा इंचार्ज दिनेश ढल्ल उर्फ काली ने मामले को गंभीर बताते हुए अवैध कॉलोनियों के प्लॉटों को दी गई हर एनओसी की जांच कराने की बात कही है। खास तौर पर एनओसी पर रोक लगने के बाद से लेकर अब तक दी गई हर एनओसी की जांच कराने को कहा है। सरकार मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि अवैध कॉलोनी में जाली रजिस्ट्री के खेल में जो भी शामिल होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। मामले की जांच कराई जाएगी। पंजाब में कहीं भी इस काले कारोबार को नहीं होने देंगे।
बता दें कि ऐसा ही एक मामला जालंधर नगर निगम का सामने आया है। नगर निगम के बिल्डिंग ब्रांच में एनओसी और नक्शा पास करने को लेकर बड़ी धांधली सामने आई है। सरकार की सख्ती के बाद फर्जी रजिस्ट्री पर एनओसी औऱ नक्शा पास करने का बड़ा खेल उजागर हुआ है। इस खेल के उजागर होने के बाद मेयर जगदीश राजा ने इसकी जांच ज्वाइंट कमिश्नर गुरविंदर कौर रंधावा को सौंपी है। उन्होंने एक सप्ताह में इसकी रिपोर्ट मांगी है।
बता दें कि नगर निगम की हद में शामिल हुए गांव सुभाना में एक कालोनी में तीन मरले से ज्यादा प्लाट की रजिस्ट्री एक ही स्टांप पेपर पर दो बार कर दी गई है। इसका खुलासा उस वक्त हुआ, जब इस प्लाट का नक्शा पास करवाने के लिए नगर निगम के बिल्डिंग ब्रांच में फाइल जमा करवाई गई।
जानकारी के मुताबिक, नगर निगम से एनओसी हासिल करने के लिए मंजीत सिंह ने जो रजिस्ट्री की कापी लगाई, उसकी रजिस्ट्री तहसील से सितंबर 2017 में करवाई गई थी। स्टांप पेपर नंबर D 600402 पर लिखी गई रजिस्ट्री में पाल नामक व्यक्ति ने आबादी पिंड सुभाना, तहसील जालंधर में प्लाट नंबर 95 रकबा 3 मरले 64 वर्गफुट रिहाइशी की जमीन मंजीत सिंह के नाम पर रजिस्ट्री की है।
इस रजिस्ट्री की कापी को मंजीत सिंह ने नगर निगम से एनओसी हासिल करने लिए फाइल जमा करवाई। इसके बाद नक्शा पास करवाने के लिए मंजीत सिंह ने जो रजिस्ट्री लगाई, वह रजिस्ट्री सितंबर 2020 में हुई। हैरानी की बात तो यह है सितंबर 2020 की रजिस्ट्री में भी स्टांप पेपर नबर D 600402 है, इस पर हूबहू वही बातें लिखी हैं, जो 2017 की रजिस्ट्री में दर्ज है। इस पर हूबहू वही बातें लिखी हैं, जो 2017 की रजिस्ट्री में दर्ज है।
नक्शा पास करने के लिए 2020 की रजिस्ट्री लगाई
नगर निगम में जब नक्शा पास करवाने के लिए साल 2020 वाली रजिस्ट्री लगाई गई तो, इस एप्लीकेशन के साथ एनओसी का नंबर भी दर्ज किया गया था। एनओसी के नंबरों की जांच हुई तो रजिस्ट्री कोई और निकली। रजिस्ट्री एक ही व्यक्ति और एक ही जगह की थी, लेकिन दोनों रजिस्ट्रियों में तारीख का अंतर था। जिससे इस नक्शे को रोक लगा दिया गया और इसकी जानकारी मेयर और कमिश्नर को दी गई।
मेयर जगदीश राजा ने इसकी जांच के लिए ज्वाइंट कमिश्नर गुरविंदर कौर रंधावा को आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि इसकी जांच एक सप्ताह में करके रिपोर्ट दें। मेयर जगदीश राजा ने कहा है कि जांच के आदेश गए हैं। अगर निगम दफ्तर से कोई गलत एनओसी जारी की गई तो सीधे तौर पर बिल्डिंग ब्रांच जिम्मेदार होंगे।
वहीं, आम आदमी पार्टी के जालंधर नॉर्थ विधानसभा हलका इंचार्ज दिनेश ढल्ल उर्फ काली ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है। ज्वाइंट कमिश्नर गुरविंदर कौर रंधावा और डीसी से इस संबंध में बात करेंगे। मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसी एक एनओसी की ही नहीं बल्कि वर्ष 2018 के बाद की अवैध कॉलोनियों के प्लॉटों की एनओसी पर रोक लगने की तिथि से लेकर अब तक जितनी भी एनओसी नगर निगम की ओर से जारी की गई हैं उन सभी की जांच कराई जाएगी। एनओसी लेने के लिए आवेदक की ओर से जो रजिस्ट्री की कॉपी संलग्न की गई है उसका मिलान रेवेन्यू रिकॉर्ड से कराया जाएगा और जितनी भी जाली रजिस्ट्रियां मिलेंगी उन सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही ऐसा करने वाले नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा।
उधर, इस धांधली के पकड़ में आने के बाद बिल्डिंग ब्रांच में हड़कंप है। क्योंकि इस तरह एनओसी के लिए कई फाइलें रोज निगम दफ्तर आती है, लेकिन इसकी पूरी तरह से वैरीफिकेशन नहीं हो पाती। क्योंकि सभी इंस्पैक्टरों औऱ ड्राफ्ट्समैन के पास कोई कंप्यूटर नहीं है, जिससे इसकी बारीकी से जांच नहीं हो पा रही है।