रामचंद्र कुमार अंजाना, बोकारो थर्मल
लगता है किसानों से ईश्वर रूठ गया है। जुलाई माह गिने चुने 12 दिन बचा है। कमजोर मानसून को लेकर किसान खेतों में बिजड़ा डालकर चिंतित है। मानसून की शुरुआती दिनों में अच्छी बारिश ने किसानों के चेहरे खिला दिया थे। उस बारिश में किसानों ने अपनी फसलों की बुवाई कर दी थी, लेकिन पिछलें 25 दिनों से बारिश के नहीं होने के चलते किसानों के सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। सावन माह के दिनों तक क्षेत्र में अच्छी बारिश नहीं होने और मौसम की बेरुखी व तेज हवाओं के साथ आंधी चलने से किसानों की नींद उडऩे लगी है। उनके चेहरों पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं। बेरमो के नावाडीह, गोमिया, चंद्रपुरा, पेटरवार के इलाके में इस वर्ष अब तक मानसून की बेरुखी के चलते क्षेत्र में कहीं एक बार की बारिश होने से बुआई हो सकी है तो कहीं आधी-अधूरी खेती करके किसान निराश हैं। जुलाई माह में बोई गई बाजरा, ग्वार, मूंगफली व अन्य दलहनी फसलों की जड़े निकलनी शुरू हो गई है जबकि मानसून की बेरुखी से कृषि विभाग का खरीफ बुआई लक्ष्य अपने निर्धारित लक्ष्य से कौसों दूर है। हालांकि किसान बादल बरसने की आस में अभी भी आसमान की ओर एकटक नजर गड़ाए बैठे हैं। अब मौसम वैज्ञानिक कह रहे हैं की 22 अगस्त के बाद ही बारिश संभव है तब तक किसानों का सब्र जवाब दे जाएगा। केवीके के वरीय वैज्ञानिक डॉ ललित कुमार दास ने बताया कि भले ही शुरुआती दौर में मानसून की गति धीमी है, मगर फसल की पैदावार में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। किसानों को हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं। पैदावार अच्छी होगी। किसानों को थोड़ी सूझबूझ से काम लेना होगा। वैसे भी मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार आगे अच्छी बारिश होने वाली है। जून माह में 143 एमएम बारिश की जरूरत थी लेकिन 104 एमएम ही बारिश हुई थी। इस वजह से समय पर धान के बिचड़े नहीं डाले गये। अरहर, उड़द, मूंग बाजरा व मक्का आदि की खेती भी पिछड़ गयी है। जून माह के अंतिम सप्ताह में बारिश होने से लोगों ने धान के बिचड़े डालना शुरू की थी। लेकिन धान के बिचड़े तैयार होने के लिए पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है। लेकिन बारिश की रफ्तार ठीकठाक नही है। इस वजह से किसान परेशान है। बावजूद तेलहन और मक्का की बुआई कार्य में तेजी आई है। ऊपरघाट के अधिकांश नौं पंचायतों के किसान भगवान के भरोसे एक-दो दिनों से खेतों में धान का बिजड़ा डाल रहें है। किसान नुनूचंद महतो, तुलसी महतो, थानूलाल महतो, रंजन प्रसाद महतो, गंगाराम महतो कहते है कि अरहर, उड़द, मूंग बाजरा व मक्का आदि का फसल खेतों में डाल दिए है, धान का बिजड़ा डर-डर के खेतों में डाल रहें है। पानी गिरा तो अगस्त के पहले पखवारा तक खेती हो जाऐगी। अगर पानी गिरा तो पैसा और मेहनत दोनों बेकार हो जाऐगी। इन सभी ने सरकार से धान के बिचड़े को बचाने के लिए सभी किसानों को डीजल अनुदान देने की मांग की है।