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बुलडोजर का असर, संघ पदाधिकारी की शरण में सपा विधायक शहजिल इस्‍लाम, इंद्रेश से मिले पिता-पुत्र, शहजिल बोले- शिष्‍टाचार भेंट, कहां हुई पता नहीं, पढ़ें पूरा मामला?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
यूपी के बाबा के बुलडोजर का असर अब नाथ नगरी बरेली में भी दिखने लगा है। एक-एक करके मुस्लिम नेता भी अब भगवा ब्रिगेड के आगे नतमस्‍तक होने लगे हैं। ताजा मामला बरेली की भोजीपुरा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक और पूर्व मंत्री शहजिल इस्‍लाम और उनके पिता इस्‍लाम साबिर का है। दोनों पिता-पुत्र इन दिनों राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्‍य और संघ की अनुषांगिक ईकाई राष्‍ट्रीय मुस्लिम मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश से मुलाकात को लेकर चर्चा में हैं। कुछ लोग इस मुलाकात को बाबा के बुलडोजर का असर बता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि पिता-पुत्र अब भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। वहीं, पूर्व मंत्री और विधायक शहजिल इस्‍लाम इस मसले पर बार-बार बयान बदलते नजर आए। कभी वह बोले कि वह इंद्रेश को जानते ही नहीं है तो कभी बोले कि यह एक शिष्‍टाचार भेंट थी। जब उनसे पूछा गया कि यह शिष्‍टाचार भेंट नागपुर में हुई, बरेली में हुई या दिल्‍ली में, तो इसका वह कोई स्‍पष्‍ट जवाब नहीं दे पाए। शहजिल ने कहा कि उन्‍हें याद नहीं है कि इंद्रेश के साथ उनकी मुलाकात कहां हुई। हालांकि, उन्‍हें इतना जरूर याद था कि यह मुलाकात लगभग एक माह पहले हुई थी। जब उनसे पूछा गया कि उनकी यह मुलाकात किसने करवाई तो वह बोले कि उन्‍हें यह भी याद नहीं है कि यह मुलाकात किसने करवाई। शहजिल कहते हैं कि कई लोगों से मुलाकात होती रहती है तो किसी ने करवा दी होगी। अब यह तो खुद-ब-खुद समझा जा सकता है कि इंद्रेश जी कोई आम शख्सियत तो हैं नहीं कि वह शहजिल इस्‍लाम की राहों में पलकें बिछाए बैठे होंगे। दरअसल, शहजिल और इंद्रेश की इस मुलाकात के पीछे की कहानी कुछ और ही बताई जा रही है।
इस वजह को समझने से पहले फ्लैश बैक में जाना होगा। कुछ माह पूर्व बरेली विकास प्राधिकरण ने शहजिल इस्‍लाम के वर्षों पुराने पेट्रोल पंप को अवैध करार देते हुए ध्‍वस्‍त कर दिया था। इसके बाद प्रशासन और बीडीए की नजर शहजिल इस्‍लाम की कुछ अन्‍य संपत्तियों और कारोबार पर भी थी। विपक्षी दल का विधायक होने की वजह से निश्चित तौर पर वह सत्‍ताधारियों के निशाने पर भी थे। सत्‍ताधारियों को उनकी सारी कमजोरियां मालूम थीं। यही वजह थी कि एक के बाद एक शहजिल निशाने पर आ रहे थे। फिर एकाएक शहजिल के खिलाफ सभी कार्रवाइयां रुक गईं। माहौल शांत हो गया। बाबा का बुलडोजर बीडीए के कैंपस में सुस्‍ताने लगा। उधर, अचानक से एक दिन एक तस्‍वीर मीडिया को उपलब्‍ध कराई जाती है। उस तस्‍वीर में सपा विधायक शहजिल इस्‍लाम और उनके पिता इस्‍लाम साबिर आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्‍य इंद्रेश को उपहार भेंट करते नजर आते हैं। दोनों के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्‍कान दिखाई देती है। जब इस तस्‍वीर के बारे में शहजिल इस्‍लाम से पूछा जाता है तो वह कहते हैं कि यह एक शिष्‍टाचार भेंट थी। यह शिष्‍टाचार भेंट कहां हुई और किसके माध्‍यम से हुई इसका कोई जवाब वह नहीं देते। सिर्फ इतना ही कहते हैं कि उन्‍हें कुछ नहीं मालूम। वह सपा के पूर्व राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मुलायम सिंह यादव का जिक्र करते हुए कहते हैं कि नेता जी ने भी तो पीएम मोदी के साथ शिष्‍टाचार भेंट की थी। हाल ही में मुरादाबाद में भी तो योगी आदित्‍यनाथ से सपा के नेताओं ने शिष्‍टाचार भेंट की थी। उनका कहना है कि शिष्‍टाचार भेंट तो कोई भी किसी से भी कर सकता है। शहजिल की सफाई जायज भी है लेकिन विरोधी सवाल करते हैं कि यह कैसी शिष्‍टाचार भेंट है जो छुप-छुप कर की जाती है और पूरी तरह से गुप्‍त रखी जाती है। तस्‍वीर सामने आने पर इंद्रेश को पहचानने से ही इनकार कर दिया जाता है। फिर बाद में याद आ जाता है कि इंद्रेश कौन हैं। लेकिन शिष्‍टाचार भेंट की जगह पूछने पर शहजिल ऐसा क्‍यों कहते हैं कि मैं तो कभी नागपुर गया ही नहीं। उन्‍हें इतनी बड़ी शख्सियत से मिलने की जगह याद क्‍यों नहीं है? अगर याद है तो फिर वह कौन सा डर है जो उन्‍हें ये सब बातें भूलने को मजबूर कर रहा है।
विरोधियों का कहना है कि इस शिष्‍टाचार भेंट के बाद ही बाबा का बुलडोजर क्‍यों थम गया? उनका कहना है कि लोकसभा चुनावों में इस बार भी इस्‍लाम सबिर परिवार पूरी तरह से भगवा दल का साथ देने जा रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि शहजिल इस्‍लाम भाजपा ज्‍वाइन करने वाले हैं और संघ के माध्‍यम से वह भाजपा में जगह बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इंद्रेश से उनकी मुलाकात भी इसी सिलसिले में हुई थी। हालांकि, शहजिल इस्‍लाम इन सभी बातों को निराधार करार देते हैं।


बरेली की सियासत पर क्‍या होगा असर
अगर शहजिल इस्‍लाम भाजपा का दामन थामते हैं तो बरेली जिले की सियासत पर भी काफी असर पड़ सकता है। खास तौर पर बरेली महानगर और भोजीपुरा क्षेत्र में इसका असर पड़ने की ज्‍यादा संभावना है। इस्‍लाम साबिर परिवार बरेली की सियासत का जाना-पहचाना परिवार है। जब से उनके पेट्रोल पंप पर बुलडोज चला है तब से इस परिवार की हनक लगभग खत्‍म सी होती जा रही है। ऐसे में अगर वह भाजपा में शामिल होते हैं तो उनकी वही सत्‍ता की हनक फिर से वापस आ जाएगी और अंसारी बिरादरी के मुसलमानों का एक बड़ा समूह भी उनके साथ भगवा ब्रिगेड में शामिल हो जाएगा। इसका लाभ पार्टी को होगा और काफी हद तक मुस्लिमों के वोट हासिल करने में भाजपा सफल भी हो सकती है। लेकिन राजनीतिक जानकार बताते हैं कि शहजिल इस्‍लाम भाजपा में शामिल नहीं होंगे। वह पार्टी में रहकर ही भगवा ब्रिगेड की मदद करेंगे ताकि बाबा का बुलडोजर दोबारा उनकी संपत्तियों का रुख न कर सके। सियासी जानकार यह भी संभावना जताते हैं कि शहजिल इस्‍लाम के पिता इस्‍लाम साबिर सपा से टिकट न मिलने की सूरत में निर्दलीय या किसी अन्‍य पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं ताकि मुस्‍लिम वोटों को प्रभावित किया जा सके। बहरहाल इस्‍लाम साबिर परिवार का अगला कदम क्‍या होगा यह तो आने वाला वक्‍त ही बताएगा। फिलहाल इंद्रेश से उनकी मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

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