यूपी

अपना बूथ भी नहीं जिता सके कैंट विधायक संजीव अग्रवाल, पिछली बार 246 वोटों से जीती थी भाजपा, इस बार 27 वोटों से हारी?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली कैंट विधानसभा सीट पर इन दिनों एक ही चर्चा आम हो रही है। यह चर्चा कैंट विधायक संजीव अग्रवाल के वार्ड और उनके स्वयं के बूथ में भारतीय जनता पार्टी को मिली हार को लेकर हो रही है। लोग हैरान हैं कि एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने स्थानीय निकाय चुनावों में नए रिकॉर्ड कायम किए हैं वहीं, दूसरी ओर कैंट विधायक संजीव अग्रवाल के अपने वार्ड और बूथ में ही भाजपा कैसे हार गई जबकि संजीव अग्रवाल जब विधायक नहीं बने थे तब इसी बूथ से भाजपा को जीत हासिल हुई है।
बता दें कि कैंट से भाजपा विधायक संजीव अग्रवाल का वार्ड नंबर 35 रामपुर गार्डन पड़ता है। जिस मोहल्ले में उनका आवास है वह बूथ नंबर 284 के तहत आता है। उनके वार्ड में पिछले लगभग दो दशक से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेश अग्रवाल पार्षद का चुनाव जीतते आ रहे हैं। इस बार भाजपा ने इस वार्ड से कैंट विधायक संजीव अग्रवाल के करीबी बृजेश मिश्रा को मैदान में उतारा था। साफ सुथरी छवि वाले बृजेश मिश्रा का यह पहला चुनाव था। मिश्रा कभी संजीव अग्रवाल के धुर विरोधी पूर्व मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल के करीबी हुआ करते थे लेकिन जब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और यूपी भाजपा के तत्कालीन संगठन मंत्री सुनील बंसल के करीबी संजीव अग्रवाल की स्थिति संगठन में मजबूत हुई तो बृजेश मिश्रा ने संजीव अग्रवाल के चुनाव प्रबंधन में जी-जान लगा दी। संजीव अग्रवाल से इसी वफादारी के इनाम के रूप में बृजेश मिश्रा को संजीव अग्रवाल के ही वार्ड से भाजपा का टिकट प्राप्त हुआ। सूत्र बताते हैं कि संजीव अग्रवाल के लिए पार्षद का यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था। उन्होंने बृजेश मिश्रा को चुनाव जिताने के लिए पूरा जोर लगा दिया। लेकिन उनका सारा जोर सपा उम्मीदवार राजेश अग्रवाल के आगे फीका पड़ गया। वार्ड जिताना तो दूर की बात संजीव अग्रवाल अपना बूथ नंबर 284 भी नहीं जिता पाए।

बृजेश मिश्रा, भाजपा प्रत्याशी

सपा के जो राजेश अग्रवाल पिछले निगम चुनाव में इसी बूथ नंबर-284 से 246 वोटों से हार गए थे, वही राजेश अग्रवाल इस बार इसी बूथ नंबर-284 से 27 वोटों से चुनाव जीत गए। इसी तरह पिछले निकाय चुनाव में राजेश अग्रवाल इस वार्ड से मात्र 76 वोटों से चुनाव जीते थे जबकि इस बार वह 576 वोटों से चुनाव जीते हैं। आंकड़े बताते हैं कि संजीव अग्रवाल के विधायक बनने के बाद उनके वार्ड में भाजपा की स्थिति कुछ कमजोर हुई है। भाजपा के ही कुछ आला नेताओं का कहना है कि बृजेश मिश्रा को मिली हार यह दर्शाती है कि इस वार्ड से और संजीव अग्रवाल के बूथ नंबर – 284 से महापौर पद के भाजपा उम्मीदवार उमेश गौतम को जो जीत हासिल हुई है वह जीत उमेश गौतम ने खुद अपने दम पर हासिल की है, उसमें विधायक संजीव अग्रवाल की कोई महती भूमिका नहीं रही। क्योंकि अगर संजीव अग्रवाल की व्यक्तिगत पकड़ इतनी मजबूत होती तो बृजेश मिश्रा को इस तरह हार का सामना नहीं करना पड़ता।
वहीं, सपा पार्षद राजेश अग्रवाल कहते हैं कि संजीव अग्रवाल ने विधायक बनने के एक साल बाद भी अपने वार्ड में सौ रुपये के विकास कार्य भी नहीं कराए हैं। हमने सड़कों पर जनता के लिए संघर्ष किया है और विधायक जी ने सिर्फ खुद को मजबूत किया। इसलिए लोगों ने भाजपा को नकार दिया और हमें अपना पार्षद चुना है। मेरे वार्ड की जनता ने जिन उम्मीदों से मुझे चुना है मैं उनकी उम्मीदों पर हमेशा की तरह खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा।
बहरहाल, संजीव अग्रवाल के वार्ड और बूथ में भाजपा की हार चिंताजनक है। इस दिशा में संगठन और कैंट विधायक को मंथन करना होगा वरना तत्काल तो कोई नुकसान नहीं होगा मगर आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव तक पार्टी के खिलाफ जो एंटी इनकंबेंसी का माहौल तैयार होगा वह पार्टी के लिए नुकसानदायक होगा।

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