नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा स्वयंभू बाबा आसाराम बापू फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बलात्कार के मामले में जेल की सजा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य के आधार पर उनकी सजा निलंबित करने की मांग की थी।
याचिका पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई की। पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंच ने आसाराम की परिषद से राहत के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा, क्योंकि परिषद ने कहा कि आसाराम सरकारी अभियोजक के इस बयान को स्वीकार करने को तैयार है कि वह पुलिस हिरासत में महाराष्ट्र के खोपोली में माधवबाग हार्ट हॉस्पिटल में इलाज करा सकता है।
पीठ ने आसाराम को राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन देने को कहा और कहा कि इस पर कानून के मुताबिक विचार किया जायेगा।
न्यायमूर्ति खन्ना ने मामले में अपनी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी अपील की सुनवाई में देरी करने के लिए आसाराम द्वारा किए गए जानबूझकर किए गए प्रयासों को भी चिह्नित किया।
आसाराम बापू के नाम से मशहूर आसुमल हरपलानी को 2018 में जोधपुर की विशेष POCSO अदालत ने 2013 में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने सहित कई अपराधों के लिए दोषी ठहराया था। जैसा कि द इंडियन एक्सप्रेस ने 2023 में रिपोर्ट किया था, उन्हें भी सजा दी गई थी। 2013 में 33 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार, छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के लिए 2023 में एक और बलात्कार मामले में आजीवन कारावास की सजा।
