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हरियाणा में पलटा खेल, कश्मीर में भाजपा फेल, राम मंदिर के बाद 370 को भी झटका, आप से गठबंधन न करना महंगा पड़ गया कांग्रेस को, पढ़ें दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के अब तक के रुझान के अनुसार हरियाणा में कांग्रेस का पूरा खेल पलट गया है जबकि जम्मू कश्मीर में भाजपा पूरी तरह फेल हो गई है। रुझानों के मुताबिक जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को 52 सीटों पर बढ़ मिल चुकी है वहीं, हरियाणा में भाजपा को 49 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। दोनों ही राज्यों में विधानसभा की कुल 90-90 सीटें हैं और बहुमत के लिए 46 सीटों की आवश्यकता है। चुनावी रुझान बताते हैं कि किसी भी राज्य में त्रिशंकु विधानसभा के कोई आसार नहीं हैं। वहीं, हरियाणा में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन न करना भारी पड़ गया। यहां कई सीटें ऐसी रहीं जहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को हार-जीत के अंतर से अधिक वोट मिले हैं। अगर ये वोट कांग्रेस को मिल जाते तो वो जीत सकती थी।
वहीं, चुनावी नतीजे यह भी बताते हैं कि जिस तरह से यूपी में लोकसभा चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा भाजपा के काम नहीं आया था उसी तरह जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा भी भाजपा को उल्टा पड़ गया। हरियाणा को लेकर सारे एग्जिट पोल फेल साबित हुए हैं।
केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में 2019 में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किया था। उसके बाद से राज्य में यह पहला चुनाव था।
2019 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद के राज्य के चुनावों में भाजपा अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने को अपनी उपलब्धि बताते हुए खूब प्रचारित करती रही और वोट भी बटोरा। लेकिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव में यह मुद्दा नहीं चला। वैसे भाजपा का कश्मीर घाटी पर ध्यान था भी नहीं, उसका फोकस पूरे चुनाव में जम्मू क्षेत्र की 43 विधानसभा सीटों पर ही था और यहां उसे अच्छे परिणाम मिले हैं। शेष 47 सीटें कश्मीर घाटी में आती हैं। अब नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए पीडीपी या अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन की कोई जरूरत नहीं होगी।
इससे पहले अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास और जल्दबाजी में किया गया उद्घाटन भी लोकसभा चुनाव में भाजपा के काम नहीं आया था। राम मंदिर विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा का वर्षों से एक अहम मुद्दा रहा है। भाजपा इसका चुनावी लाभ लेती रही। मगर, राम मंदिर के उद्घाटन के ठीक बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा फैजाबाद जिले में आने वाली सभी सीटें हार गई। लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में ही नुकसान हुआ। हालांकि, 2017 और उसके बाद 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में इन्हीं मुद्दों ने भाजपा को फायदा दिलवाया था। अब यूपी की दस सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं।
अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में भाजपा का सबसे अहम कदम कश्मीरी पंडितों की राज्य में सकुशल वापसी कराने का था। लेकिन, केंद्र सरकार इसमें अब तक सफल नहीं हो सकी। बीते 10 साल से राज्यपाल/उपराज्यपाल के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में परोक्ष-अपरोक्ष रूप से भाजपा ही सत्तासीन है। बावजूद इसके, भाजपा कश्मीरी पंडितों की वापसी को लेकर इन वर्षों में कोई बड़ी पहल नहीं कर सकी। चुनाव में कश्मीरी पंडितों की सहभागिता बहुत उत्साहजनक नहीं दिखी। कश्मीरी पंडितों का समर्थन भी इस बार भाजपा से छिटक गया है। अब जो चुनावी परिदृश्य सामने आ रहा है, उसमें नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन काफी मजबूत स्थिति में हैं। इस गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है। राज्य की 90 में से 52 सीटें गठबंधन के खाते में जाती दिख रही हैं।

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