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पांच साल में काफी बढ़ चुका है मो. कलीमुद्दीन का सियासी कद, अबकी बार दमदारी से ठोकी दावेदारी, कुछ दिग्गजों का भी मिल रहा साथ, पढ़ें युवा नेता कलीमुद्दीन का क्या कहता है सियासी गणित?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
पांच साल पहले जब कोरोना लोगों की जिंदगियां निगल रहा था तो बरेली शहर में एक युवा राजनेता जन्म ले रहा था। समाजसेवा के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने वाला यह शख्स अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना दिन-रात आम आदमी को जिंदगी बांट रहा था। कहते हैं कि ‘धरती के भगवान’ जिंदगी बचाते हैं और ये वो शख्स हैं जो ‘धरती के भगवानों’ को बनाते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव मो. कलीमुद्दीन की।

बरेली के राजेंद्र नगर में ओमेगा क्लासेज के नाम से नीट की तैयारी करने वाले छात्रों को कोचिंग देने वाले मो. कलीमुद्दीन समाजसेवा के क्षेत्र में तो लंबे समय से सक्रिय भूमिका निभा रहे थे लेकिन बरेली शहर विधानसभा क्षेत्र की सक्रिय राजनीति में उनका पदार्पण कोरोना काल में हुआ। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने न सिर्फ मजबूत तरीके से अपनी दावेदारी जताई बल्कि सबसे ज्यादा वोट बनवाने का तमगा भी अपने नाम किया। अब एक बार फिर से समाजवादी पार्टी चुनावी मोड में आ चुकी है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने प्रदेश की 108 विधानसभा सीटों पर जीत की संभावना तलाशने के लिए विधानसभा प्रभारी भी तैनात कर दिए हैं। इसी कड़ी में बरेली शहर विधानसभा सीट का प्रभार वरिष्ठ सपा नेता निर्मोज यादव को सौंपा है। दो दिन पहले जब निर्मोज यादव बरेली आए तो मोहम्मद कलीमुद्दीन ने शॉल पहनाकर उनका स्वागत किया। साथ ही विधानसभा की उम्मीदवारी के लिए अपनी दावेदारी भी पूरी दमदारी से पेश की।

अखिलेश यादव से हाथ मिलाते मोहम्मद कलीमुद्दीन।

बता दें कि कलीमुद्दीन ने पिछले पांच वर्षों में सियासत की राहों में अपने कदम बहुत तेजी से आगे बढ़ाए हैं। अपनी मेहनत, सेवा और समर्पण के दम पर उन्होंने महानगर के पदाधिकारी से प्रदेश सचिव तक का फासला तय किया है। अब वह राजनीतिक तौर पर पूरी तरह परिपक्व हो चुके हैं और शहर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को कड़ी चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इंतजार है तो सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की हरी झंडी मिलने का।
कलीमुद्दीन उन नेताओं में से नहीं हैं जो चुनावी बरसात में सियासी मेढक की तरह बिल से बाहर आते हैं और चुनाव खत्म होते ही वापस अपने बिलों में चले जाते हैं। कलीमुद्दीन इन पांच वर्षों में जमीनी स्तर पर शहर विधानसभा के हर घर तक पहुंचने का प्रयास करते रहे और अपने इस प्रयास में काफी हद तक सफल भी रहे हैं। उन्हें न सिर्फ पीडीए का साथ मिल रहा है बल्कि सवर्ण भी उनसे अछूते नहीं हैं। यही वजह है कि इस बार वह पूरी दमदारी से टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं। अगर सपा इस सीट से मुस्लिम उम्मीदवार उतारने का निर्णय लेती है तो कलीमुद्दीन एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं।


बहरहाल, विधानसभा प्रभारी निर्मोज यादव का बतौर प्रभारी यह पहला दौरा था। अभी वह कई और दौरे करने वाले हैं। इस दौरान वह विधानसभा का मिजाज भांपेंगे और अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंपेंगे। विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ डेढ़ साल का ही समय रह गया है। संभावना जताई जा रही है कि समाजवादी पार्टी पंचायत चुनाव के तुरंत बाद उम्मीदवारों की घोषणा कर देगी ताकि प्रत्येक उम्मीदवार को अपनी चुनावी तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

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