नीरज सिसौदिया, बरेली
नगर निगम बरेली के राजस्व अभिलेखों में भारी अनियमितताओं और सरकारी भूमि पर कथित कब्जे को लेकर बड़ा मामला प्रकाश में आया है। समाजसेवी और जिला सहकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष महेश पांडेय ने शासन को भेजी शिकायत में नगर निगम के तत्कालीन तहसीलदार, लेखपाल और राजस्व निरीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
शिकायत में कहा गया है कि इन अधिकारियों ने भूमाफियाओं से मिलीभगत कर सरकारी संपत्तियों को निजी लोगों के नाम पर दर्ज कराया और इस पूरे प्रकरण में शासन और प्रशासन को गुमराह करने की कोशिश की।
इस शिकायत पर उत्तर प्रदेश शासन के सतर्कता अनुभाग-3 ने संज्ञान लेते हुए संख्या 1793/39-3-25-01(102)/2025 दिनांक 29 अक्टूबर 2025 के तहत महेश पांडेय को पत्र जारी कर उनसे संबंधित साक्ष्य और शपथपत्र मांगे हैं, ताकि प्रकरण की सत्यता की जांच आगे बढ़ाई जा सके।
भूमाफियाओं से सांठगांठ और सरकारी संपत्ति के हेरफेर का आरोप
महेश पांडेय ने अपने 24 सितंबर 2025 के पत्र में शासन को सूचित किया कि नगर निगम, बरेली में तैनात तत्कालीन तहसीलदार तिलक राम, लेखपाल देवकी नन्दन सिंह, और राजस्व निरीक्षक रवि कुमार ने आपसी मिलीभगत और कुछ प्रभावशाली भूमाफियाओं के साथ सांठगांठ करके सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे की राह खोली।
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि संबंधित अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर शासन को गुमराह किया और अवैध कब्जों को वैध ठहराने का प्रयास किया।
महेश पांडेय के अनुसार, नगर निगम क्षेत्र के ग्राम उदयपुर खास के कई गाटा (भूमि खंड) — जिनमें गाटा संख्या 94बी से 119 और 448 शामिल हैं — वर्ष 1951 से लेकर 1989 तक सरकारी संपत्ति के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज थे।
परंतु बाद में भूमाफियाओं द्वारा इन्हें हड़पने की कोशिशें की गईं और कथित रूप से नगर निगम और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से इन अभिलेखों में हेरफेर की गई।
सचिवालय तक पहुंचा मामला, विजिलेंस ने लिया संज्ञान
महेश पांडेय की ओर से भेजे गए विस्तृत शिकायत पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि नगर निगम के कुछ अधिकारियों ने सरकारी संपत्तियों की भूमि को कब्जाने वालों के साथ मिलकर कूट-कपट का सहारा लिया और शासन को धोखा देने की मंशा से गलत आख्या (रिपोर्ट) तैयार की।
पत्र में कहा गया है कि जब यह मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विचाराधीन था (जनहित याचिका संख्या 4074/2005), तब भी संबंधित अधिकारियों ने शासन को झूठी जानकारी दी।
महेश पांडेय ने शासन से मांग की थी कि मामले में शामिल सभी अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच कराकर तत्काल प्रभाव से निलंबन की कार्रवाई की जाए।
शासन ने पत्र को गंभीरता से लिया
महेश पांडेय की शिकायत को उत्तर प्रदेश शासन ने गंभीरता से लिया है।
29 अक्टूबर 2025 को जारी शासन पत्र में संयुक्त सचिव अतुल कुमार मिश्र ने महेश पांडेय से कहा है कि वे अपने शिकायत पत्र दिनांक 24 सितंबर 2025 से संबंधित सभी साक्ष्य और शपथपत्र शासन को उपलब्ध कराएं ताकि जांच प्रक्रिया विधिवत रूप से आगे बढ़ाई जा सके।
शासन ने पत्र में स्पष्ट किया है कि शिकायतों के निस्तारण के लिए वर्ष 1997 के शासनादेश के अंतर्गत यह आवश्यक है कि शिकायतकर्ता अपने आरोपों के समर्थन में ठोस प्रमाण, साक्ष्य और शपथपत्र प्रस्तुत करे।
इसके बाद ही शिकायत की सत्यता की जांच और विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
शासन ने कहा— साक्ष्य प्रस्तुत करें
सतर्कता अनुभाग-3 की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि—
“शिकायतकर्ता द्वारा भेजे गए पत्र के समर्थन में यदि कोई सुसंगत साक्ष्य या शपथपत्र उपलब्ध है तो उसे शीघ्र शासन को उपलब्ध कराया जाए ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।”
यह भी कहा गया है कि संबंधित प्रकरण में उल्लेखित राजस्व अभिलेखों और नगर निगम के अधिकारियों की भूमिका की जांच आवश्यक है, क्योंकि प्रथम दृष्टया पत्र में गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
भू-माफिया का नाम और रिश्वतखोरी के संकेत
शिकायत पत्र में यह भी उल्लेख है कि इज्जतनगर पुलिस द्वारा चिन्हित भूमाफिया संदीप सिंह, अरविंद सिंह, और उनके सहयोगियों से रिश्वत लेकर उक्त अधिकारियों ने शासन को भ्रामक रिपोर्ट भेजी।
महेश पांडेय ने कहा कि इन अधिकारियों ने न केवल सरकारी संपत्ति को कब्जाने की सुविधा दी, बल्कि शासन और मुख्यमंत्री तक गलत जानकारी पहुंचाकर लोकसेवक आचरण नियमावली का उल्लंघन किया।
उन्होंने मांग की कि ऐसे अधिकारियों को लोकसेवक आचरण नियमावली 1956 के तहत तत्काल निलंबित किया जाए और उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई हो, ताकि सरकारी संपत्तियों के संरक्षण में लापरवाही और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके।
भूमि घोटाले का दायरा बड़ा
महेश पांडेय का दावा है कि नगर निगम की यह भूमि घोटालेबाजों के कब्जे में जाकर करोड़ों रुपये की कीमत की हो चुकी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह सरकारी संपत्ति धीरे-धीरे निजी स्वामित्व में दर्ज कराई गई।
पांडेय के अनुसार, यह पूरा मामला सिर्फ कुछ प्लॉटों का नहीं, बल्कि बरेली नगर निगम की सीमाओं के भीतर फैली उन कई जमीनों का है जिन्हें सरकारी रिकॉर्ड से “निजी संपत्ति” के रूप में दर्शाने की कोशिशें की गईं।
उन्होंने शासन से मांग की है कि नगर निगम बरेली के सभी गाटा संख्याओं का सत्यापन मूल खतौनी वर्ष 1951 के आधार पर कराया जाए, ताकि हेराफेरी का वास्तविक स्वरूप सामने आ सके।
लोकहित में कार्रवाई की मांग
पत्र में महेश पांडेय ने कहा है कि मामला केवल भ्रष्टाचार का नहीं बल्कि “लोकहित से खिलवाड़” का है।
उन्होंने कहा कि—
> “सरकारी जमीनें जनता की संपत्ति हैं। उन्हें निजी हाथों में जाने देना शासन के संसाधनों के साथ विश्वासघात है। ऐसे अधिकारियों को लोकहित में बर्खास्त किया जाना चाहिए, जिन्होंने अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग कर शासन को गुमराह किया।”
उन्होंने मांग की कि शासन तत्काल जांच के आदेश जारी करे और इस तरह के प्रकरणों पर अंकुश लगाने के लिए एक स्थायी निगरानी समिति गठित करे।
अब जांच के घेरे में आएंगे निगम और राजस्व अधिकारी
शासन द्वारा मांगे गए साक्ष्य उपलब्ध कराए जाने के बाद संभावना है कि सतर्कता विभाग नगर निगम और राजस्व विभाग के उन अधिकारियों की भूमिकाओं की जांच करेगा जिन पर आरोप लगे हैं।
इसमें तत्कालीन तहसीलदार, लेखपाल, राजस्व निरीक्षक सहित अन्य कर्मियों की जिम्मेदारी तय की जा सकती है।
जानकारों का कहना है कि यदि महेश पांडेय अपने साक्ष्य और अभिलेख शासन को सौंप देते हैं तो यह प्रकरण बरेली नगर निगम के अब तक के सबसे बड़े राजस्व घोटालों में से एक के रूप में सामने आ सकता है।
महेश पांडेय के पत्र और शासन के जवाब से यह स्पष्ट है कि बरेली नगर निगम के राजस्व अभिलेखों में गंभीर अनियमितताओं का संदेह है।
जहां एक ओर शिकायतकर्ता ने इसे भूमाफिया और अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ भ्रष्टाचार बताया है, वहीं शासन ने भी मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए साक्ष्य मांगकर जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि महेश पांडेय अपने दावों के समर्थन में कितने ठोस प्रमाण प्रस्तुत करते हैं और शासन स्तर पर इस मामले की जांच कितनी निष्पक्षता से आगे बढ़ाई जाती है।
यदि आरोप साबित होते हैं, तो यह मामला न केवल नगर निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करेगा, बल्कि सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गहरी चोट करेगा।





