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डॉ. नूपुर गोयल की कविताएं -2, मुलाकात को…
Share nowमुलाकात को तरसता है मन… लोगों से मुलाकात को, तरसता है मन, पर उनकी बातों के बाणों से, डरता है मन। जाने कौन-कौन से बाण चलाएंगे, जाने कौन-कौन से जख्म छेड़ जाएंगे। कहां पर छुपा के, रखते हैं बाणों को, जरूरत के मुताबिक, निकालते हैं बाणों को। कोई पुराने जख्मों को, गहरा है कर […]
बढ़ रहा तापमान, हो रहा पर्यावरण का नुकसान
Share nowनदी ताल में कम हो रहा जल और हम पानी यूँ ही बहा रहे हैं। ग्लेशियर पिघल रहे और समुन्द्र तल यूँ ही बढ़ते ही जा रहे हैं।। काट कर सारे वन कंक्रीट के कई जंगल बसा दिये विकास ने। अनायस ही विनाश की ओर कदम दुनिया के चले ही जा रहे हैं ।। […]
दुआओं की सौगात है, बुजुर्गों के पास…
Share nowक्षमा दुआ अनुभव और आस, है बुजुर्गों के पास। बहुत ही जिम्मेदारी अहसास, है बुजुर्गों के पास।। छोटे बड़ों का ध्यान और करें, घर की रखवाली भी। संस्कृति, संस्कारों का वास है, बुजुर्गों के पास।। बहुत दुनिया देखी बड़ों ने, उनसे ज्ञान लीजिये। उन्होंने किया लालन पालन, उन पर ध्यान दीजिए।। उनके मान सम्मानआशीर्वाद […]