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चिकित्सा को लेकर राजनीति न करे सरकार, दो साल का कोर्स करके 58 सर्जरी करने वाले नहीं हो सकते तैयार : डा. अनीस बेग

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नीरज सिसौदिया, बरेली
डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है. वर्षों की कड़ी मेहनत और अनुभव के बाद एक स्पेशलिस्ट तैयार होता जो इंसान को मौत के मुंह से भी निकाल कर ले आता है. यही वजह है कि बाजारवादी युग में भी लोगों का डॉक्टरों पर भरोसा बरकरार है. लेकिन केंद्र सरकार अब एक ऐसा कानून लेकर आई है जो डाक्टरों के पेशे पर भी सवालिया निशान खड़े कर रहा है. इस कानून के लागू होने के बाद धरती के नए भगवान इंसानों की जान वाकई बचा पाएंगे इस पर संशय की स्थिति बन गई है.
दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से जो नया कानून लाया गया है उसके तहत महज दो साल का कोर्स करने के बाद कोई भी आयुर्वेद डॉक्टर 58 तरह की सर्जरी कर सकेगा. बरेली के मशहूर बेग हास्पिटल एंड फहमी मैटरनिटी सेंटर के संचालक डॉ. अनीस बेग कहते हैं कि केंद्र सरकार कोई भी कानून बिना सोचे समझे बनाती है और लागू भी कर देती है. वह एक सीधा सा उदाहरण देते हुए कहते हैं कि एक इंसान पहले एमबीबीएस करता है. फिर तीन साल एमएस करता है और उसके बाद दो साल रेजीडेंसी करता है, तब जाकर किसी एक ब्रांच का स्पेशलिस्ट तैयार होता है. या तो आई स्पेशलिस्ट या ईएनटी स्पेशलिस्ट. यानि एक सर्जन तैयार होता है. अब सरकार जो नया कानून लाई है उसके तहत एक बीएएमएस पास डॉक्टर दो साल का कोर्स करके 58 तरह की सर्जरी कर सकता है. क्या यह संभव है? क्या ऐसे सर्जन किसी को जीवनदान दे सकेंगे? क्या ऐसे डॉक्टरों को लोग धरती के भगवान का दर्जा दे सकेंगे? क्या यह मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं होगा? ऐसा करके सरकार जनता का ही नुकसान कर रही है. बता दें कि बेग हॉस्पिटल में आईसीयू, एनआईसीयू और डायलिसिस तक की सभी सुविधाएं मौजूद हैं और डा. अनीस बेग खुद एक बाल रोग विशेषज्ञ हैं.
डा. बेग बताते हैं, ‘सरकार चिकित्सा के क्षेत्र में राजनीति को लेकर आ रही है. ऐसा करना गलत है. सरकार डॉक्टरों को बांटना चाहती है. सरकार एलोपैथी और आयुर्वेदिक डॉक्टरों को इसलिए बांटना चाहती है ताकि इस बंटवारे से वह अपना सियासी हित साध सके. ऐसा करते वक्त सरकार जनता के हितों को भूल गई. वह भूल गई कि उसके इस फैसले से जाने कितने बेगुनाह मरीज मौत के आगोश में समा सकते हैं.’
बताया जाता है कि सरकार एलोपैथी डॉक्टरों की संस्था इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन के पैरलर एक ऐसा संगठन खड़ा करना चाहती है जो आईएमए का विकल्प बन सके. लेकिन जब तक एलोपैथी और आयुर्वेदिक डॉक्टरों के बीच एक बड़ा फर्क रहेगा तब तक सरकार की मंशा पूरी नहीं हो सकती. यही वजह है बेवजह के कानून लाकर जनता की जिंदगी से खिलवाड़ करने का प्रयास किया जा रहा है.’
जब डॉक्टर बेग से पूछा गया कि आयुर्वेदिक डाक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने पर उन्हें एतराज क्यों है, आयुर्वेदिक डाक्टर किसी मरीज का जबरदस्ती तो ऑपरेशन नहीं करेगा, यह तो मरीज पर निर्भर करेगा कि वह जिससे चाहे ऑपरेशन कराए? इस पर डा. बेग कहते हैं कि अमीर आदमी तो एलोपैथी का ही सहारा लेगा लेकिन लोअर मिडिल क्लास या गरीब लोग चंद पैसे बचाने के चक्कर में आयुर्वेद सर्जरी की तरफ ही आकर्षित होंगे. ऐसे में उनकी जान जाने का खतरा बढ़ जाएगा. वह कहते हैं कि आयुर्वेदिक सर्जरी एलोपैथी सर्जरी की तुलना में सस्ती होगी. इसलिए यह तबका इसी को तरजीह देगा.
डा. अनीस बेग इसे मिक्सोपैथी कानून का नाम देते हैं. वह कहते हैं कि ऐसे कानून से न सिर्फ लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ होगा बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में भी देश की साख गिरेगी. आज भारत में मेडिकल टूरिज्म का बहुत बड़ा दायरा है. इसलिए सरकार को इस जनविरोधी कानून को तत्काल वापस लेना चाहिए.
बहरहाल, आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी की इजाजत देने वाले इस कानून को लेकर अब भी तकरार बरकरार है. आईएमए की ओर से लगातार इस कानून के विरोध में प्रदर्शन किये जा रहे हैं. फिलहाल सरकार ने कानून वापस नहीं लिया है और न ही कानून वापसी के संकेत ही दिए हैं. वहीं आयुर्वेदिक चिकित्सक इस कानून के समर्थन में सड़कों पर उतर आए हैं.

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