ख्याति प्राप्त साहित्यकार जितेन्द्र कमल आनंद गुरु जी का जन्म वर्ष अगस्त ,1951 में मोहल्ला भूड़, बरेली में पिताश्री शमशेर बहादुर सक्सेना एवं माताश्री शकुंतला देवी सक्सेना के संभ्रांत परिवार में हुआ। अपनी शिक्षा पूरी करने के उपरांत आप विद्या मंदिर इण्टर कालेज (रामपुर ) से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आपकी मुख्य लेखन विधाएं हैं: दोहा, गीतिका, हरिगीतिका, गीत, ताटंक,शोकहर छंद घनाक्षरी, गीत्यार्या, गायत्री, अनुष्टुप, सायली, मेकल, शिखरिनी, सम्पादकीय, शोध परक आलेख आदि हैं।
इनकी प्रकाशित कृतियां जय बाला जी( ताटंक छंद युक्त काव्य ) आनंद प्रवाह ( मुक्त छंद काव्य संग्रह),राजयोगमहागीता ( घनाक्षरी पद्म पुनीता) गीत आनंद के( हस्तलिपि गीत संग्रह), ब्रह्म कृपा हि केवलम् ( काव्य संग्रह) ,हनुमत उपासना( सप्त छंद युक्त काव्य) हैं. गुरु जी ने संपादन के क्षेत्र में भी बेहतर कार्य किया है. ” गुंजन की गुंजार”, ” काव्य कलश”, ” समर्पण”, ” प्रवाह”, ” जागो प्यारे हिंदुस्तान”, ” प्रणाम” , प्रणाम- द्वतीय”, प्रणाम- तृतीय”, ” स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कवि”, स्वातंत्र्योत्तर कवि- कवयित्रियाँ “, ” आध्यात्मिक साहित्यिक काव्यधारा”, ” अखिल भारतीय काव्यधारा” , इक्कीसवीं सदी की काव्यधारा “, ” काव्य की धारा बहायें” सहित 23 साझा काव्य संकलनों का सम्पादन , मासिक ई पत्रिकाओं का सम्पादन, तीन एकल कवियों की काव्य कृतियों का सम्पादन आदि किया है। इनकी रचनाओं का प्रसारण लगभग 26 बर्षों से आकाशवाणी केंद्र, रामपुर से नियमित हो रहा है।पत्र, पत्रिकाओं, साझा संकलनों” स्वतंत्र भारत ” दैनिक लखनऊ, ” लोक उजागर” रामपुर साप्ताहिक, ” उत्तरांचल दीप्ति”, पिथौरागढ़, ” न्यू हेरम्ब टाइम्स , लखनऊ के विशेष सम्वाददाता (1994 से 1996) रहे. पत्रिकाएँ:” सूत्रकार” , पटना( बिहार), ” आदर्श” कलकत्ता, ” अंगवाणी”, मेकल सुता, नर्मदापुरम , ” देवदीप” और ” कला कलश” मुम्बई, ” भाषा सेतु”, म प्र, ” मन्दाकिनी”( बरेली,), एवं अखिल भारतीय काव्य संकलनों– शायरों की महफिल”( दिल्ली), ” एकता की मिशाल”( दिल्ली), ” स्वर्ण जयंती( दिल्ली), ” काव्य गरिमा”( दिल्ली), ” काव्यामृत”( दिल्ली) , हैदराबाद से ” कलम अभी जिन्दा है”, ” माधुरी”( लखनऊ),” सुधा”( लखनऊ), ” कविता: हस्तलिपि एवं हस्ताक्षर “, वन्देमातरम्”, (मुरादाबाद),” कल्याण काव्यमाला”( बरेली, ” आदि में इनकी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए इन्हें अनेक साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न उपाधियों से अलंकृत किया जा चुका है जिनमें प्रमुख रूप से
सम्मान: ” विश्व शांति सद्भाव संस्थान”, गंगा साहित्य संस्थान ( वाराणसी) , श्रीराम साहित्य एवं नाट्य मण्डल नाहन ( हिमाचल प्रदेश), आचार्य श्री चन्द्र कविता महाविद्यालय एवं शोध संस्थान, हैदराबाद , श्री साईं दास बालूजा साहित्य कला अकादमी,नई दिल्ली, तारिका विचार मंच,प्रयाग, नव युग साहित्य संगम, लखनऊ, हिंदी साहित्य परिषद, सीतापुर, ज्ञान मंदिर पुस्तकालय, रामपुर, आदि हैं। वर्तमान में आपका मंगल भवन, सांई विहार कालोनी, सांई मंदिर के पास, रामपुर उत्तर प्रदेश में निवास है। वह आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर, उ. प्र. (भारत) के संस्थापक/ राष्ट्रीय महासचिव हैं। भारतीय जीवन के विविध पक्षों को लेकर साहित्य रचना की है। व्हाट्सएप समूह के माध्यम से रचनाकारों को साहित्य की बारीकियों से अवगत कराने के लिए समर्पित भाव से आप सहज उपलब्ध रहते हैं।भारत के कई प्रदेशों और जनपदों में आपके द्वारा साहित्य की विभिन्न विधाओं को लोग सीख रहे हैं। आपकी रचनाओं में सरलता, सहजता एवं यथार्थवाद प्रशंसा के योग्य हैं तथा आपके व्यक्तित्व के अनुरूप सरल भाषा में हैं। आपकी ही इन पंक्तियों को प्रस्तुत कर ह्रदय से नमन…
सूर्य का जग में नवल उन्मेष हो
क्लांत जीवन में नया आवेश हो
हो सुशासन देश में संदेश यह
मुस्कराता उल्लसित परिवेश हो ।
प्रस्तुतकर्ता- उपमेंद्र सक्सेना एड. (साहित्यकार), बरेली