बरेली और मुरादाबाद मंडल की सियासत में ब्रह्म स्वरूप सागर का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. वर्ष 1989 से मुलायम सिंह यादव के वफादार सिपाही के तौर पर कार्य करने वाले ब्रह्म स्वरूप सागर बरेली मंडल में समाजवादी पार्टी का एकमात्र ऐसा चेहरा है जो मंडल की 25 सीटों पर दलित वोट बैंक को प्रभावित करने में सक्षम है. वर्ष 2007 में सपा छोड़कर बसपा का दामन थामने वाले ब्रह्म स्वरूप सागर की 14 साल के बाद घर वापसी हुई है. अब तक संगठन में अहम जिम्मेदारियां निभाने वाले ब्रह्म स्वरूप सागर पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. उन्होंने फरीदपुर सुरक्षित सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट के लिए आवेदन किया है. ब्रह्म स्वरूप सागर ने समाजवादी पार्टी में वापसी क्यों की? विधानसभा चुनाव में उनके मुद्दे क्या होंगे? फरीदपुर के वर्तमान विधायक को वह कितना सफल मानते हैं? फरीदपुर के विकास को वह किस नजरिये से देखते हैं? ऐसे कई बिंदुओं पर इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया के साथ वरिष्ठ सपा नेता और फरीदपुर सुरक्षित सीट से सपा के टिकट के प्रबल दावेदार ब्रह्म स्वरूप सागर ने खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश….
सवाल : आप मूलरूप से कहां के रहने वाले हैं, राजनीति में आना कब हुआ?
जवाब : मैं मूल रूप से बरेली का रहने वाला हूं. मेरे राजनीतिक सफर की शुरुआत वर्ष 1989 में जनता दल से हुई थी. वर्ष 1989 में जब जनता दल की सरकार बनी तो मंडल आयोग आया. हम लोग मंडल आयोग की सिफारिशों के पक्ष में थे और कुछ लोग इसका विरोध कर रहे थे. जब मंडल कमीशन की रिपोर्ट आई और उन्हें लागू करने की आवाज बुलंद हुई तो बहुत सारे आंदोलन हुए. एक पक्ष विरोध में था और हम लोग पक्ष थे. वर्ष 1989 के बाद माननीय मुलायम सिंह जी के विचारों से हम लोग प्रभावित थे. उसके बाद जनता दल टूटा. माननीय मुलायम सिंह जी ने उस टूट के बाद पार्टी का नाम समाजवादी जनता पार्टी रखा. फिर समाजवादी जनता पार्टी टूटी और उत्तर प्रदेश में माननीय बहुगुणा जी और मुलायम सिंह यादव जी अलग हो गए तो समाजवादी जनता पार्टी एम अलग हो गई और मुलायम सिंह समाजवादी जनता पार्टी एम का हिस्सा बने. उसके बाद फिर माननीय नेता जी ने वर्ष 1992 में उसे समाजवादी पार्टी का नाम दिया. तब से वर्ष 2007 तक लगातार मैं समाजवादी पार्टी के लिए काम करता रहा.
http://भोजीपुरा के गांवों में सपा की लहर https://youtu.be/UPZ8CmsKF0Y
सवाल : अब तक का राजनीतिक सफर कैसा रहा?
जवाब : समाजवादी पार्टी में शुरुआत में युवजन सभा की महानगर की कमेटी में मुझे महामंत्री बनाया गया. वर्ष 1995 से मैं जिला प्रवक्ता के रूप में काम करता रहा. मेरा ज्यादातर समय समाजवादी पार्टी में ही बीता. हमने बहुत सारी चीजें समाजवादी पार्टी के नेताओं से सीखीं. माननीय मुलायम सिंह यादव जी की कार्यशैली को देखा. यह अलग बात है कि परिस्थितियों वश वर्ष 2007 में समाजवादी पार्टी को छोड़कर जाना पड़ा. उस वक्त हम बहुजन समाज पार्टी में गए. बसपा को हमने पहले बाहर से थोड़ा समझा था. हालांकि हमारा परिवार डॉक्टर अंबेडकर का अनुयायी रहा और मैं डॉ. अंबेडकर का अनुयायी हूं. बसपा में हम यह सोचकर गए थे कि बसपा डा. अंबेडकर के सिद्धांतों पर चलने वाली पार्टी है. हमने बीएसपी में 10 साल काम किया. अप्रैल 2007 में हमने समाजवादी पार्टी छोड़ी थी और उसी के दो-चार दिन बाद बसपा ज्वाइन कर ली थी. बीएसपी में बेसिक रूप में संगठन में ही काम करते रहे. समाजवादी पार्टी में भी संगठन का ही काम किया. हमें बाहर रहकर लग रहा था कि शायद बहुजन समाज पार्टी विशेष रूप से दबे कुचले समाज, बैकवर्ड समाज के लिए काम करती है, माननीय कांशीराम जी के जीवित रहने तक तो बसपा ऐसी थी लेकिन उनके बाद मुझे नहीं लगा कि बसपा में कहीं कुछ ऐसा होता है. बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जिनको बताना मुनासिब नहीं है. बीएसपी में जो दिखता है वह है नहीं. इसलिए वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव के बाद हमने बीएसपी को छोड़ दिया. फिर मन हुआ कि हमें वहीं जाना चाहिए जहां पहले थे क्योंकि माननीय मुलायम सिंह यादव जी से हम प्रभावित थे. प्रयास किया कि समाजवादी पार्टी में जाना है. इसी दौरान चर्चा होने लगी कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन करने जा रही है तो हमें लगा कि अगर गठबंधन हुआ तो फिर हमें भी साइड लाइन होना पड़ेगा क्योंकि बसपा से गठबंधन होने के बाद हमें बहुत सारी चीजें बदलेंगी. जब गठबंधन हो रहा था तो हमने वॉच भी बहुत किया. बाद में गठबंधन हुआ भी तो हमने कांग्रेस ज्वाइन कर ली, यह सोच कर कि शायद कांग्रेस को जरूरत हो काम करने वाले लोगों की. हालांकि कांग्रेस ने हमें एक मौका चुनाव लड़ने का भी दिया. काफी बुरे हालातों में हम चुनाव लड़े जब पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी की लहर थी. हम शाहजहांपुर की सुरक्षित सीट से चुनाव लड़े लेकिन कांग्रेस का कोई भी नेता हमें चुनाव लड़ाने नहीं आया. कांग्रेस में जाकर हमने समझा कि आखिर क्या कमी आ रही है कि कांग्रेस खत्म हुई है. कांग्रेस में जमीनी नेताओं की कोई पूछ नहीं है. हमने समझा कि यहां कोई काम नहीं होता है सिर्फ नेतागिरी होती है तो फिर हमने कांग्रेस छोड़ने का निर्णय लिया. चूंकि हमारा मन पहले से ही समाजवादी पार्टी में था. हमें मौका मिला तो हम समाजवादी पार्टी की तरफ आए. माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव से मिले. वह पहले भी हमारे नेता थे और आज भी नेता हैं. माननीय नेता जी के सानिध्य में हमने बहुत काम किया है.
http://वोट बनवाएंगे, घर भी पहुंचाएंगे, याद रहे बूथ नंबर इसलिए घर पर पोस्टर भी लगाएंगे, जानिये क्या है इं. अनीस अहमद का विशेष अभियान, सब हैरान… – India Time 24 https://indiatime24.com/2021/09/13/special-votership-drive-of-anis-ahmad-khan/#.YT5favcRVvY.whatsapp
सवाल : फरीदपुर विधानसभा सीट से आपने टिकट के लिए दावेदारी की है. वे कौन से मुद्दे हैं जिन पर आप चुनाव लड़ना चाहेंगे?
जवाब : देखिए मुद्दे तो बहुत सारे हैं. सरकार का फेलियर रहा है हर क्षेत्र में. फिर चाहे किसानों का मुद्दा हो, नौकरियों का मुद्दा हो, युवाओं को रोजगार देने का मुद्दा हो या शिक्षा के क्षेत्र में या स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां भारतीय जनता पार्टी सफल दिखाई दे रही हो. सरकार हर मोर्चे पर फेल है. जनता में आक्रोश है.
सवाल : आपकी नजर में फरीदपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख स्थानीय मुद्दे कौन से हैं?
जवाब : स्थानीय मुद्दों की बात करें तो फरीदपुर विधानसभा सीट सुरक्षित सीट रही है. लंबे समय से बहुत सारी चीजों की यहां कमी है. रोजगार परक शिक्षा की जरूरत अभी यहां सबसे ज्यादा है. फरीदपुर में इसकी बहुत कमी है. रोजगारपरक शिक्षा को लेकर यहां कुछ संस्थान ऐसे हों, कुछ चीजें ऐसी हों कि युवाओं को रोजगार मिल सके. इंडस्ट्री डेवलप हो. बहुत सारी ऐसी चीजें हैं. जो इंटीरियर इलाके हैं जैसे- गंगा का खादर का इलाका है, वह भी अभी मेन स्ट्रीम में नहीं आया है. कुछ गांवों को भी सड़कों से जोड़ने की बात है. बहुत सारी सड़कें खराब हो चुकी हैं. बरेली शहर से फरीदपुर की दूरी सिर्फ 22-23 किलोमीटर है. इसके बावजूद यहां शिक्षा के लिए अच्छे कॉलेज नहीं हैं. डिग्री कॉलेज के नाम पर एक कॉलेज है तो शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान देने की जरूरत है. खास तौर पर रोजगारपरक शिक्षा के क्षेत्र में ताकि लोगों को रोजगार भी मिले. इंटीरियर इलाका बहुत पिछड़ा हुआ है. वहां डेवलपमेंट की जरूरत है. चाहे वह सड़कों की बात हो, नाली, खड़ंजों की बात हो, गांव के विकास की बात हो, अभी इस तरह का विकास फरीदपुर में नहीं हुआ है जबकि फरीदपुर शहर की हम बात करें तो यह नगरपालिका क्षेत्र है लेकिन जब हम फरीदपुर के मोहल्लों में जाते हैं तो लगता ही नहीं है कि यह नगर पालिका क्षेत्र है. ऐसा लगता है कि यहां विकास हुआ ही नहीं है.
सवाल : बहुजन समाज पार्टी में रहते हुए आपने बरेली मंडल में बहुत काम किया. बरेली मंडल में आपको क्या लगता है कि कौन सा फैक्टर प्रभावी रहेगा इस बार के चुनावों में?
जवाब : अगर मंडल की भी बात छोड़ दें जो प्रदेश भर में इस समय माहौल है कि भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ जनता को गुमराह किया है. गुमराह करके वोट मिले हैं और अब जनता त्रस्त हो गई है. लोगों को विकास चाहिए, लोगों को काम चाहिए. भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ बातें की हैं. अभी इतना बड़ा आपदा का काल गुजरा है, अभी लोगों को डर है कि फिर कहीं यह कोरोना की लहर दोबारा न आ जाए. लोगों ने अपनों को खोया है. टीचरों को लेकर सरकार ने कह दिया कि किसी भी टीचर की जान कोरोना की वजह से नहीं गई है. ऐसी गलतबयानी कर रहे हैं ये लोग. लोगों को उम्मीद है, भरोसा है अखिलेश जी पर कि पिछली बार जब अखिलेश जी की सरकार थी तो काम हुआ था, विकास हुआ था.अब मुझे नहीं लगता कि हिंदू मुस्लिम फैक्टर प्रभावी होगा. हालांकि, भाजपा की कोशिश होगी कि इस चुनाव को किसी भी तरह से दूसरा रूप दे, क्या रूप दे यह भाजपा जाने, भाजपा के लोग जानें. हां ये लोग खामोश बैठने वाले नहीं हैं. जनता खुद समझदार हो चुकी है, जनता अच्छे से समझ भी रही है. यह बात होती है कि भारतीय जनता पार्टी को वापस नहीं आने देना है. भारतीय जनता पार्टी ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है, इसलिए किसी भी मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में लोग दिखाई नहीं देते हैं. सिर्फ अखिलेश जी के नाम पर भरोसा है कि यह बेहतर विकल्प है तो लोगों ने अखिलेश जी को विकल्प मान लिया है. अब मैं एक उदाहरण देता हूं जिला पंचायत का. जिला पंचायत का बहुत बड़ा चुनाव होता है. जिला पंचायत के अध्यक्षों को छोड़ दीजिए, ब्लॉक प्रमुखों को छोड़ दीजिए वह तो मैनेजमेंट का खेल है. वह भारतीय जनता पार्टी के कर लिया लेकिन जनता ने जिन्हें चुनकर भेजा, चाहे वे जिला पंचायत के सदस्य चुनकर भेजे हों, बीडीसी सदस्य चुनकर भेजे हों, प्रधान चुन कर भेजे हों, उनमें समाजवादी पार्टी के लोगों का ही बोलबाला रहा है. पूरे प्रदेश ने एकतरफा समाजवादी पार्टी को वोट दिया है. यहां जनता का मेंडेट समझ में आया है. जनता ने बता दिया है कि अखिलेश जी को वे वापस ला रहे हैं और समाजवादी पार्टी को वापस ला रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी का सूपड़ा साफ होगा.