बब्बल कुमार, गुहलाचीका (हरियाणा)
सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सबको शिक्षा सबको अधिकार जैसे अनेक अभियान चलाए गए परंतु इन अभियानों की सच्चाई धरातल पर कितनी है इस बात का अंदाजा गुहला चीका से लगाया जा सकता है जहां पर निजी स्कूलों की मनमानी जारी है और निजी स्कूल सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखा रही हैं जिसमें अहम बात यह है कि सारा मामला सरकारी अधिकारियों के संज्ञान में है परंतु अधिकारी बाबू तो कुछ भी कहने और सुनने को तैयार ही नहीं सरकार द्वारा निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए अधिकारियों को कई बार दिशा निर्देश दिए गए परंतु अधिकारियों द्वारा उन दिशा निर्देशों को हवा-हवाई कर दिया गया। वहीं इस पूरे मामले में गुहला चीका में भाजपा कार्यकर्ताओं ने पहल दिखाई जिसमें भाजपा युवा नेता रोहित शर्मा के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल आज गुहला तहसीलदार को मिला और निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायत पत्र दिया और सभी निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए खंड शिक्षा अधिकारी को निर्देश जारी करने के लिए कहा। बीजेपी युवा नेता रोहित शर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा समय-समय पर शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए नियम बनाए जाते हैं ताकि सबको शिक्षा मिल सके। सरकार के नियमों को लागू न करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई करवाई जाएगी।
रोहित शर्मा ने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार कोई भी प्राइवेट स्कूल संचालक एक बार ही दाखिला फीस ले सकता है और उसके बाद ना तो वह कैपिटल फीस ले सकता है और ना ही री एडमिशन फीस ले सकता है। स्कूलों द्वारा बच्चों के दाखिले के लिए कोई भी एंट्रेंस टेस्ट की फीस नहीं ली जा सकती जबकि सरकार द्वारा स्कूलों की मनमानी की शिकायत करने के लिए अनेक शिक्षा विभाग के 0172 2740793 नंबर जारी किए गए हैं ।
क्या कहता है शिक्षा का अधिकार अधिनियम
शिक्षा के अधिकार अधिनियम 13 को 2009 में पास किया गया था और जिसको 1 अप्रैल 2010 से लागू किया गया था जिसके अनुसार कोई भी निजी स्कूल कैपिटल ऑफ एशिया फ्री एडमिशन फीस के नाम पर अभिभावको से कोई पैसा नहीं ले सकता और स्कूल में एडमिशन करवाते समय एंट्रेंस टेस्ट के नाम पर कोई भी फीस नहीं वसूल सकते अगर ऐसा करता हुआ कोई भी स्कूल पाया जाता है तो ₹25000 जुर्माना और स्कूल की मान्यता रद्द हो सकती है परंतु इन नियमों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर सभी निजी स्कूलों को 2009 ,10 ,11 ,14 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम को ध्यान में रखते हुए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
दूसरी ओर सबसे बड़ा लूट का जो खेल है वह निजी प्रकाशकों की किताबें लागू करने को है जबकि शिक्षा विभाग व सीबीएसई ने एनसीईआरटी की किताबें लागू करने के नियम निर्धारित किए हुए हैं. नियम कायदे के बाबजूद निजी प्रकाशकों की किताबों का खेल दुकानदारों व स्कूलों के बीच खेला जा रहा है. लूट का यह खेल प्रशासन की नाक के तले चल रहा है. सब कुछ जानकर भी शिक्षा विभाग मूकदर्शक बना हुआ है. सभी निजी संचालकों ने एक दुकानदार को टेंडर दे दिया और बाकी दुकानदारों को वहीं से किताबें मिलेंगी। बाकी दुकानदारों को 5 से 10 परसेंट पर किताबें मिलेंगी। अब कई किताब दुकानदारों ने भी प्राइवेट किताबें रखनी बंद कर दी।
क्या कहना है खण्ड शिक्षा अधिकारी
जब इस बारे खंड शिक्षा अधिकारी प्रेम पूनिया से बात करना चाही तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
क्या कहना है प्राइवेट स्कूल संचालकों
इस बारे प्राइवेट स्कूल संचालकों से बात की गई तो कई स्कूलों के प्रिंसिपल ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और DAV स्कूल की प्रिंसिपल पूनम सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि एनुअल चार्ज के नाम पर वह जो फीस ले रहे हैं वह कानून के हिसाब से ले रहे हैं. यह हरियाणा सरकार के नियम अनुसार है.